मासिक शिवरात्रि : व्रत कथा, मुहूर्त व पूजा विधि
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का जितना महत्व है उतना ही हर माह पड़ने वाली ‘मास शिवरात्रि’ या मासिक शिवरात्रि का है। हिंदू पंचांग अनुसार, यह हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ता है।
मासिक शिवरात्रि व्रत

व्रत नाम | मास शिवरात्रि |
सम्बंध | शिव |
तिथि | प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि |
धार्मिक महत्व | ‘मासिक शिवरात्रि’ के दिन व्रत आदि करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। |
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2021 में मासिक शिवरात्रि कब है? (Masik Shivratri Dates List in 2021)
Masik Shivratri 2021: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (14वे दिन) को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि की सूची निम्न है-
दिनांक | वार |
10 अप्रैल | शनिवार |
09 मई | रविवार |
08 जून | मंगलवार |
08 जुलाई | गुरुवार |
06 अगस्त | शुक्रवार |
05 सितंबर | रविवार |
04 अक्टूबर | सोमवार |
03 नवंबर | बुधवार |
02 दिसंबर | गुरुवार |
मासिक शिवरात्रि महत्व (Importance of Maasik Shivaratri Hindi)
वैसे तो साल में एक बार मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन इसके अलावा भी वर्ष में कई शिवरात्रियाँ आती हैं जिन्हें प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं।
हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का अपना अलग ही महत्व है। जहाँ शिव के भक्त साल में एक बार बड़ी ही धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाते हैं वहीं भोलेनाथ की आराधना में प्रत्येक महीने एक मासिक शिवरात्रि मनाने की भी परंपरा हैं।
शिवरात्रि के समान ही हर महीने आने वाली मासिक शिवरात्रि का व्रत भी बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं।
भगवान शिव की कृपा दृष्टि से उपासक के सारे बिगड़े काम बन जाते है। विवाह की अड़चनें दूर होती हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी किया जाता है।
मास शिवरात्रि व्रत कथा
जिस तरह हर व्रत आदि के पीछे कोई न कोई कथा होती है वैसे ही मासिक शिवरात्रि करने के पीछे भी एक कथा है। आइये जानते हैं मासिक शिवरात्रि व्रत कथा के बारे में–
मान्यता अनुसार एक बार देवों के देव महादेव क्रोधित हो गए। महादेव की क्रोधाग्नि से देवता भी भयभीत हो उठें। इन्द्रादि देवताओं ने माता पार्वती से भगवान शिव को मनाने के लिए आग्रह किया। माता पार्वती ने इन्द्रादि देवों के आग्रह पर भगवान शिव को शांत करने के लिए आराधना शुरू की।
जिससे प्रसन्न होकर शिव ने माता पार्वती से वर मांगने के लिए कहा माता ने शिव से शांत होने की विनती करी। भगवान शिव माता के निःस्वार्थ भाव देख बोले, हे देवी! आज आपने मानव कल्याण के लिए मेरी उपासना की है जिसके फलस्वरूप में वरदान देता हूं कि जो भक्त इस दिन मेरी आराधना करेगा मैं उसकी सारी मनोकामना पूर्ण करूंगा।
उस दिन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। तब से इस तिथि को हर माह मासिक शिवरात्रि मनाया जाने लगा।
मासिक शिवरात्रि व्रत विधि (Masik Shivratri Vrat Vidhi)
वे भक्त जो ‘मासिक शिवरात्रि’ का व्रत करना चाहते है, वह इसे ‘महाशिवरात्रि’ से आरम्भ कर सकते हैं और एक वर्ष तक कायम रख सकते हैं। इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों कर सकते है।
शास्त्र अनुसार इस व्रत व तप की शुरुआत करने का सबसे उचित समय मध्यरात्रि है। परंतु यह सबकी बस की बात नहीं है। इसलिए साधारण गृहस्थ के लिए एक और विधि ऋषियों ने बतलाया है।
मासिक शिवरात्रि वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए। उसके बाद शिव मंदिर जाकर शिव जी का अभिषेक श्रद्धा अनुसार गंगा जल, जल, दूध शुद्ध घी, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें।
इसके बाद बेलपत्र, धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें। यदि संभव हो तो शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा आदि का पाठ करें। अंत मे शिव की आरती उतारें।
शाम को फिर स्नान कर विधिवत शिव की पूजा करें। यदि आप ने व्रत रखा है तो फलाहार करें। अगले दिन भगवान शिव पूजा और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें।
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