Lord Chitragupta: जानिए, भगवान चित्रगुप्त का रहस्य
Lord Chitragupta: चित्रगुप्त एक दिव्यशक्ति जो अंतःकरण में चित्रित चित्रों को पढ़ती है, उसी के अनुसार उस व्यक्ति के जीवन को नियमित करती है, अच्छे-बुरे कर्मो का फल भोग प्रदान करती है, न्याय करती है। उसी दिव्य देव शक्ति का नाम चित्रगुप्त है कायस्थों का स्रोत श्री चित्रगुप्तजी को माना जाता है।
जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो यमराज ने उनसे मानवों का विवरण रखने में सहायता माँगी। यह सुन ब्रह्माजी ध्यान-साधना मे लीन हो गए और जब उन्होंने आँखें खोलीं तो एक पुरुष को अपने सामने कलम, दवात, पुस्तक तथा कमर में तलवार बाँधे खड़ा पाया।
ब्रह्माजी ने पूछा, फ्हे पुरुष, तुम कौन हो?” वह पुरुष बोला, “मैं आपके चित्र (शरीर) में गुप्त रूप से निवास कर रहा था, अब आप मेरा नामकरण करें और मेरे लिए जो भी दायित्व हो, सौंपें।” तब ब्रह्माजी बोले, “क्योकि तुम मेरे चित्र (शरीर) में गुप्त (विलीन) थे इसलिये तुम्हें चित्रगुप्त के नाम से जाना जाएगा और तुम्हारा कार्य होगा। प्रत्येक प्राणी की काया में गुप्त रूप से निवास करते हुए उनके द्वारा किए गए सत्कर्म और अपकर्म का लेखा रखना और तदनुसार सही न्याय कर उपहार और दंड की व्यवस्था करना।
चूँकि तुम प्रत्येक प्राणी की काया में गुप्तरूप से निवास करोगे इसलिये तुम्हें और तुम्हारी संतानों को कायस्थ भी कहा जाएगा।य् चित्रगुप्त जी को महाशक्तिमान क्षत्रिय के नाम से संबोधित किया गया है।
चित्रगुप्त के दो विवाह हुए। पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा/नंदिनी जो ब्राह्मण कन्या थी, इनसे चार पुत्र हुए जो भानु, विभानु, विश्वभानु और वीर्यभानु कहलाए। दूसरी पत्नी एरावती/शोभावति नागवंशी क्षत्रिय कन्या थी, इनसे सात पुत्र हुए जो चारु, चितचारु, मतिमान, सुचारुचारुण, हिमवान, चित्र और अतिन्द्रिय कहलाए।
Thank you!