MP Tourism: मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पर्यटन स्थल अन्य राज्यों के पर्यटक स्थलों से इस अर्थ में भिन्न हैं कि यहाँ लगभग प्रत्येक पर्यटन स्थल सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक और धार्मिक दृष्टि से समान महत्व का है। मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया ज सकता हैं।
- ऐतिहासिक एवं पुरातत्वीय स्थान
- प्राकृतिक सौन्दर्य के स्थान
- धार्मिक महत्व के स्थान
- वन्य प्राणी पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल (Madhya Pradesh Tourist place)
मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक परिवेश इसे पर्यटन स्थल के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान दिलवाई है। यहाँ सम्भवतः कोई भी ऐसा जिला न होगा जहाँ कोई दर्शनीय या पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल न हो।
#1 चित्रकूट (Chitrakoot)
प्राचीनकाल में तपस्या और शांति का स्थल चित्रकूट ब्रह्मा, विष्णु, महेश के बाल अवतार का स्थान माना जाता है। वनवास के समय भगवान राम, सीता, लक्ष्मण महर्षि अत्रि तथा सती अनुसूया के अतिथि बनकर यहाँ कुछ समय रहे थे। यही पर सती अनुसूया ने सीता को प्रतिव्रता स्त्री के धर्म को बताया था। औऱ पढें: रामायण के प्रमुख पात्र
दर्शनीय स्थल- दर्शनीय स्थल रामघाट में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित घाटों की कतारें हैं कामदगिरि जानकी कुण्ड, सती अनुसूया, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, भरत कूप दर्शनीय स्थल हैं। और पढ़ें: चित्रकूट के दर्शनीय स्थल और मंदिर
#2 उज्जैन (Ujjain)
उज्जैन, भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो क्षिप्रा नदी या शिप्रा नदी के किनारे पर बसा है। यह एक अत्यन्त प्राचीन शहर है। पुराणों में उज्जयिनी, अवन्तिका, अमरावती, प्रतिकल्पा कुमुद्धती आदि नामों से इसकी महिमा गायी गई है।
यह महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। श्रीकृष्ण सुदामा ने यहीं संदीपनि आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। उज्जैन का सिंहस्थ पर्व प्रत्येक बारह वर्षों के अंतराल से कुम्भा पर्व रूपी दुर्लभ अवसर पर मनाया जाता है।
#3 ओंकारेश्वर (Omkareshwar)
ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में अवस्थित है। ओंकारेश्वर नगरी का मूल नाम ‘मान्धाता’ है। ओंकारेश्वर प्रारंभ में भील राजाओं की राजधानी थी। लंबे समय तक ओम्कारेश्वर भील राजाओं के शासन का क्षेत्र रहा है।
यहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक “ओंकारेश्वर” स्थित है। ॐकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है। नर्मदा नदी भारत की पवित्रतम नदियों में से एक है। और अब इस पर विश्व का सर्वाधिक बड़ा बांध परियोजना का निर्माण हो रहा है। और पढें: शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग
लोक माम्यता अनुसार- अहिल्याबाई होलकर की ओर से यहाँ नित्य मृत्तिका के 18 सहस्र शिवलिंग तैयार कर उनका पूजन करने के पश्चात उन्हें नर्मदा में विसर्जित कर दिया जाता है।
दर्शनीय स्थल- ओंकार मांधाता, सिद्धनाथ मंदिर, चौबीस अवतार, सप्तमातृ का मंदिर तथा काजल रानी गुफा आदि।
#4 ओरछा (Orchha)
ओरछा (Orchha) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के निवाड़ी ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। ओरछा बुंदेलखण्ड क्षेत्र में बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ है। यह टीकमगढ़ से 80 किमी और उत्तर प्रदेश राज्य में झांसी से 15 किमी दूर है। क्रांतिवीर चन्द्रशेखर आजाद की साधना स्थली के नाते भी ओरछा विख्यात है।
दर्शनीय स्थल- रामराजा मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, फूलबाग, दीवाल हरदौल महल, जहाँगीर महल, राजमहल राय प्रवीण महल, , सुन्दर महल, छतरियाँ, शहीद स्मारक आदि दर्शनीय स्थल हैं।
#5 ग्वालियर (Gwalior)
ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर और राज्य का का एक प्रमुख शहर है। ग्वालियर को गालव ऋषि की तपोभूमि भी कहा जाता है। आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है और एक जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है।
दर्शनीय स्थल- गूजरी महल, मान मंदिर, सूरजकुण्ड, तेली का मंदिर, सास-बहू का मंदिर, जयविलास महल, रानी लक्ष्मीबाई की अश्वारोही मूर्ति, संग्रहालय, तानसेन की समाधि, गौस मोहम्मद का मकबरा, रानी लक्ष्मीबाई की समाधि, कला वीथिका, नगरपालिका संग्रहालय, चिड़ियाघर, गुरुद्वारा सूर्य मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं।
#6 भोपाल (Bhopal)
भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है। भोपाल को राजा भोज की नगरी तथा ‘झीलों की नगरी’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े तालाब हैं। एक मान्यता के अनुसार भोपाल का प्राचीन नाम भूपाल था अर्थात् भू = भूमि, पाल=दूध।
भोपाल की स्थापना परमार राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी। भोपाल पाँच पहाड़ियों पर बसा है तथा इसमें दो झीलें हैं. यहाँ की जलवायु सम है। यहां का छोटा तालाब, बड़ा तालाब, भीम बैठका, अभयारण्य, शहीद भवन तथा भारत भवन देखने योग्य हैं।
दर्शनीय स्थल- बड़ी और छोटी झील, लक्ष्मीनारायण मंदिर, बिड़ला संग्रहालय, शौकत महल और सदर मंजिल, भारत भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, राजकीय संग्रहालय, गांधी भवन, वन विहार, ताज-उल-मसजिद, जामा मस्जिद,आदि प्रमुख स्थल है।
#7 साँची (Sanchi)
साँची (Sanchi) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन ज़िले में भोपाल से 46 किमी की दूरी पर स्थित है। साँची को पूर्व में ‘काकणाय’, ‘काकणादबोट’, ‘बौद्ध श्रीपर्वत’ नामों से जाना जाता था।
साँची के स्मारकों के निर्माण का श्रेय मौर्य सम्राट अशोक को जाता हैं। साँची बौद्ध स्तूपों के लिए विश्वविख्यात है। यहाँ तीन स्तूप हैं. पहला स्तूप अन्य दो स्तूपों से बड़ा है इसलिए इसे मुख्य स्तूप कहते हैं इसका व्यास 36.5 मीटर है और ऊँचाई 16-4 मीटर है। स्तूपों के तोरण द्वार पर जातक कथाएँ व बुद्ध के जीवन की जन्म से मोक्ष प्राप्ति तक की घटनाएँ अंकित हैं। साँची के स्तूप विश्व धरोहर में सम्मिलित हैं।
अन्य आकर्षण- स्थल बौद्ध विहार, अशोक स्तंभ, महापात्र, गुप्तकालीन मंदिर तथा संग्रहालय यहाँ के अन्य दर्शनीय स्थल हैं.
#8 पचमढ़ी (Pachmarhi)
पचमढ़ी (Pachmarhi) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के होशंगाबाद ज़िले में स्थित एक हिल स्टेशन है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह शहर अक्सर “सतपुड़ा की रानी” कहलाता है।
यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा अनोखा है कि यहाँ पहुँचकर कोई भी पर्यटक मंत्रमुग्ध-सा रह जाता है। ग्रीष्मकाल में जब मैदानी भाग लू के तपते थपेड़ों से व्याकुल रहते हैं तब पचमढ़ी में शीतल समीर के झोंकों का स्पर्श अत्यंत आनंद दायी तथा सुखद प्रतीत होता है।
सामान्य मान्यता के अनुसार पचमढ़ी नाम, पंचमढ़ी या पांडवों की पांच गुफा से व्युत्पन्न है। प्रचलित दंत कथा के अनुसार इनमें पाण्डवों ने वनवास काल का एक वर्ष बिताया था।
दर्शनीय स्थल- प्रियदर्शिनी, हाड़ी खोह, रजत प्रपात, राजगिरि, लांजी गिरी, आईरीन सरोवर जलावतरण (डचेस फॉल), जटाशंकर छोटा महादेव, महादेव चौरागढ़, धूपगढ़, पांडव गुफाएँ, गुफा समूह धुआँधार भ्रांत नीर (डीरोथी डिप), अस्ताचल, बीनवादक की गुफा (हार्पर केव) तथा सरदार गुफा आदि प्रमुख है।
#9 खजुराहो (Khajuraho)
खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। खजुराहो को प्राचीन काल में ‘खजूरपुरा’ और ‘खजूर वाहिका’ के नाम से भी जाना जाता था।
ऐसा कहा जाता है कि चन्देल राजाओं के समय मुख्य द्वार पर सोने के खजूर आकृति के दो द्वार थे इसी आधार पर इसका नाम ‘खर्जूरवाहक’ पड़ा और कालान्तर में ‘खजुराहो’ नाम से प्रसिद्ध हुआ।
दर्शनीय स्थल- पश्चिम समूह (दरिया महादेव, चौंसठ योगिनी चित्रगुप्त मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, लक्ष्मण मंदिर तथा मातंगेश्वर मंदिर) , पूर्वी समूह (पार्श्वनाथ मंदिर, घंटाई मंदिर आदिनाथ मंदिर) दक्षिण समूह (दूल्हादेव मंदिर तथा चतुर्भुज मंदिर)
#10 मांडू या मांडव (Mandav)
माण्डू या माण्डवगढ़, धार जिले के माण्डव क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन शहर है। विन्धयाचल पर्वत शृंखला में स्थित होने के कारण इसका सुरक्षा कि दृस्टि से बहुत अधिक महत्व था। इसलिए मालवा के परमार राजाओं ने इसे अपनी राजधानी बनाया था।
आज यह एक पर्यटक स्थल के रूप मे प्रसिद्ध है। यहाँ का प्रत्येक स्थापत्य भारतीय वास्तुकला का भव्य नमूना है। प्रतिवर्ष हजारों कि संख्या में सैलानी वास्तुकला के उत्कृष्टतम और आकर्षक नक्काशीदार गुम्बद को देखने आते है।
दर्शनीय स्थल– मांडू का परकोटा, जहाज महल, हिंडोला महल, होशंगशाह का मकबरा, जामा मस्जिद अशर्फी महल, रेवा कुण्ड, रूपमती मंडप, नीलकंठ, नीलकंठ महल, हाथी महल तथा लोहानी गुफाएँ आदि दर्शनीय स्थल हैं।
#11 अमरकंटक (Amarkantak)
प्राकृतिक सुषमा के बीच चित्रकूट में पर्यटक मानसिक शांति प्राप्त करते हैं। भक्त शिरोमणि तुलसीदास जी आत्मिक शांति की खोज में यहाँ आये थे।
अमरकंटक (Amarkantak) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अनूपपुर ज़िले में स्थित एक नगर हैं। भारत की प्रमुख सात नदियों में से अनुपम नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकण्टक प्रसिद्ध तीर्थ और नयनाभिराम पर्यटन स्थल है।
दर्शनीय स्थल- अमरकण्टक के मन्दिर जिनकी संख्या 24 है. कपिलधारा जलप्रपात, सोन मुग, माई की बगिया, कबीर चौरा, भृगु कमण्डल और पुष्कर बाँध देखने योग्य हैं ।
दर्शनीय स्थल- यहाँ महाकालेश्वर मंदिर, मंगलनाथ काल भैरव, विक्रान्त भैरव, हरसिद्धि चौसठ योगिनी, गढ़कालिका, नगर कोट की रानी, गोपाल मंदिर, अनंत नारायण मंदिर, अंकपात, नवग्रह मंदिर, चिन्तामण गणेश, अवन्ति पार्श्वनाथ मंदिर, ख्वाजा शकेब की मस्जिद, जामा मस्जिद, शाही मस्जिद, वैश्य टेकरी का स्तूप, कालियादह महल, पीर-मत्स्येन्द्र की समाधि, जय सिंहपुरा, दिगम्बर जैन संग्रहालय, वाकणकर स्मृति जिला पुरातत्व संग्रहालय, भारतीय कला भवन, दुर्गादास राठौर की छत्री आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
#12 भेड़ाघाट (Bhedaghat)
भेड़ाघाट (Bhedaghat) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। भेड़ाघाट एक रमणीय पर्यटन स्थल है। धुआंधार जलप्रपात यहां के आकर्षक का केंद्र है। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित चौसठ योगिनी मंदिर भी इसके समीप स्थित है।
संगरमर की चट्टानें – चाँद की रोशनी में भेड़ाघाट की सैर एक अलग ही तरह का अनुभव रहता है। संगमरमर की सौ फुट तक ऊँची चट्टानें भेड़ाघाट की खासियत हैं। इस स्थल पर पर्यटकों के लिए नौका विहार की सुविधा है.
धुआँधार जलप्रपात – भेड़ाघाट के पास नर्मदा का पानी एक बड़े झरने के रूप में गिरता है। यह स्पॉट धुआँधार फॉल्स कहलाता है।
चौंसठ योगिनी मंदिर – भेड़ाघाट के पास ही यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। यह बहुत ही भव्य मंदिर है। यहाँ ६४ योगिनी अर्थात् देवियों की प्रतिमा है।
#13 शिवपुरी (Shivpuri)
शिवपुरी (Shivpuri) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के शिवपुरी ज़िले में स्थित एक नगर व नगर पंचायत है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।शिवपुरी ग्वालियर रियासत के सिंधिया राजाओं की ग्रीष्म कालीन राजधानी थी।
माधव राष्ट्रीय उद्यान– माधव राष्ट्रीय उद्यान 156 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हैं। यह उद्यान विभिन्न प्रकार की वनस्पति एवं विविध प्राणियों से समृद्ध है। पार्क पूरे वर्ष सैलानियों के लिए खुला रहता है।
धार्मिक स्थल- बाण गंगा धाम, मोहिनेश्वर धाम, चिन्ताहरण मंदिर, शिव मंदिर (छतरी रोड), बांकडे हनुमान मंदिर, श्री राज राजेश्वरी मंदिर, श्री सिद्धेश्वर शिव मंदिर, श्री मंशापूर्ण हनुमान मंदिर, श्री धाय महादेव मंदिर खोड़, श्री बिलैयाजी निर्मित जगदीश्वर महादेव मन्दिर सिरसौद करैरा, जामा मस्जिद।
#14 महेश्वर (Maheshwar)
महेश्वर (Maheshwar) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खरगोन ज़िले में स्थित एक नगर है। सम्राट् कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी महिष्मति ही आधुनिक महेश्वर है।
रामायण तथा महाभारत के अनुसार महेश्वर शहर की स्थापना हैयवंशी राजा सहस्रार्जुन ने की थी। इन्होंने रावण को युद्ध पराजित किया था।
राजगद्दी और रजवाड़ा – महेश्वर किले के अंदर रानी अहिल्याबाई की राजगद्दी पर बैठी हुई एक प्रतिमा रखी गई है।
मंदिर- महेश्वर में घाट के आसपास कालेश्वर, राजराजेश्वर, विठ्ठलेश्वर और अहिलेश्वर मंदिर हैं।
नौका विहार- सम्पूर्ण नर्मदा तट और अहिल्या घाट के करीब तीन किमी दूर सहस्त्रधारा तक नर्मदा में नौका विहार में एक पावन अनुभव होता है।
#15 बाँधवगढ़ (Bandhavgarh)
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है। वर्ष 1968 में निर्मित यह राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। इस उद्यान में एक मुख्य पहाड़ है जो ‘बांधवगढ़’ कहलाता है। बांधवगढ़ 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। 811 मीटर ऊँचे इस पहाड़ के पास छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान- बांधवगढ़ का वन क्षेत्र विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जन्तुओं से भरा हुआ है। इस राष्ट्रीय उद्यान में पशुओं की 22 और पक्षियों की 250 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहां बाघ भी आसानी से देखा जा सकता है। यहाँ बाघों की सघनता पूरे भारत की तुलना में सर्वाधिक है। हाथी पर सवार होकर या फिर वाहन में बैठकर इन वन्यप्राणियों को देखा जा सकता है।
किला- बांधवगढ़ की पहाड़ी पर लगभग 2 हजार वर्ष पुराना किला बना है।
#16 भोजपुर (Bhojpur)
भोजपुर (Bhojpur) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है। यह वेत्रवती नदी (बेतवा नदी) के किनारे बसा हुआ है।
भोजेश्वर मंदिर- जनश्रुतियों और किंवदन्तियों के अनुसार धार के महान सम्राट राजा भोज (1010 ई.- 1053 ई.) ने इसकी स्थापना की थी, इसलिए इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह भव्य शिवमंदिर मध्य भारत का सोमनाथ कहलाता है।
#17 भीम बेठका (Bhimbetka)
यह स्थल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 45 किमी दक्षिणपूर्व में स्थित है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इनकी खोज वर्ष 1957-1958 में डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी।
ऐसा माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका (कालांतर में भीमबेटका) पड़ा।
यह मध्यप्रदेश का तीसरा स्थान है जिसका चयन विश्व धरोहर के लिए किया गया है। इसके पूर्व खजुराहो के मन्दिर और साँची के स्तूप भी विश्व धरोहर में शामिल किए जा चुके हैं।
#18 विदिशा (Vidisha)
विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर-पूर्व हिस्से में अवस्थित है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है।
विदिशा का उल्लेख महाकवि कालिदास की महान् कृति मेघदूत में भी मिलता है. विदिशा बौद्ध और जैन सम्प्रदायों का भी एक शक्तिशाली केन्द्र रहा है।
दर्शनीय स्थल- लोहांगी शिला गुम्बज बीजा मंडल आदि हैं. हेलियोदोरस का स्तंभ ‘खम्बा बाबा हेलियोदोरस द्वारा वासुदेव के सम्मान में स्थापित गरुड़ स्तंभ है.
#19 ग्यारसपुर (Gyaraspur)
ग्यारसपुर मध्य प्रदेश में विदिशा का एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है। मध्यकालीन भारत में ग्यारसपुर का काफी महत्व था। इस जगह में कई पुराने हिंदू, जैन और बौद्ध पूजा स्थलों के कई खंडहर हैं। इनमें मालादेवी मंदिर, हिंडोला तोरणा और बजरामथ सूर्य मंदिर शामिल हैं।
#20 उदयपुर (UdaipurTown in Madhya Pradesh)
उदयपुर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में गंज बसोदा के पास एक शहर है। यहाँ का विशाल कंठेश्वर मंदिर परमार कालीन स्थापत्य कला का बेजोड उदाहरण है। बीजा मंडल, शाही मस्जिद महल, पिसनहारी का मंदिर आदि अन्य दर्शनीय स्थल है।
निष्कर्ष: मध्यप्रदेश में कोई भी ऐसा जिला न होगा जहाँ कोई दर्शनीय या पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल न हो। फिर भी प्रदेश को पर्यटन की दृष्टि से वह पहचान नहीं मिल पाई है जो देश के अन्य राज्यों जैसे- राजस्थान, केरल, गोवा आदि को मिली है। किन्तु पिछले एक दशक से शासन ने इस ओर कुछ विशेष प्रयास किए हैं, जिसके परिणाम अब सामने आने लगे हैं।