Skip to content

Imvashi

  • Home
  • HindusimExpand
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Mahavidya
    • Pauranik katha
  • TempleExpand
    • Jyotirlinga
    • ShaktiPeeth
  • AstrologyExpand
    • Jyotish
    • Face Reading
    • Shakun Apshakun
    • Dream
    • Astrologer
    • Free Astrology Class
  • BiogpraphyExpand
    • Freedom Fighter
    • Sikh Guru
  • TourismExpand
    • Uttar Pradesh
    • Delhi
    • Uttarakhand
    • Gujarat
    • Himachal Pradesh
    • Kerala
    • Bihar
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Kerala
    • Karnataka
    • Nagaland
    • Odisha
  • Contact Us
Free Kundi
Imvashi
Free Kundli

वामन अवतार (Vamana Avatar)

Byvashi Hinduism
4.8/5 - (59 votes)

वामन (Vaman) भगवान विष्णु के पाँचवे तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए इन्हें दक्षिण भारत में उपेन्द्र नाम से भी जाना जाता है।

वामन अवतार परिचय (Introduction of Vamana Avatar)

नामवामन
अवतारविष्णु के पांचवे अवतार
युगत्रेता युग
जन्म स्थानहरिद्वेई (वर्तमान हरदोई)
जयंती भाद्र मास, शुक्ल पक्ष, द्वादशी तिथि
पिताकश्यप ऋषि
माताअदिति
विवाहब्रह्मचारी
हथियार हथियार नही (हाथ में कमण्डल, छाता और भिक्षा कटोरी)
उद्धारदैत्यराज बलि

भगवान विष्णु के पांचवे अवतार (Lord Vishnu Fifth Avatar)

भगवान की लीला अन्नत है और उसी में से एक वामन अवतार हैं। इसके विषय में श्रीमद् भागवत पुराण में विस्तार से उल्लेख है। हरिद्वेई (वर्तमान हरदोई) में भगवान ने 2 बार अवतार लिया था इसलिए इसका नाम हरिद्वेई पड़ा। एक बार नरसिंह अवतार के रूप में और दूसरी बार वामन अवतार के रूप में।

वामन अवतार को विष्णु का महत्वपूर्ण अवतार माना जाता है। जिन्होंने कश्यप ऋषि की पत्नी अदिति के गर्भ से जन्म लिया था, कथा कुछ इस प्रकार है-

वामन अवतार कथा (Vamana Avatar story In Hindi)

महान वीर और प्रतापी दैत्यराज बलि प्रह्लाद का पौत्र तथा विरोचन का पुत्र था। यद्दपि वह एक दैत्य था फिर भी ईश्वर के प्रति निष्ठा थी। यही कारण था कि वह धर्मात्मा एवं सत्यव्रती था।

बलि ने अपने शक्ति के बल पर पृथ्वि और स्वर्ग लोक को भी जीत लिया था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य राजा बलि के लिए एक यज्ञ का आयोजन कर रहे थे। इससे असुरों की शक्ति में वृद्धि हो जाती हैं और असुरों को हराना मुश्किल हो जाता।

जब देवताओं के राजा इन्द्र को इस बात का ज्ञान हुआ। तब इंद्रादि देव भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं। भगवान विष्णु उनकी सहायता करने का आश्वासन देकर वापस भेज देते है।

दूसरी तरफ देवताओं की दुर्दशा से ऋषि कश्यप की अर्धाग्नि अदिति भी परेशान थी। ऋषी कश्यप के कहने से माता अदिति ‘पयों व्रत’ का अनुष्ठान करती है, जो पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता हैं।

भगवान विष्णु अदिति के तपस्या से प्रसन्न होकर वामन रूप में उनके गर्भ से उत्पन्न होने का वरदान दे देते हैं। भाद्रपक्ष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन माता अदिति के गर्भ से जन्म लेकर ब्रह्मचारी ब्राह्मण का रूप धारण कर लेते हैं।

महर्षि कश्यप ऋषियों के साथ उनका उपनयन संस्कार करते हैं। वामन बटुक को महर्षि पुलह ने यज्ञोपवीत, अगस्त्य ने मृग चर्म, मरीचि ने पालश का दण्ड, आंगिरस ने वस्त्र, सूर्य ने छत्र, भृगु ने खड़ाऊ, माता अदिति ने कोपीन, सरस्वती ने रुद्राक्ष की माला तथा कुबेर ने भिक्षा पात्र प्रदान किया।

तत्पश्चात भगवान वामन पिता से आज्ञा लेकर बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंच जाते हैं। उस समय राजा बलि भृगुकच्छ (वर्तमान भड़ौच नगर, गुजरात) में नर्मदा के उत्तर तट पर यज्ञ कर रहे होते हैं।

बटुक ब्राह्मण को देखकर दैत्यराज बलि ने आगे बढ़कर उनका स्वागत किया।उन्हें आसन पर बिठाकर बलि विनम्र स्वर में बोला-“ब्राह्मणकुमार! आज्ञा दीजिए, मैं आपकी क्या सेवा करू? धन स्वर्ण, अन्न, भूमि आपको जिस वस्तु की इच्छा हो, नि:संकोच मांग लीजिए। मैं आपकी समस्त इच्छाएँ पूर्ण करूंगा।

“दैत्यराज! आप अभीष्ट वस्तुएँ देने में सक्षम हैं, इसलिए मैं आपसे केवल तीन पग भूमि माँगता हूँ। आप तीनों लोकों के स्वामी एवं उदार आत्मा हैं, फिर भी मुझे इससे अधिक कुछ नहीं चाहिए।”

दैत्यराज बलि हाथ में गंगाजल लेकर उन्हें तीन पग भूमि देने का संकल्प करने लगे। शुक्राचार्य ने बलि को खूब समझाया ये देवताओ की चाल है, ये श्री हरि विष्णु है। आप संकल्प मत कीजिए।

मगर राजा बलि दैत्य गुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भी अपने वचन पर अडिग रहते हुए 3 पग भूमि दान करने का वचन दे देते हैं। बलि द्वारा संकल्प करते ही वहाँ एक अद्भुत घटना घटी। भगवान् वामन ने अपने शरीर को इतना विशालकाय कर लिया कि उनका विराट् स्वरूप देखकर ऋषि-मुनि और दैत्य आश्चर्यचकित रह गए।

वामन भगवान एक पग में स्वर्गादि ऊर्ध्व लोको को दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लेते हैं। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान शेष नहीं रहता। बलि के समाने संकट उत्पन्न हो गया कि वामन के लिए तीसरा पग रखने के लिए स्थान कहा से लाए।

ऐसे में राजा बलि अपना वचन नहीं निभाए तो अधर्म होगा। आखिर में बलि अपना सिर वामन कर आगे कर देते है और कहते है तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए।

भगवान वामन ऐसा ही करते है और बलि को पाताल लोक में रहने का आदेश देते हैं। साथ ही बलि के द्वारा वचन पालन करने पर भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने के लिए कहते हैं। बलि भगवान विष्णु से दिन रात अपने सामने रहने का वर मांग लेते है।

श्री विष्णु अपने वचन का पालन करते हुए पाताल लोक में राजा बलि का द्वारपाल बनना स्वीकार कर लेते हैं।

इस प्रकार भगवान विष्णु ने वामनावतार लेकर माता अदिति को दिए वरदान को पूर्ण किया, इन्द्र को उनका राज वापस दिलवाया तथा पृथ्वी को असुरों से मुक्त करवाया।


वामन जयंती पूजन विधि

भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान वामन ने अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है। अगर इस दिन श्रावण नक्षत्र पड़ रहा हो तो इस व्रत की महत्ता और भी बढ़ जाती है। क्योंकि वामन अवतरण के समय श्रवण नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त था।

इस दिन विष्णु भक्तोँ को उपवास रखना चाहिए और भगवान वामन का प्रतिमा पर पंचोपचार से पूजन कर अधिक से अधिक हरि नाम का जप करना चाहिए। इस दिन दान का विशेष महत्व है।

वामन जयंती 2021 मुहूर्त

इस वर्ष वामन जयन्ती 17 सितंबर 2021 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा।।

द्वादशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 17, 2021 को 08:07 AM  
द्वादशी तिथि समाप्त – सितम्बर 18, 2021 को 06:54 AM 

श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – सितम्बर 17, 2021 को 04:09 AM 
श्रवण नक्षत्र समाप्त – सितम्बर 18, 2021 को 03:36 AM


Related Posts

  • सत्यवती: एक बुद्धिमान और महत्वाकांक्षी महिला

  • Diwali Interesting Facts: दिवाली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • Kalawa significance: कलावे का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

  • Vishnu Avtar: भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा स्त्री अवतार

  • Keeping Dog: हमें घर में कुत्ता पालना चाहिए या नही?

All Rights Reserved © By Imvashi.com

  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact
Twitter Instagram Telegram YouTube
  • Home
  • Hinduism
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Maha Vidhya
    • Hindu Manyata
    • Pauranik Katha
  • Temple
    • 12 Jyotirlinga
    • Shakti Peetha
  • Astrology
    • Astrologer
    • jyotish
    • Hast Rekha
    • Shakun Apshakun
    • Dream meaning (A To Z)
    • Free Astrology Class
  • Tourist Places
    • Delhi
      • Biography
        • Freedom Fighter
        • 10 Sikh Guru
    • Uttar Pradesh
    • Madhya Pradesh
    • Utrakhand
    • Rajasthan
    • Bihar
    • Hariyana
    • Andhra Pradesh
    • Jharakhand
    • Maharashtra
    • West Bengal
    • Panjab
    • Odisha
    • Telangana
    • Assam
    • Sikkim
    • Tamilanadu
    • Kerala
    • Tripura
  • Astrology Services
  • Donate
Search