Maha Mrityunjaya: अकाल मृत्यु टालने के लिए सर्वोत्तम अनुष्ठान
महामृत्युंजय विधान या अनुष्ठान अत्यन्त ही महत्वपूर्ण और श्रेष्ठतम कहा गया है। इस अनुष्ठान में अकाल मृत्यु को समाप्त करने का श्रेष्ठ भाव है और जिस व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु या बाल घात योग हो, उसके लिए महामृत्युञ्जय विधान सर्वश्रेष्ठ है। और पढ़ें: शिव पूजन में ध्यान रखने योग्य बातें
महामृत्युंजय मन्त्र (What is Maha Mrityunjaya in Hindi)
माहमृत्युञ्जय मंत्र अपने आप में अत्यन्त ही श्रेष्ठ और प्रभावयुक्त है तथा उच्च स्तर के साधकों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि यह मंत्र अपने आप में महत्वपूर्ण और काल पर विजय प्राप्त करने में सक्षम है। और पढ़ें: भगवान शिव को बेलपत्र क्यों पसंद है?
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!
महामृत्युंजय अनुष्ठान और इसके प्रकार (Types of Maha Mrityunjaya Anushthan in Hindi)
महामृत्युंजय अनुष्ठान तीन प्रकार के होते हैं-
- लघु अनुष्ठान: यह चौबीस हजार मंत्र का होता है, और इसके बाद 240 आहुतियों का पुरश्चरण किया जाता है।
- मध्यम अनुष्ठान: यह सवा लाख मंत्र जप का होता है जिसमें 1250 आहुतियां दी जाती हैं,
- महापुरश्चरण या महाअनुष्ठान: चौबीस लाख मंत्र जप का होता है, और इसके दसवें हिस्से की आहुतियां दी जाती हैं। लघु अनुष्ठान को नौ दिन में 27 माला प्रतिदिन के हिसाब से, मध्यम अनुष्ठान 40 दिन में 33 माला प्रतिदिन के हिसाब से तथा महाअनुष्ठान एक वर्ष में 66 माला प्रतिदिन के हिसाब से जप करके सम्पन्न किया जाता है। और पढ़ें: जानें, रुद्र अभिषेक करने का सही तरीका
महामृत्युंजय अनुष्ठान का विधान (Mahamrityunjaya Anushthan Method in Hindi)
महामृत्युंजय अनुष्ठान के दौरान निम्न तथ्यों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए-
- अनुष्ठान शुभ दिन और शुभ मुहूर्त देखकर करना चाहिए।
- इस अनुष्ठान को प्रारम्भ करते समय सामने भगवान शंकर का चित्र स्थापित करना चाहिए और साथ ही साथ शक्ति की भावना भी रखनी चाहिए।
- जहां जप करें, वहां का वातावरण सात्विक हो तथा नित्य पूर्व दिशा की ओर मुंह करके साधना या मंत्र जप प्रारम्भ करना चाहिए।
- जप करते समय लगातार घी का दीपक जलते रहना चाहिए।
- इसमें चन्दन या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए तथा ऊन का आसन बिछाना चाहिए।
- पूरे साधना काल में ब्रह्मचर्य का पूरा पूरा पालन करना चाहिए।
- यथाशक्ति एक समय भोजन करना चाहिए और साधना में चेहरे के या सिर के बाल नहीं कटाने चाहिए।
- अनुष्ठान करने से पूर्व मंत्र को संस्कारित करके ही पुरश्चरण करना चाहिए।
- नित्य निश्चित संख्या में मंत्र जप करना चाहिए, कभी कभी अधिक करना ठीक नहीं है।
- शास्त्रों के अनुसार भय से छुटकारा पाने के लिए इस मंत्र का 1,100 जप, रोगों से छुटकारा पाने के लिए 11,000 मंत्र जप तथा पुत्र प्राप्ति, उन्नति एवं अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए 1,00,000 मंत्र जप का विधान है।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदें (Benefits of Maha Mrityunjaya)
महामृत्युंजय अनुष्ठान एक ऐसी साधना प्रक्रिया है जो कठिन कार्यों को सरल बनाने के साथ-साथ विशेष शक्ति का उपार्जन करती है।हिन्दू धर्म शास्त्रों में मंत्र शक्ति से रोग निवारण एवं मृत्यु भय को दूर करने तथा अकाल मृत्यु पर विजय प्राप्त करने की जितनी साधनाएं उपलब्ध हैं उनमें महामृत्युञ्जय साधना का स्थान सर्वोच्च है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से इस साधना को करता उसे अवश्य ही तो सफलता प्राप्त करता है। और पढ़ें: जानें, शिव लिंग का रहस्य