मथुरा (Mathura): भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली | Tourist Places
Mathura: उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के किनारे बसा मथुरा (Mathura) भगवान कृष्ण की जन्मस्थली के रूप पहचाना जाता है। मथुरा हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और इसकी गणना भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में की जाती है। दिल्ली से 145 किमी. और ताजनगरी आगरा से 58 किमी. की दूरी पर 3800 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला यह नगर कृष्णभक्तों का मनपसंद तीर्थस्थल है।
मथुरा: भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली
नाम | मथुरा (Mathura) |
प्राचीन नाम | शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 3,329 sq. km. (Mathura District) |
भाषा | हिंदी, ब्रज बोली और इंग्लिश |
प्रमुख स्थान | गोविंद देव मंदिर, रंगाजी मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, बांके बिहारी मंदिर और इस्कॉन मंदिर आदि। |
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कब जाएं | अक्तूबर-मार्च |
मथुरा के चारों ओर चार शिव मंदिर हैं- पूर्व में पिपलेश्वर महादेव,दक्षिण में रंगेश्वर महादेव, गोकर्णेश्वर महादेव और पश्चिम में भूतेश्वर महादेव का मन्दिर है। चारों दिशाओं में स्थित होने के कारण भगवान शिव को मथुरा का कोतवाल कहा जाता है।
मथुरा का इतिहास (History of Mathura)
ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से मथुरा का हमेशा से महत्व रहा है। ईसा से पांचवीं शताब्दी पूर्व महात्मा बुद्ध के समय यह विशाल नगर सूरसेन साम्राज्य की राजधानी था। सूरसेन उस काल के 16 महाजनपदों में एक था। कुषाणों का शासन काल मथुरा का स्वर्णिम युग माना जाता है। कनिष्क, हविष्क और वशिष्क के शासनकाल में मथुरा ने आर्थिक और कला के क्षेत्र में काफी उन्नति की।
मौर्य काल में भी यह नगर शक्ति का केन्द्र बना रहा। मथुरा के कोने-कोने में श्रीकृष्ण की कहानियां रची बसी हैं। यहीं विष्णु के अवतार माने जाने वाले कृष्ण ने देवकी और वासुदेव की संन्तान के रूप कारावास में जन्म लिया। कृष्ण ने दुष्ट कंस का वध कर उसके अत्याचारों से मथुरा को मुक्ति दिलाई।
मथुरा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to Visit in Mathura)
Mathura Tourist Places: मथुरा भगवान कृष्ण के जन्मस्थल होने के साथ साथ अपने पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यह प्राचीन समय से ही भारतीय संस्कृति, धर्म, कला और विद्या का केंद्र रहा है। मथुरा में अनेक मंदिर, घाट, कुएं, विशालकाय प्राचीन दुर्ग तथा संग्रहालय हैं।
1. श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhumi)
कहा जाता है कि इसी स्थान पर 5000 साल पूर्व भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस के कारागार में जन्म लिया था। यहां भगवान कृष्ण का शानदार मंदिर बना हुआ है। मंदिर के अंदर एक संग्रहालय है जिसमें आसपास की खुदाई से प्राप्त अनेक प्राचीन मूर्तियां रखी हैं।द्वारिकाधीश मंदिर 1814 ई. में बनवाया गया यह मंदिर नगर का प्रमुख मंदिर है। (और पढें: भगवान विष्णु के दशावतार
होली, जन्माष्टमी और दिवाली के अवसर यहां बड़े पैमाने पर सजावट की जाती है। मंदिर में की गई नक्काशी और चित्रकारी इसका मुख्य आकर्षण है। वल्लभाचार्य के अनुयायियों द्वारा मंदिर की देखरख की जाती है। यह मंदिर यमुना नदी के समीप पूर्वी हिस्से में स्थित है।
2. गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat)
कहा जाता है कि यह पर्वत 5000 साल पहले 29 किमी. ऊंचा था। गोवर्धन पर्वत मोर के आकार के समान है। राधा कुण्ड और श्याम कुण्ड को मोर की आंख माना जाता है। दन घाटी मोर की लंबी गर्दन समझी जाती है। मुखारविन्द को मुख और पंचारी को इसकी पीठ व उसके पंख की उपमा दी जाती है।
कहा जाता है पुलस्त्य मुनि के श्राप के बाद से पर्वत का आकार कम होता जा रहा है। माना जाता है कि राई के बीज के बराबर इसकी ऊंचाई प्रतिदिन कम होती है। श्रद्धालु इस पवित्र पर्वत की परिक्रमा कर पुण्य अर्जित करते हैं।
3. कुसुम सरोवर (Kusum Sarovar)
राधा कुण्ड से 25 मिनट की पैदल चाल से कुसुम सरोवर पहुंचा जा सकता है। माना जाता है कि यहां से गोपियां कृष्ण के लिए फूल तोड़ा करती थीं। मथुरा में तैराकी करने के लिए यह स्थान एकदम उपयुक्त है।
4. मानसरोवर (Mansarovar)
पांच एकड़ में फैला यह नम और छायादार क्षेत्र पक्षी अभ्यारण्य के रूप में विकसित हो चुका है। स्थानीय मान्यता है कि यह झील या सरोवर श्रीराधा के आंसुओं से बनी थी। श्रीकृष्ण के खोने के गम से वह यहां अकेली आई थीं। झील के समीप ही राधा की याद में बना एक मंदिर है।
5. घाट (Ghat)
मथुरा में 25 पवित्र घाट हैं। विश्राम घाट इन घाटों के बीच में बना है। कहा जाता है यहां कंस को मारने के बाद कृष्ण ने आराम किया था। इसके उत्तर और दक्षिण में 12-12 घाट हैं। विश्राम घाट के दक्षिण में 400 मीटर के दायरे में अधिकांश घाट स्थित हैं। इन घाटों को आसी घाट, प्रयाग घाट, चक्र तीर्थ घाट, कृष्ण गंगा, ध्रुव घाट आदि अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
6. सरकारी संग्रहालय (Government Museum)
डेम्पियर पार्क में स्थित इस संग्रहालय में पुरातत्व से जुड़ी अनेक वस्तुओं का संग्रह है। गुप्त काल और कुषाण काल की अनेक निशानियां यहां प्रदर्शित की गईं हैं। इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए यह बिल्कुल उपयुक्त जगह है।
7. जामा मस्जिदल (Jama Masjid, Mathura)
इस मस्जिद का निर्माण वर्ष 1661 ई. में नबीर खान ने करवाया था। मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि परिसर के ठीक बगल में है
Mathura (Image & Video Free Download)
मथुरा कैसे पहुंचे (How to Reach Mathura by Bus, Train or Air)
वायु मार्ग- मथुरा से 47 किमी. की दूरी पर आगरा निकटतम एयरपोर्ट है। दिल्ली, वाराणसी आदि शहरों से आगरा के लिए सीधी फ्लाइट हैं।
रेल मार्ग- मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अनेक ट्रैनों के माध्यम से सीधा जुड़ा हुआ है। ताज एक्सप्रेस प्रतिदिन दिल्ली से मथुरा के बीच चलती है।
सड़क मार्ग- मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग से अनेक शहरों से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान परिवहन निगम की बसें मथुरा को इन राज्यों के अनेक शहरों से जोड़ती हैं।