Lord Kamdeva: जानें, कामदेव का रहस्य
Kamdeva in Hindi: कामदेव हैं कौन? क्या वह एक काल्पनिक भाव है जो देव और ऋषियों को सताता रहता था या कि वह भी किसी देवता की तरह एक देवता थे? आईएं जानते हैं कामदेव का रहस्य..
इस लेख में आप पाएंगे:
- काम देव कौन है?
- कामदेव का सामान्य परिचय।
- कामदेव के माता पिता, भाई बहन, पत्नी बच्चे आदि।
- कामदेव के अस्त्र शास्त्र।
- कामदेव से जुडी पौराणिक कथा और रोचक तथ्य।
कामदेव का रहस्य (Secrets of Kamdeva)
Secrets of Kamdeva: आपने कामदेव के बारे में अवश्य ही सुना या पढ़ा होगा। पौराणिक काल की कई कहानियों में कामदेव का उल्लेख मिलता है। जितनी भी कहानियों में कामदेव के बारे में जहां कहीं भी उल्लेख हुआ है, उन्हें पढ़कर एक बात जो समझ में आती है वह यह कि कि कामदेव का संबंध प्रेम और कामेच्छा से है।
कामदेव कौन है? (Who was Lord Kamdev)
Who was Lord Kama: कामदेव को हिंदू शात्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं और रति उनकी पत्नी है। वे इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है।
कामदेव के अन्य नामों में रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन, रतिकांत, पुष्पवान, पुष्पधंव आदि प्रमुख हैं।
कामदेव का परिवार (Family of Kamdeva)
Family of Kamdeva: कामदेव देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र है। कामदेव ने दूसरी बार कृष्ण-रुक्मडी के पुत्र प्रद्युम्न, के रूप में जन्म लिया था। इनकी पत्नी का नाम रति है, जो प्रेम और आकर्षण की देवी है। कुछ कथाओं में यह भी उल्लिखित है कि कामदेव स्वयं ब्रह्माजी के पुत्र हैं। कुछ जगह पर धर्म की पत्नी श्रद्धा से इनका आविर्भाव हुआ माना जाता है।
कामदेव का स्वरूप (Iconography of kamdeva)
कामदेव को सुनहरे पंखों से युक्त एक सुंदर नवयुवक की तरह प्रदर्शित किया गया है जिनके हाथ में धनुष और बाण हैं। ये तोते के रथ पर मकर (एक प्रकार की मछली) के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं। वैसे कुछ शास्त्रों में हाथी पर बैठे हुए भी बताया गया है।
कामदेव का बाण, मित्र और निवास
कामदेव का धनुष प्रकृति के सबसे ज्यादा मजबूत उपादानों में से एक है। यह धनुष मनुष्य के काम में स्थिर-चंचलता जैसे विरोधाभासी अलंकारों से युक्त है। इसीलिए इसका एक कोना स्थिरता का और एक कोना चंचलता का प्रतीक होता है।
वसंत, कामदेव का मित्र है इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। बाण (तीर) कामदेव का सबसे महत्त्वपूर्ण है यह स्वर विहीन होती है। यानी, यह जिस किसी को बेधता है, उसके पहले न तो आवाज करता है और न ही शिकार को सँभलने का मौका देता है।
कामदेव के धनुष का लक्ष्य विपरीत लिंगी होता है। इसी विपरीत लिंगी आकर्षण से बंधकर पूरी सृष्टि संचालित होती है। कामदेव का एक लक्ष्य खुद काम हैं, जिन्हें पुरुष माना गया है, जबकि दूसरा रति हैं, जो स्त्री रूप में जानी जाती हैं।
बाण के तीन कौने: इस तीर के तीन दिशाओं में तीन कोने होते हैं, जो क्रमश: तीन लोकों के प्रतीक माने गए हैं।
- प्रथम कोना: प्रथम कोना ब्रह्म के आधीन है जो निर्माण का प्रतीक है। यह सृष्टि के निर्माण में सहायक होता है।
- द्वितीय कोना: दूसरा कोना विष्णु के आधीन है, यह मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देता है।
- तीसरा कोना: कामदेव के तीर का तीसरा कोना महेश (शिव) के आधीन होता है, जो मोक्ष का प्रतीक है। यह मनुष्य को मुक्ति का मार्ग बताता है।
यानी, काम न सिर्फ सृष्टि के निर्माण के लिए जरूरी है, बल्कि मनुष्य को कर्म का मार्ग बताने और अंत में मोक्ष प्रदान करने का रास्ता सुझाता है।
कामदेव की सवारी (Ride of Kamdeva)
Ride of Kamdeva: हाथी को कामदेव का वाहन माना गया है। वैसे कुछ शास्त्रों में कामदेव को तोते पर बैठे हुए भी बताया गया है। प्रकृति में हाथी एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो चारों दिशाओं में स्वच्छंद विचरण करता है।
मादक चाल से चलने वाला हाथी तीन दिशाओं में देख सकता है और पीछे की तरफ हल्की सी भी आहट आने पर संभल सकता है। हाथी कानों से हर तरफ का सुन सकता है और अपनी सूंड से चारों दिशाओं में वार कर सकता है।
ठीक इसी प्रकार कामदेव का चरित्र भी देखने में आता है। ये स्वच्छंद रूप से चारों दिशाओं में घूमते हैं और किसी भी दिशा में तीर छोड़ने को तत्पर रहते हैं।
कामदेव सम्बंधित पौराणिक कथा (Kamdev Mythological story in Hindi)
पुराणों में कामदेव से सम्बंधित विभिन्न कथाएं मिलती है। जिनमें परस्पर विरोधाभास भी देखने को मिलता है। यहां पर यथासम्भव प्रमाणिक और रोचक जानकारी दी जा रही है। जिससे आप कामदेव को बेहतर समझ पाएंगे।
ब्रह्मा जी ने दिया था कामदेव को वरदान
भगवान ब्रह्मा ने दिया वरदान: पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय ब्रह्माजी प्रजा वृद्धि की कामना से ध्यानमग्न थे। उसी समय उनके अंश से तेजस्वी पुत्र काम उत्पन्न हुआ और कहने लगा कि मेरे लिए क्या आज्ञा है?
तब ब्रह्माजी बोले कि मैंने सृष्टि उत्पन्न करने के लिए प्रजापतियों को उत्पन्न किया था किंतु वे सृष्टि रचना में समर्थ नहीं हुए इसलिए यह कार्य अब तुम्हे करना होगा। मैं तुम्हें रहने के लिए 12 स्थान देता हूं- स्त्रियों के कटाक्ष, केश राशि, जंघा, वक्ष, नाभि, जंघमूल, अधर, कोयल की कूक, चांदनी, वर्षाकाल, चैत्र और वैशाख महीना।
इस प्रकार कहकर ब्रह्माजी ने कामदेव को पुष्प का धनुष और 5 बाण देकर विदा कर दिया। ब्रह्माजी से मिले वरदान की सहायता से कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ संसार के सभी प्राणियों को अपने वशीभूत करने लगे।
काम देव का भस्म होना (Why did Lord Shiva burn Kamdev?)
जब भगवान शिव की पत्नी सती ने पति के अपमान से आहत और पिता के व्यवहार से क्रोधित होकर यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था तब सती ने ही बाद में पार्वती के रूप में जन्म लिया। सती की मृत्यु के पश्चात भगवान शिव संसार के सभी बंधनों को तोड़कर, मोह-माया को पीछे छोड़कर तप में लीन हो गए। वे आंखें खोल ही नहीं रहे थे। और पढ़ें: भगवान शिव का रहस्य
ऐसे में इन्द्रादि देवो ने कामदेव को शिव पर अपना बाण चलाकर शिव के भीतर देवी पार्वती के लिए आकर्षण उत्पन्न करने को कहा। जब कामदेव ने शिवजी पर मोहन नामक बाण छोड़ा, जो शिवजी के हृदय पर जाकर लगा। और पढ़ें: जानियें, इंद्रदेव का रहस्य
इससे क्रोधित हो शिवजी ने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से उन्हें भस्म कर दिया। हालांकि बाद में शिवजी ने उन्हें जीवनदान दे दिया था, लेकिन बगैर देह के।
शिव द्वारा कामदेव को जीवन दान देना
भगवान शिव के क्रोधाग्नि से कामदेव के भस्म हो जाने पर कामदेव की पत्नी रति महादेव के चरणों पर गिरकर विलाप करने लगीं। और बोली- महादेव! स्वामी (कामदेव) ने देवताओं के कहने पर आपको समाधी से जगाने के लिए कामबाण चलाया था। आप हमें क्षमा कर दीजिए। इस प्रकार रति ने बारम्बार प्रार्थना करी। और पढ़ें: शिव पूजन में ध्यान देने योग्य बातें
रति की प्रार्थना से प्रसन्न हो शिवजी ने कहा कि कामदेव अनंग, शरीर के बिन रहकर भी समर्थ रहोगे। और कृष्णावतार के समय रुक्मणि के गर्भ से जन्म लोगे और तुम्हारा नाम प्रद्युम्न होगा। और पढ़ें: भगवान विष्णु के दशावतार
श्रीकृष्ण और रुक्मणि पुत्र ‘प्रद्युम्न’ है कामदेव का अवतार
जब शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया तब ये देख रति विलाप करने लगी तब जाकर शिव ने कामदेव के पुनः कृष्ण के पुत्र रूप में धरती पर जन्म लेने का वर दिया।
भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि को प्रद्युम्न नाम का पुत्र हुआ, लेकिन श्रीकृष्ण से दुश्मनी के चलते राक्षस शंभरासुर नवराज प्रद्युम्न का अपहरण करके ले गया और उसे समुद्र में फेंक आया। उस शिशु को एक मछली ने निगल लिया और वो मछली मछुआरों द्वारा पकड़ी जाने के बाद शंभरासुर के रसोई घर में ही पहुंच गई।
तब रति रसोई में काम करने वाली मायावती नाम की एक स्त्री का रूप धारण करके रसोईघर में पहुंच गई। वहां आई मछली को उसने ही काटा और उसमें से निकले बच्चे को मां के समान पाला-पोसा। जब वो बच्चा युवा हुआ तो उसे पूर्व जन्म की सारी याद दिलाई गई। प्रद्युम्न ने शंभरासुर के वध के बाद मायावती को अपनी पत्नी रूप में द्वारका ले आए।
कामदेव का मन्त्र (Kamdev Mantra in Hindi)
How to please Lord Kamdev: कामदेव के बाण ही नहीं, उनका ‘क्लीं मंत्र भी विपरीत लिंग के व्यक्ति को आकर्षित करता है। कामदेव के इस मंत्र का नित्य दिन जाप करने से न सिर्फ आपका साथी आपके प्रति शारीरिक रूप से आकर्षित होगा बल्कि आपकी प्रशंसा करने के साथ-साथ वह आपको अपनी प्राथमिकता भी बना लेगा।
कामदेव बीज मंत्र:
क्लीं
कामदेव गायत्री मंत्र:
‘ॐ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्’
Benefits of kamdev mantra: कहा जाता है कि प्राचीनकाल में अप्सरा और नर्तकियां भी इस मंत्र का जाप करती थीं, क्योंकि वे अपने प्रशंसकों के आकर्षण को खोना नहीं चाहती थीं। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का लगातार जाप करते रहने की वजह से उनका आकर्षण, सौंदर्य और कांति बरकरार रहती थी। और पढ़ें: जानियें, कौन से देवता को चढ़ाएं कौन सा प्रसाद
कामदेव वशीकरण मंत्र:
‘ॐ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा
इन मंत्रों को सुबह और शाम 108 बार जाप करना चाहिए। मंत्र एकांत में बैठकर करें और जिसके लिए यह मंत्र कर रहे हैं उसका ध्यान अवश्य करें, मंत्र 21 दिनों तक करना जरूरी है।
मदन कामदेव, कामदेव का मंदिर (Temple of kamdev in Hindi)
मदन कामदेव, कामदेव का मुख्य मंदिर है। यह मंदिर भारत के असम राज्य के कामरूप ज़िले में स्थित है। इसका निर्माण 9वीं और 10वीं शताब्दी ईसवी में कामरूप के पाल राजवंश द्वारा करा गया था।
इस मंदिर के इर्दगिर्द अन्य छोटे-बड़े मंदिरों के खंडहर बिखरे हुए हैं। माना जाता है कि खुदाई से बारह अन्य मंदिर मिल सकते हैं। समीप ही देवधर ग्राम है जिसमें गोपेश्वर नामक शिव का मंदिर है। इसके पास पार्वती गुहा नामक गुफ़ा स्थित है।
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