Lord Brahma: जानें, ब्रह्मदेव का रहस्य
ब्रह्म , हिन्दू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) पहले सदस्य और सृजन के देवता माना जाता है। आइए जानते है ब्रह्मा देव का रहस्य…
मुख्य बिंदू:-
- ब्रह्मा का सामने परिचय
- ब्रह्मा की उत्पत्ति कैसे हुई?
- ब्रह्मा की पत्नी, बच्चें और वंशज।
- ब्रह्मा का मंत्र और साधना।
- ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना कैसे करी।
- ब्रह्मा की पूजा क्यों नही होती।
- पुष्कर: ब्रह्मा का एक मात्र मंदिर।
- ब्रह्मा से सम्बंधित पौराणिक कथा।
ब्रह्मा कौन है? (Who is Lord Brahma)
ब्रह्मा, हिन्दू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) पहले सदस्य, सृजन के देवता हैं, जिनको अपनी पत्नी सरस्वती मूलभूत ज्ञान की देवी-द्वारा सृजन में सहायता मिली थी।
ब्रह्मा को एक दाढ़ी वाले परिपक्व उम्र के व्यक्ति के रूप में दर्शाया जाता है। पौराणिक कथाओं में ब्रह्मा को चार सिर है जो चार सिर और कमल पर बैठे हुए दिखाया जाता है और उनका वाहन हंस है। अपनी चार भुजाओं में वे वेद, कमंडल, सुरुव और माला पकड़े रहते हैं। वे शांति का मानवीकरण हैं और ज्ञान तथा बुद्धि के प्रदाता हैं।
जब से ब्रह्मा ने विश्व की सृष्टि की यह माना जाता है कि यह सृष्टि 21,60,000,000 वर्षों तक अस्तित्व में रहेगा। इस दिन के अंत के बाद ब्रह्मा सोने चले जाते हैं और संपूर्ण विश्व और इसमें रहने वाले समस्त जीव-जंतु सभी कुछ अग्नि में समाहित हो जाता है। यह क्रम चलता रहता है।
ब्रह्मा के सिर से जुड़ी पौराणिक कथा
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि ब्रह्मा चतुर्मुख (चार मुखीय) और अष्टकर्ण (आठ कान वाले) कहे जाने जाते हैं। लेक़िन मूल रूप से उनके पांच सिर थे। पुराणों के अनुसार उनका केवल एक सिर था अपने ही शरीर का एक हिस्सा काटने के बाद, ब्रह्मा ने सरस्वती का निर्माण किया। और वे उससे अपनी आंखें ही नहीं हटा सके। वह जहां भी जाती, वे उसे टकटकी साधे देखते रहते।
ब्रह्मा ने अन्य सिरों का सृजन कर लिया – एक बाएं, दूसरा दाएं और तीसरा उनके पहले वाले सिर के पीछे। शतरूपा फिर उनकी टकटकी से बचने के लिए आकाश में चली गई, तो ब्रह्मा ने सभी चारों सिरों के ऊपर पांचवें सिर का सृजन कर लिया। इस प्रकार उनके पांच सिर हो गए।
शिव ने काट दिया था 5वा सिर: पुराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा ने शिव का निरादर किया, जिससे रुष्ट होकर उन्होंने क्रोध में, अपनी अग्निमय तीसरी आंख से उनके पांचवें सिर को भस्म कर दिया।
अत्यंत दयालु है ब्रह्मा
ब्रह्मा अत्यंत दयालु है। वह अपने भक्तों पर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते है और मनोवांछित फल दे देते है। हिरण्यकश्यप से लेकर रावण तक, को ब्रह्मा के द्वारा वरदान दिए गए थे। तब विष्णु जी के लिए यह आवश्यक हो गया कि वे राक्षसों को मारने के लिए अनेक अवतार लें। और पढ़ें: भगवान विष्णु के दशावतार
क्यों नही होती ब्रह्मा की पूजा
अतः ब्रह्मा न तो किसी के घर में पूजे जाते हैं और न ही किसी मंदिर में मूर्ति के रूप में विष्णु और शिव को समर्पित अनेक मंदिर हैं परंतु ब्रह्मा को समर्पित केवल एक ही मंदिर राजस्थान में अजमेर की पुष्कर झील पर स्थित है। और पढ़ें: पुष्कर: ब्रह्मा का एक मात्र मंदिर