Madhepura (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
मधेपुरा (Madhepura) भारत के बिहार राज्य का जिला है। इसका मुख्यालय मधेपुरा शहर है। यह शहर उत्तर में अररिया और सुपौल, दक्षिण में खगड़िया और भागलपुर, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा से घिरा हुआ है।
Madhepura: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 1,788 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी |
दर्शनीय स्थल | चंडी स्थान, सिंघेश्वर स्थान, श्रीनगर, रामनगर, बसन्तपुर, बिराटपुर और बाबा करु खिरहर आदि। |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
मधेपुरा का इतिहास कुषाण वंश के शासनकाल से सम्बन्धित है। प्राचीन समय में भांत समुदाय के लोग शंकरपुर खंड स्थित बसंतपुर और रायभीर गांव में रहते थे। मधेपुरा मौर्य वंश का ही एक हिस्सा था।
इस बात का प्रमाण उद-किशनगंज स्थित मौर्य स्तम्भ में मिलता है। अकबर के समय की मस्जिद वर्तमान समय में सारसंदी गांव में स्थित है, जो कि इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, सिंकदर शाह भी इस जिले में घूमने के लिए आए थे।
मधेपुरा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places To visit in Hindi)
Madhepura Tourist Places: मधेपुरा, धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। चंडी स्थान, सिंघेश्वर स्थान, श्रीनगर, रामनगर, बसन्तपुर, बिराटपुर और बाबा करु खिरहर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से हैं।
चंडी स्थान (Chandi Temple)
मुरलीगंज रेलवे स्टेशन के उत्तर में आठ किलोमीटर की दूरी पर चंडी स्थान स्थित है। यह एक धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह गांव विशेष रूप से यहां स्थित देवी चंडिका के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। काफी संख्या में भक्त मंदिर में देवी के दर्शनों के लिए आते हैं।
सिंघेश्वर (Singheshwar)
सिंघेश्वर स्थान प्राचीन समय से भगवान शिव का निवास स्थान रहा है। सिंघेश्वर मंदिर की स्थापना को लेकर अनेक कहानियां कहीं गई है। माना जाता है कि प्राचीन समय में, सिंघेश्वर कोशी नदी के तट पर स्थित था और यह जगह सघन जंगलों से घिरा हुआ था। यह स्थान तपस्या के लिए आदर्श स्थल के रूप में प्रसिद्ध था। इसी जगह पर विखंडक त्रषि ने अपने पुत्र ऋषया श्रृंग के साथ काफी लम्बे समय तक ध्यान साधना की थी।
कहा जाता है कि ऋषया श्रृंग जिस आश्रम में रहते थे वह कोशी नदी के तट पर स्थित था। उसी जगह को श्रृंगेश्वर के नाम से जाना जाता था। लेकिन कुछ समय बाद इस जगह का नाम बदलकर सिंघेश्वर रख दिया गया। ऋषया श्रृंग भगवान शिव का भक्त था और वह आश्रम में भगवान शिव की प्रतिदिन उपासना किया करता था। पौराणिक कथा के अनुसार, उस आश्रम में एक प्राकृतिक शिवलिंग उत्पन्न हुई थी।
वर्तमान समय में उस स्थान पर एक खूबसूरत मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि एक व्यापारी जिसका नाम हरि चरण चौधरी था, ने इस मंदिर का निर्माण लगभग 200 वर्ष करवाया था। यह शिवलिंग एक विशाल चट्टान पर स्थित है, जो कि करीबन 15-16 फीट ऊंची है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर लाखों की संख्या में भक्त भगवान शिव की पूजा करने के लिए यहां पर आते हैं।
श्रीनगर गांव (Shrinagar Village)
मधेपुरा शहर के उत्तर-पश्चिम से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिंघेश्वर में यह गांव है। इस गांव में दो किले हैं। माना जाता है कि इनसे से एक किले का इस्तेमाल राजा श्री देव रहने के लिए किया करते थे। किले के पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर दो विशाल कुंड स्थित है।
जिसमें पहले कुंड को हरसर और दूसर कुंड को गुपा के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त यहां एक मंदिर भी है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में स्थित पत्थरों से बने स्तंभ इसकी खूबसूरती को और अधिक बढ़ाते हैं।
रामनगर (Ramnagar)
मुरलीगंज रेलवे स्टेशन से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर रामनगर गांव है। यह गांव विशेष रूप से यहां स्थित देवी काली के मंदिर के लिए जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष काली-पूजा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
बसन्तपुर (Babatpur)
मधेपुरा के दक्षिण से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर बसंतपुर गांव स्थित है। यहां पर एक किला है जो कि पूरी तरह से विध्वंस हो चुका है। माना जाता है कि यह किला राजा विराट के रहने का स्थान था। राजा विराट के साले कीचक, द्रौपदी से यह किला छिन लेना चाहते थे। इसी कारण भीम ने इसी गांव में उसको मारा था।
बिराटपुर (Viratpur)
सोनबरसा रेलवे स्टेशन से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर बिराटपुर गांव है। यह गांव देवी चंडिका के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर का सम्बन्ध महाभारत काल से है। कहा जाता है कि इस मंदिर का प्रमुख द्वार विराट के महल की ओर है। 11वीं शताब्दी में राजा कुमुन्दानंद के सुझाव से इस मंदिर के बाहर पत्थर के स्तम्भ बनवाए गए थे।
इन स्तम्भों पर अभिलेख देखे जा सकते हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है। इसके साथ ही यहां पर दो स्तूप भी है। लगभग 300 वर्ष प्राचीन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर के पश्चिम से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा पर्वत है। लोगों का मानना है कि कुंती और उनके पांचों पुत्र पांडव इस जगह पर रहे थे।
बाबा कारू खिरहर (Sant baba karu khirher)
बाबा कारु खिरहर मंदिर महर्षि खण्ड के महपुरा गांव में स्थित है। बाबा करु खिरहर मंदिर का नाम एक प्रसिद्ध संत के नाम पर रखा गया था। असम, बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के आस-पास के जिलों से काफी संख्या में लोग यहां आते हैं।
मधेपुरा कैंसे पहुंचे (How to Reach Madhepura)
वायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना स्थित जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। पटना से मधेपुरा 234 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: मधेपुरा रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन दौराम मधेपुरा है।
सड़क मार्ग: भारत के कई प्रमुख शहरों शहरों से मधेपुरा सड़कमार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 31 से होते हुए मधेपुरा पहुंचा जा सकता है।
कहां ठहरें: मधेपुरा में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक इसके नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं। पटना के प्रमुख होटलों की सूची इस प्रकार है।