Skip to content

imvashi

  • Home
  • HindusimExpand
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Mahavidya
    • Pauranik katha
  • TempleExpand
    • Jyotirlinga
    • ShaktiPeeth
  • AstrologyExpand
    • Jyotish
    • Face Reading
    • Shakun Apshakun
    • Dream
    • Astrologer
    • Free Astrology Class
  • BiogpraphyExpand
    • Freedom Fighter
    • Sikh Guru
  • TourismExpand
    • Uttar Pradesh
    • Delhi
    • Uttarakhand
    • Gujarat
    • Himachal Pradesh
    • Kerala
    • Bihar
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Kerala
    • Karnataka
    • Nagaland
    • Odisha
  • Contact Us
Donate
imvashi
Donate

Pauranik katha: मनुष्य के बार-बार जन्म-मरण का कारण क्या है?

Byvashi Pauranik-katha
Rate this post

Pauranik katha: पुराण रोचक और शिक्षावर्धक कहानियों से भरा पड़ा है। इन कहानियों को पौराणिक कथाए (Mythological Stories) कहा जाता है। ऐसी कहानियाँ न सिर्फ बच्चों का बल्कि बड़ों का भी विकास करती है। ऐसी ही एक कथा आज हम आप सबके सामने लेकर आए है-“मनुष्य के बार बार जन्म मरण का कारण क्या है?”

एक बार श्रीकृष्ण अपने महल में दातुन कर रहे थे । रुक्मिणी जी स्वयं अपने हाथों में जल लिए उनकी सेवा में खड़ी थीं। अचानक द्वारकानाथ हंसने लगे। रुक्मिणी जी ने सोचा कि शायद मेरी सेवा में कोई गलती हो गई है; इसलिए द्वारकानाथ हंस रहे हैं ।

रुक्मिणी जी ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा—‘प्रभु ! आप दातुन करते हुए अचानक इस तरह हंस क्यों पड़े, क्या मुझसे कोई गलती हो गई ? कृपया, आप मुझे अपने हंसने का कारण बताएं ।’

संसार का मोह छोड़ना बहुत कठिन है । वासनाएं बढ़ती हैं तो भोग बढ़ते हैं, इससे संसार कटु हो जाता है । वासनाएं जब तक क्षीण न हों तब तक मुक्ति नहीं मिलती है । पूर्वजन्म का शरीर तो चला गया परन्तु पूर्वजन्म का मन नहीं गया ।


नास्ति तृष्णासमं दु:खं नास्ति त्यागसमं सुखम्।
सर्वांन् कामान् परित्यज्य ब्रह्मभूयाय कल्पते ।

तृष्णा के समान कोई दु:ख नहीं है और त्याग के समान कोई सुख नहीं है। समस्त कामनाओं—मान, बड़ाई, स्वाद, शौकीनी, सुख-भोग, आलस्य आदि का परित्याग करके केवल भगवान की शरण लेने से ही मनुष्य ब्रह्मभाव क

“नहीं, प्रिये!” श्रीकृष्ण ने कहा। तुमसे कैसे कोई त्रुटि हो सकती? तुम ऐसा न सोचो; बात कुछ दूसरी है।”

रुक्मिणी ने कहा, “आप अपने हंसने का रहस्य मुझे बता दें तो मेरे मन को शान्ति मिल जाएगी।” अन्यथा मैं बेचैन रहूंगी।”

तब श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी को मुस्कराते हुए कहा, “देखो, वह सामने एक चींटा चींटी के पीछे कितनी तेजी से दौड़ा जा रहा है।” वह पूरी ताकत लगाकर चींटी को पकड़ना चाहता है। देखकर मुझे अपनी मायाशक्ति की शक्ति पर हंसी आ रही है।”

रूक्मिणी ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, “वह कैसे प्रभु?” आपको इस चींटी के पीछे दौड़ने पर मायाशक्ति की प्रबलता कैसे दीख गई ?’

श्रीकृष्ण ने कहा- “मैं इस चींटे को चौदह बार इंद्र बना चुका हूँ,” इसकी भोगलिप्सा चौदह बार देवराज के पद का भोग करने पर भी समाप्त नहीं हुई है। यह देखकर मैं हंस पड़ा।”

दरअसल, इंद्र भी भोग योनि है। मानव अपने अच्छे कामों से इंद्रत्व प्राप्त कर सकता है। लेकिन उनका भोग पूरा होने पर उसे फिर से धरती पर आकर जन्म लेना पड़ता है। और पढ़ें: इंद्र देव का रहस्य

प्रत्येक जीव की इंद्रियां हैं; लेकिन जब जीव इंद्रियों का दास बन जाता है, तो उसका जीवन कलुषित (खराब/ नष्ट) हो जाता है और जन्म-मरण के बंधन में पड़ता है। मानव की गति—ऊंच-नीच योनियों में जन्म—उसकी वासना के स्थान के अनुसार निश्चित होती है और उसकी गति भी उसी के अनुरूप होती है। अत: वासना को ही नष्ट करना चाहिए। वासना पर विजय पाना ही सुखी होने का उपाय है।

बुझै न काम अगिनि तुलसी कहुँ, विषय भोग बहु घी ते

जब आप अग्नि में घी डालते हैं, तो वह और भी भड़क जाती है, यही दशा काम की है। उसे बुझाना हो तो संयम रूपी शीतल जल डालना होगा।

तृष्णा में दुःख नहीं, त्याग में सुख है।
सर्वान् कामान् परित्यज्य ब्रह्मभूयाय कल्पते॥

तृष्णा और त्याग के समान कोई सुख नहीं है। मानव केवल भगवान की शरण लेकर सभी कामनाओं—मान, बड़ाई, स्वाद, शौकीनी, सुख-भोग, आलस्य आदि का त्याग करके ब्रह्मभाव को प्राप्त कर सकता है।

Related Posts

  • Shiv Parvati: शिव पार्वती विवाह में महर्षी अगस्त्य की भूमिका

  • Vishnu Avtar: भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा स्त्री अवतार

  • Pinaka Dhanush: महादेव के पिनाक धनुष का रहस्य

  • Lord Shiva: भगवान शिव को ‘पशुपति’ और ‘त्रिपुरारि’ क्यों कहा जाता है?

  • Mahabharat: यमराज को क्यों लेना पड़ा था विदुर रूप में जन्म

Post Tags: #Pauranik katha#Shri Krishna#Vishnu katha

All Rights Reserved © By Imvashi.com

  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact
Twitter Instagram Telegram YouTube
  • Home
  • Vrat Tyohar
  • Hinduism
    • Devi Devta
    • 10 Maha Vidhya
    • Hindu Manyata
    • Pauranik Katha
  • Temple
    • 12 Jyotirlinga
    • Shakti Peetha
  • Astrology
    • Astrologer
    • jyotish
    • Hast Rekha
    • Shakun Apshakun
    • Dream meaning (A To Z)
    • Free Astrology Class
  • Books PDF
    • Astrology
    • Karmkand
    • Tantra Mantra
  • Biography
    • Freedom Fighter
    • 10 Sikh Guru
  • Astrology Services
  • Travel
  • Free Course
  • Donate
Search