Mata Meldi: माता मेलडी उत्पति कथा और मंत्र साधना
Mata Meldi: मेलडी माता एक हिंदू देवी है। यू तो मां मेलडी की पूजा सम्पूर्ण भारत में साधकों द्वारा की जाती है। लेकिन गुजरात और राजस्थान में इनकी उपासना विशेष रूप से होती है। गुजरात में कई स्थान में कुलदेवी, स्थान देवी और रक्षक देवी के रूप में भी इनकी पूजी जाती है।
माता मेलडी (Mata Meldi)
माता मेलडी कौन है? भगवती आदि शक्ति महामाया मेलड़ी माता कलियुग की तथा मैली विद्या की शक्ति (देवी) मानी जाती है। मा मेलडी का प्राकट्य भगवती महाकाली और देवी चामुण्डा ने अपने शक्ति को संयुक्त करके किया था। लेकिन ये तामसिक एवं आसुरी देवियों की गिनती में आती हैं। इस देवी को माँस-मदिरा चढाया जाता है तथा ये मैली देवियों में गिनी जाती है।
सर्व रूपमयी देवी सर्व देवीमयं जगत ।
अतोऽहं विश्वरूपां तां नमामि परमेश्वरीम् ।।
नमो नमः महाविद्या सिद्धविद्या प्रकीर्तिताः ।
ॐ नमो नमः आद्य शक्ति परमेश्वरी मेलल्ड्यै नमः ।।
माता मेलड़ी के आगे किसी भी प्रकार की मैली विद्या टिक नहीं सकती और माता मेलड़ी के साधक पर इस प्रकार के प्रयोग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए तांत्रिकों द्वारा इनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है।
माता मेलडी का स्वरुप
माता मेलडी के आठ हाथ हैं. एक हाथ में बोतल, दूसरे में खंजर, तीसरे में त्रिशूल, चौथे में तलवार, पांचवें में गदा, छठवें में चक्र, सातवें में कमल, आठवें में अभय की मुद्रा होती है। मेलडी माता के हाथ में स्थित बोतल में समस्त तांत्रिक शक्तियां बंद होती हैं। मेलडी माता का वाहन बकरी है।
मेलडी माता की उत्पति कथा
प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक जब अमरुवा दैत्य की आसुरी शक्तियों का सामना एवं मुकालवा कोई भी देवी-देवता नहीं कर पाये तब माँ भगवती ने अमरुवा दैत्य के वध हेतु युद्ध शुरु कर दिया।
किंतु पराजय के भय से वह अमरुवा दैत्य मृत गाय की खाल में छुप गया। अपवित्र स्थान में छुपाने के कारण माता दूर खड़ी हो गई। ऐसे में मैली माया को काटने के लिये महाकाली और चण्ड-मुण्ड का नाश करने वाली चामुण्डा रूप दोनों ने मिलकर मेलड़ी का आह्वान करके प्रगट किया था। जिन्होंने अमरुवा दैत्य का वध कर दिया। एक मत अनुसार, माता मेलडी का जन्म भगवती के मैल से हुआ था। इसलिए उनका नाम मेलडी पड़ा।
माना जाता है कि इस महाशक्ति को कामरु देश में गोपनीय रूप से “मैली महाविद्या” के नाम से भी पूजा जाता था। कालांतर में, कामरू देश से कुछ साधकों माता मेलडी की प्रतिमा को विधि-विधान से बांस के छाबड़े में स्थापित करके गुजरात में ले गए। जिससे गुजरात में माता के उपासना का चलन प्रारंभ हुआ। मेलडी माता का सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिर गुजरात के आणंद जिले में है। जहां भक्तों का मेला सालभर लगा रहता है।
माता मेलडी का गुप्त अघोर प्याला
माता मेलडी, अघोरियों द्वारा प्राचीन काल से ही गुप्त रूप से पूजी जाती रही है। अघोरियों द्वारा कई ऐसी गुप्त क्रिया की जाती है जिसका भेद वह किसी के सामने नहीं लगने देते। ऐसा ही एक गुप्त क्रिया “माता मेलडी का प्याला” है। यह प्याला, अघोरी अपने प्रिय शिष्य को ही पिलाता है। जैसे ही यह प्याला उस शिष्य के शरीर में जाता है वैसे ही मेलडी माई उस साधक की हरेक मुराद पूरी करने को हाजिर हो जाती है। इस विषय पर अधिक चर्चा करना यहां उचित नहीं होगा।
माता मेलडी साधना (कृपा प्राप्ति हेतु)
मान्यता है, कि पूर्ण श्रद्धा के साथ माता मेलडी की पूजा करने से मात्र 21 दिनों के भीतर माता भक्तों की कोई भी इच्छा पूरी करती हैं। पाठकों के हितार्थ हेतु यहां पर माता मेलडी का एक शाबर मंत्र दिया जा रहा है।
ॐ नमो नमः सूर्य भवननी माई, श्री उगताई मेलड़ी लोक माया। करो मोरी रक्षा। मेरी मेलडी माई जोगणी जगत की मेलड़ी बैले मोरी आवो रोग-व्याधि दूर करो। सुख-सम्पत्ति से मोरो घर भरो। मेरी उगती मेलड़ी माई। शत्रु को मारी भगवो। संकट से मोरो घर बचावो। करो रक्षा अन्न जन धन की मेरी दीन दयालू मेलड़ी माई। इतनो कारज पूर्ण करो, जो न करो न करावो तो बाल जती हुनमाण की दुहाई। थे न करो तो सूर्य नारायण की आण फरे। मेरी भगति गुरो की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
साधना विधि: इस मंत्र को जपने के लिए अश्विन मास की प्रथम नवरात्रि की रात में 10 बजे बाद साधक स्नान करके पवित्र होकर लाल वस्त्र और लाल आसान धारण कर पूर्व की ओर अपना मुख करके बैठ जाये। अपने सामने धूप-दीपक, अगरबत्ती जलावें और एक पानी का लौटा रखे एवं मेलड़ी माता की पूजा, कुम्कुम, गुलाल, फल, फूल, नारियल, सुखडी से करके। लाल चन्दन की माला से उपरोक्त मंत्र की पांच माला जाप करे।
जाप पूर्ण होने के बाद पेड़ा, खीर, चूरमा, हलवा आदि में से किसी एक वस्तु का भोग प्रतिदिन लगावे इसी भांति यह साधना 108 दिन करें। साधना की अवधि में सभी नियमों का पालन करें। पवित्रता का ध्यान रखें।
मेलड़ी साधना-सिद्धि के मुख्य नियम एवं कुछ सावधानियां
भगवती माता मेलड़ी की साधना में भूमि पर शयन करना अति आवश्यक है। मसाणी मेलड़ी की साधना एवं प्रयोग साधक अपने घर में नहीं करें।
मेलड़ी माता की साधना व सिद्धि करने के उपरान्त साधक शक्ति का दुरूपयोग नहीं करें। धर्म के हित में ही प्रयोग करें।
माता मेलड़ी की साधना-उपासना एवं पूजा-पाठ करने वाले सभी साधक और भक्तजन किसी भी देवी-देवता के भक्त और साधक को कष्ट व दुःख नहीं पहुचावें।
मेलड़ी की साधना में और शुभ व भौतिक कामना की पूर्ति के लिए किये जाने वाले अनुष्ठान में पाँच पुष्प कम से कम देवी मेलड़ी को चड़ावें और एक गुलाब के पुष्पों की माला अर्पण करें। ये पुष्प माँ को अति प्रिय है।