भगवान गणेश | Lord Ganesha
भगवान गणेश (Lord Ganesha) के बारे में यूं तो पुराणों में कई रहस्यों का उल्लेख मिलता हैं। उन्हीं रहस्यों में से कुछ रहस्यों का उल्लेख प्रस्तुत किया जा रहा है।
भगवान गणेश परिचय (Lord Ganesha Short Introduction Hindi)

अन्य नाम | गजानन, गणपति, एकदंत आदि |
पिता | शिव |
माता | पार्वती |
जन्म विवरण | भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि |
भाई | कार्तिकेय |
बहन | अशोक सुंदरी |
पत्नी | रिद्धि, सिद्धि (विश्वकर्मा की पुत्री) |
संतान | शुभ, लाभ (पुत्र); संतोषी (पुत्री) |
वाहन | मूषक |
प्रतीक चिन्ह | स्वस्तिक |
त्यौहार | गणेश चतुर्दशी |
सम्बंधित लेख | गणेश द्वादश नाम स्त्रोतम, संकट नाशन गणेश स्त्रोत, श्री गणेश पंचरत्न स्त्रोत |
गणेश शब्द का अर्थ (Meaning of Ganesha Hindi)
गणेश, गण + ईश शब्द से मिलकर बना है। गण मतलब ‘देवताओं का समूह’ और ईश का अर्थ है ‘स्वामी’। अर्थात् देवताओं के समूह का स्वामी। यह पद परम पिता परमेश्वर को ही प्राप्त हो सकता है। इसलिए परमपिता परमेश्वर की पूजा गणेश के रूप में करने का विधान है
गणेश जी के वाहन (Ganesha Vehical)
गणेश के वाहन सिंह, मयूर और मूषक बताये गये है। सतयुग में इनका वाहन सिंह, त्रेता में मयूर, द्वापर में मूषक तथा कलियुग में धूम्रवर्ण है। इनका सबसे प्रसिद्ध वाहन मृषक बताया जाता है।
गणेश शब्द का पर्यायवाची ‘गणपति’ शब्द सर्वप्रथम बार ऋग्वेद में प्रयुक्त हुआ है- ‘गणाना त्वा गणपति हवा महें’ (२/२३/१ )। यहाँ से चलकर आज तक प्रत्येक धार्मिक क्रिया और लोक धर्म में गणेश की पूजा सर्वप्रथम होती है।
गणेश जी जन्म कथा (Lord Ganesh Birth Story Hindi)
पुराणों गणेश जी की उत्पत्ति की विरोधाभाषी कथाएं मिलती है। भ्रद्रपक्ष की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर 12 बजे गणेश जी का जन्म हुआ था। कहते है माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए ‘पुण्यक’ नामक उपवास किया था। इसी उपवास के कारण पार्वती को गणेश पुत्र रूप में प्राप्त हुए।
शिव महापुराण के अनुसार पार्वती को गणेश जी के निर्माण करने का विचार उन्हीं की सखी जया और विजया ने दिया था। उनकी सखी ने कहा था कि नंदी और सभी गण महादेव की आज्ञा का ही पालन करते है, इसलिए आपको भी ऐसे ही गण की रचना करना चाहिए, जो सिर्फ आपकी ही आज्ञा का पालन करें। इस विचार से प्रभावित होकर पर पार्वती ने श्री गणेश की रचना अपने शरीर के मैल और चन्दन के मिश्रण से करी।
माता पार्वती ने गणेश की रचना के बाद उन्हें पहरेदारी करने का आदेश दिया। माता ने कहा कि जब तक वह स्नान कर रही हैं तब तक के लिये गणेश किसी को भी घर में प्रवेश न करने दे।
तभी द्वार पर भगवान शंकर आए और बोले “पुत्र यह मेरा घर है मुझे प्रवेश करने दो।” गणेश के रोकने पर भगवान शिव ने क्रोध में आकर त्रिशूल से सर धड़ से अलग कर दिया। गणेश को भूमि में निर्जीव पड़ा देख माता पार्वती व्याकुल हो उठीं।
तब शिव को उनकी त्रुटि का बोध हुआ और उन्होंने गणेश के धड़ पर गज (हाथी) का सर लगा दिया। गणेश जी का सिर हाथी का हैं। इसलिए उन्हें ‘गजानन’ भी कहते हैं। भगवान शिव ने गणेश को प्रथम पूजनीय होने का वरदान भी दिया था।
गणेश जी का परिवार (Lord Ganesha Family)
गणेश जी की पत्नी और बच्चे
गणेश जी का विवाह प्रजापति की 2 पुत्रिया ‘ऋद्धि और सिद्धि’ के साथ हुआ था। सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नामक पुत्र पैदा हुए है। परंपरा में इन्हे ही शुभ-लाभ कहा जाता है। तुष्टि और पुष्टि इनकी पत्नियां है। जिनसे अमोद और प्रमोद नामक 2 पुत्र हुए।
मान्यता अनुसार गणेश की एक पुत्री भी है जिनका नाम ‘संतोषी‘ है। कथा अनुसार श्री गणेश एक बार अपनी बुआ से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे। गणेश पुत्री ने जिज्ञासा पूर्वक पूछा ये धागा क्यों बंधवा रहे हैं?
गणेश ने कहा ये धागा नहीं रक्षा सूत्र है। यह रक्षा सूत्र आशीर्वाद और भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। ऐसा सुनकर शुभ लाभ ने कहा ऐसा है तो हमें भी एक बहन चाहिए।
ऐसा सुनकर, भगवान् गणेश ने अपनी शक्ति से एक ज्योति उत्पन्न की और अपनी दोनों पत्नी की आत्मशक्ति के साथ इसे सम्मिलित कर दिया। इस ज्योति ने कन्या रूप धारण कर लिया और जिसका नाम संतोषी रखा गया। यह पुत्री माता संतोषी नाम से विख्यात है।
गणेश जी के भाई-बहन
गणेश जी के भाई का नाम ‘कार्तिकेय’ है और बहन का नाम ‘अशोक सुंदरी’ है। कार्तिकेय को स्कन्द या सुब्रह्मण्यम मुरुगन नाम से भी जाना जाता है। शिवपुराण अनुसार कार्तिकेय ने विवाह नहीं किया था। परंतु वैव्रत पुराण में कार्तिकेय के विवाह होने की बात कहीं गई है।
दक्षिण भारतीय मान्यता अनुसार कार्तिकेय का देवसेना (देवराज इंद्र की पुत्री) और अमृतवल्ली (भगवान विष्णूं की पुत्री) के साथ विवाह हुआ था।
विभिन्न पुराणिक मान्यता अनुसार गणेश के अन्य भाई ‘सुलेश, अयप्पा, जालंधर, अंधक और भूमा‘ भी है।
गणेश जी को प्रिय वस्तु
- इनकी प्रिय वस्तु दूर्वा, लाल पुष्प, अस्त्र पाश और अंकुश, प्रिय भोजन मोदक, केला आदि हैं।
- शिव पुराण अनुसार गणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है वह जड़ रहित, 4 अंगुल लंबी और तीन गांठो वाली होनी चाहिए।
- गणेश जी का रंग लाल और हरा है। इसमें लाल रंग शक्ति का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक माना गया हैं। इसका आशय है जहां गणेश जी का वाश होता है वहां सुख समृद्धि दोनों रहते है।
गणेश जी के 12 नाम (Twelve Name of Lord Ganesha)
गणेश जी के अनन्त नाम शास्त्रों में मिलते हैं जिनमे उनके 12 नाम प्रमुख हैं। जिनका उच्चारण प्रत्येक मंगलमय कार्य के समय, हिन्दू धर्म संस्कार तथा पूजन के समय प्रत्येक सम्प्रदाय में लिया जाता है। ये निम्न हैं –
1. सुमुख (सुन्दर मुख वाले ) 2. एकदन्त ( एक दौत वाले ) 3. कपिल ( कपिल वर्ण वाले ) 4. गजकर्ण ( हाथी के कान वाले ) 5. लम्बोदर (लम्बे पेट वाले ) 6. विकट ( भयंकर ) 7. विष्ननाशन ( विष्न दुर करने वाले ) 8. विनायक ( विशिष्ट नायकोचित गुण वाले ) 9. धुम्रकेतु ( धुएँ के रंग के पताका वाले ) 10. गणाध्यक्ष ( गणों के अध्यक्ष ) 11. भालचन्द्र ( मस्तक पर चन्द्रमा धारण करने वाले ) 12 गजानन ( हाथी के मुख वाले )।
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः ।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो गणाधिपः।
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः ।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छणुयादपि।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।
गणेश से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी (Intresting Facts about Ganesha)
महाभारत के लेखक गणेश
महाभारत के रचयिता तो ऋषि वेदव्यास थे, परन्तु इसके लेखन का दायित्व गणेश जी ने निभाया था। इतने बड़े ग्रंथ को लिपिबद्ध करना बड़ा दुष्कर कार्य था, इसलिए व्यास ऋषि ने ब्रह्मा की सलाह से भगवान गणेश को इस कार्य के लिए चुना।
गणेश जी लिखने के लिए राजी तो हो गए, मगर उन्होंने एक शर्त रख दी। “जब मैं लिखना प्रारम्भ करू तो मुझे रुकना न पड़े, अगर मैं तनिक भी रुक गया तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।” व्यास जी ने शर्त मान है, लेकिन आपको भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी- “आप प्रत्येक श्लोक का अर्थ समझकर ही लिखेंगे।”
इस प्रकार व्यास ऋषि बोलते गए और गणेश लिखते गए। गणेश जी की लिखने की गति अत्यंत त्रीव थी, इसलिए व्यास बीच-बीच मे श्लोक को जटिल बना देते ताकि उसके भाव को समझकर गणेश जब तक लिखते तब तक व्यास अगला श्लोक रच देते। इस प्रकार महाभारत का लेखन कार्य सम्पन हो गया।
योग साधना और गणेश
योग साधना भी गणेश की मान्यता को स्वीकार करता है। श्री गणेश को षटचक्र साधन योग का आधार स्वीकार किया गया है। मूलाधार चक्र जहाँ से कुण्डलिनी जागृति की जाती है वहाँ से इनका सम्बन्ध बताया गया है।
विदेशों में गणेश की पूजा
मूर्ति कला के क्षेत्र में गणेश की मूर्तियों भारत में ही नहीं विश्व के सभी भागों से प्राप्त हुई हैं। चीन, जापान, तिब्बत, कंबोडिया, बर्मा, जावा आदि देशों में गणेश की विभिन्न रूपों से पूजा होती रही है।
यहां तक कि वर्ष 1492 में ‘कोलम्बस्’ द्वारा अमरीका की खोज से पूर्व वहां भी गणेश, सूर्य आदि देवताओं की उपासना होती रही है, ऐसा खुदाई से पता चला है। इससे यह निश्चित है कि भारतीयों ने ईसवी सन् से बहुत वर्ष पूर्व अमरीका में अपना उपनिवेश स्थापित कर रखा था।
श्री गणेश आरती (Ganesh Aarti Lyrics In Hindi)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
Ganesh Aarti by Anuradha Paudwal (T-Series)
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