Pinaka Dhanush: महादेव के पिनाक धनुष का रहस्य
Pinaka Dhanush: भगवान शिव के धनुष का नाम था पिनाक धनुष था। इसलिए शिव को को पिनाकी भी कहते है। भगवान श्री राम ने सीता जी के स्वयंवर में ऋषि विश्वामित्र जी की आज्ञा से शिवजी का कठोर धनुष तोड़ कर सीता जी से विवाह किया था।
लेकिन शिवजी का वह धनुष किसने और किससे बनाया था? तथा वह शिव धनुष महाराज जनक जी के पास कैसे पहुंचा, इस रहस्य को बहुत कम लोग जानते हैं। इसलिए आजके इस लेख में हम भगवान शिव के शक्तिशाली धनुष: पिनाक धनुष के बारे में कुछ छिपे हुए तथ्य साझा करेंगे।
Pinaka Dhanush: महादेव के पिनाक धनुष का रहस्य
एक बार घोर कानन के अंदर कण्व मुनि बड़ी भारी तपस्या कर रहे थे। तपस्या करते करते समाधिस्थ होने के कारण उन्हें भान ही नहीं रहा कि उनका शरीर दीमक के द्वारा बाँबी बना दिया गया। उस मिट्टी के ढ़ेर पर ही एक सुंदर बाँस उग आया। कण्व जी की तपस्या जब पूर्ण हुई, तब ब्रह्मादेव ने उन्हें प्रकट होकर अनेक वरदान प्रदान किए और उन्होंने अपने अमोघ जल के द्वारा कण्व जी की काया को सुंदर भी बना दिया।
विषकर्मा ने बनाया था पिनाक धनुष (Celestial Bow Was Created By Lord Vishwakarma)
जब ब्रह्मा जी कण्व ऋषि ने को वरदान देकर जाने लगे, तब उन्हें ध्यान आया कि कण्व की मूर्धा पर उगी हुई बाँस कोई साधारण नहीं हो सकती। इसलिए इसका सद्उपयोग किया जाना चाहिए। यह विचारकर ब्रह्मा जी ने वह बाँस काटकर विश्वकर्मा जी को दे दिया। विश्वकर्मा जी ने उससे दो दिव्य धनुष बनाये, जिनमें एक जिसका नाम सारंग था, उन्होंने भगवान विष्णुजी को और एक जिसका नाम पिनाक था, शिव जी को समर्पित कर दिया।
पिनाक धनुष धारण करने के कारण ही शिवजी को “पिनाकी” कहा जाता है। शिवजी ने जिस पिनाक धनुष को धारण किया था, उसकी एक टंकार से बादल फट जाते थे और पृथ्वी डगमगा जाती थी। ऐसा लगता था मानों कोई भयंकर भूकंप आ गया हो। यह असाधारण धनुष अत्यंत ही शक्तिशाली था। इसी के मात्र एक ही तीर से भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया था।
शिव ने देवरथ को दिया था पिनाक धनुष (Lord Shiva’s Present To King Devaratha)
शिव ने इस धनुष को महाराजा जनक जी के पूर्वज देवरथ (Devaratha) को दे दिया। महाराजा जनक जी के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवरथ थे। शिवजी का वह धनुष उन्हीं की धरोहर स्वरूप जनक जी के पास सुरक्षित था। इस शिव-धनुष को उठाने की क्षमता कोई नहीं रखता था। Read Also: रामायण के प्रमुख पात्र
श्री राम ने पिनाक धनुष क्यों तोड़ा (Why Ram Broke Shiva dhanush)
एक बार बाल्यकाल में देवी सीता ने इस धनुष को उठा दिया था, जिससे प्रभावित हो कर जनक जी ने सोचा कि यह कोई साधारण कन्या नहीं है। अत: जो भी इससे विवाह करेगा, वह भी साधारण पुरुष नहीं होना चाहिए। इसी लिए ही जनक जी ने सीता जी के स्वयंवर का आयोजन किया था और यह शर्त रखी थी कि जो कोई भी इस शिव-धनुष को उठाकर, तोड़ेंगा, सीता जी उसी से विवाह करेंगीं।
उस सभा में दुनिया भर से योद्धा आए। लेकिन कोई उस धनुष में ओ उठा ना सका। अंततः भगवान श्री राम ने शिव-धनुष तोड़ कर सीता जी से विवाह किया था। जब शिवजी का वह कठोर धनुष टूटा तो उसकी ध्वनि सुनकर परशुराम जी इसलिए क्रोधित होकर जनक जी की सभा में आए थे क्योंकि भगवान शंकर, परशुराम जी के आराध्य देव हैं।