मन्मथनाथ गुप्त (Manmath Nath Gupta)
मन्मथनाथ गुप्त, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी तथा सिद्धहस्त लेखक थे। उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी तथा बांग्ला में आत्मकथात्मक, ऐतिहासिक एवं गल्प साहित्य की रचना की है। इन्होने काकोरी कांड में भाग लिया था।
मन्मथनाथ गुप्त (क्रांतिकारी, लेखक)
पूरा नाम | मन्मथनाथ गुप्त |
जन्म | 7 फरवरी, 1908 वाराणसी |
मृत्यु | 26 अक्टूबर, 2000 |
पिता | वीरेश्वर गुप्त |
प्रसिद्धि | क्रांतिकारी, लेखक, काकोरी कांड |
धर्म | हिन्दू |
जेल यात्रा | 1921 में ब्रिटेन के युवराज के बहिष्कार का पर्चे बांटने के आरोप में तीन महीने की सजा। |
विशेष योगदान | 1925 के काकोरी कांड में ट्रेन रोककर ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने वाले 10 व्यक्तियों में वे भी सम्मिलित थे। |
मुख्य रचनाएँ | ‘भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास’, ‘क्रान्ति युग के अनुभव’, ‘चंद्रशेखर आज़ाद’, ‘विजय यात्रा’ आदि। |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी तथा बांग्ला |
अन्य जानकारी | मन्मथनाथ गुप्त मात्र 13 वर्ष की आयु में ही स्वतंत्रा आन्दोलन में कूद गये थे |
मन्मथनाथ गुप्त जीवनी (Manmath Nath Gupta Biography in Hindi)
मन्मथनाथ गुप्त का जन्म 7 फ़रवरी सन् 1908 ई. में उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था। इनके दादा औघानाथ गुप्त हुगली (बंगाल) छोडकर सन् 1880 में बनारस आ गए थे। मन्मथनाथ के पिता वीरेश्वर गुप्त पहले नेपाल के विराट नगर में प्रधानाध्यापक थे।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन (Early Life and education)
मन्मथनाथ गुप्त की पढाई-लिखाई दो वर्ष तक नेपाल में हुई फिर उसे काशी विद्यापीठ में दाखिल ले लिया मगर पढाई बीचे में छोड़कर मात्र 13 वर्ष की उम्र में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। गुप्त जी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन, जो ब्रिटिश विरोधी क्रांतिकारी गुट था, में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे।
इन्होंने कांग्रेस की सदस्यता भी ग्रहण की थी, परंतु चौरीचौरा कांड की घटना के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
क्रांति के क्षेत्र में (field of Revolution)
मन्मथनाथ गुप्त उन क्रांतिकारियों में से थे जिन्होंने सशस्त्र क्रांति मार्ग हो चुना। ये हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन (HRA) के सक्रीय सदस्य थे। यह उत्तर भारत का एक प्रमुख क्रान्तिकारी संगठन था। जिसका गठन उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा किया गया था।
काकोरी कांड में भूमिका (Kakori Conspiracy)
मन्मथनाथ गुप्त ने 17 वर्ष की आयु में प्रसिद्ध काकोरी काण्ड में भाग लिया। 9 अगस्त, 1925 को वे और उनके साथियों ने काकोरी के नजदीक एक ब्रिटिश रेल के खजाने को लूट लिया। इस ललूट कांड को काकोरी कांड नाम से जाना जाता है। इस लुट के दौरान मन्मथनाथ गुप्त की असावधानी से ही अहमद अली नाम का एक रेल-यात्री मारा गया जिसके कारण 4 लोगों को फाँसी की सजा मिली जबकि मन्मथ के नाबालिक होने के चलते उन्हें 14 वर्ष की सख्त सजा दी गयी।
1937 में जेल से छूटकर वह क्रान्तिकारी लेख लिखने लगे जिसके कारण उन्हें 1939 में गिरफ्तार कर लिया गया वे भारत के स्वतन्त्र होने से एक वर्ष पूर्व 1946 तक जेल में रहे।
साक्षात्कार में अपनी गलती स्वीकारी
सन 19 दिसंबर 1997 में उनका अंतिम साक्षात्कार डीडी नेशनल चैनल से सरफरोशी की तमन्ना नामक 20 मिनट की एक वृत्तचित्र में प्रसारित किया गया था। इस साक्षात्कार में मनमथ नाथ गुप्ता ने 9 अगस्त 1925 को अपनी गलती स्वीकार की जब उन्होंने गलती से मौसर को गोली मार दी और काकोरी ट्रेन डकैती में एक यात्री की मौत हो गई। उनकी गलती के कारण उनके प्रिय नेता पंडित राम प्रसाद बिस्मिल सहित 4 क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया गया था। उन्होंने अपनी कम उम्र के कारण मौत की सजा न दिए जाने पर भी खेद व्यक्त किया।
साहित्यिक में योगदान
लेखन के प्रति मन्मथ जी की प्रवृत्ति पहले से ही थी। जेल जीवन के अध्ययन और मनन ने उसे और अधिक पुष्ट किया। जेल से छूटने पर उन्होंने विविध विधाओं में विपुल साहित्य की रचना की। उनके प्रकाशित ग्रंथों की संख्या 80 से अधिक है। कथा साहित्य और समीक्षा के क्षेत्र में गुप्त जी का कार्य विशेष महत्व का है। गुप्त जी की कुछ प्रमुख रचनाएँ निम्न है-
मन्मथनाथ गुप्त की प्रमुख पुस्तकें
- They Lived Dangerously – Reminiscences of a Revolutionary
- History of the Indian Revolutionary Movement
- Gandhi and His Times (1982)
- Bhagat Singh and His Times
- भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन का इतिहास
- आधी रात के अतिथि
- ‘क्रान्ति युग के अनुभव’
- ‘चंद्रशेखर आज़ाद’
- ‘विजय यात्रा’
- ‘यतींद्रनाथ दास’
- ‘कांग्रेस के सौ वर्ष
- ‘कथाकार प्रेमचंद’
- ‘प्रगतिवाद की रूपरेखा’
- दिन दहाड़े
- सर पर कफन बाँध कर
- तोड़म फोड़म
- अपने समय का सूर्य: दिनकर
- शहादतनामा
- साहित्यकला समीक्षा आदि समीक्षा विषयक ग्रंथ हैं। उन्होंने कहानियाँ भी लिखीं।
मन्मथनाथ गुप्त की मृत्यु कब और कैसे हुई?
मनमथ नाथ गुप्ता का निधन 26 अक्टूबर 2000 को भारतीय त्योहार दिवाली की रात निजामुद्दीन पूर्वी नई दिल्ली में उनके आवास पर हुआ । तब वह 92 वर्ष के थे।