मत्स्य पुराण
मत्स्य पुराण (Matsya Purana), हिंदुओं के पवित्र 18 पुराणों में से एक पुराण है। पुराणों में इसका स्थान 16 है। इस पुराण में भगवान श्रीहरि के मत्स्य अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है।
मत्स्य पुराण क्या है? (What is Matsya Purana in Hindi)
मत्स्य पुराण (Matsya Purana), हिंदुओं के पवित्र 18 पुराणों में से एक है। पुराणों में इसका स्थान 16 है। चौदह हजार श्लोकों वाला यह पुराण मूलतः बैष्णव मत से संबंधित है। प्रलयकाल के समय भगवान् विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण कर वैवस्वत मनु तथा सप्तर्षियों की पाण-रक्ष की थी।
उस समय मनु की नौका सहित जल में विहार करते हुए मतस्यरूपी भगवान् विष्णु ने वैवस्वत मनु या सप्तर्षियों को जो परम कल्याणकारी उपदेश दिया था. उसी उपदेश का इस पुराण में विस्तृत विवेचन किया गया है। इसलिए इस पुराण को मत्स्य पुराण (Matsya Purana) कहा गया है।
इसमें जल प्रलय, मत्स्य व मनु के संवाद, राजधर्म, तीर्थयात्रा, दान महात्म्य, प्रयाग महात्म्य, काशी महात्म्य, नर्मदा महात्म्य, मूर्ति निर्माण माहात्म्य एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष प्रकाश डाला गया है।
मत्स्य पुराण में क्या है? (What is in Matsya Purana in Hindi)
इस पुराण के अनुसार मत्स्य (मछ्ली) के अवतार में भगवान विष्णु ने एक मनु को सब प्रकार के जीव-जन्तु एकत्रित करने के लिये कहा और पृथ्वी जब जल में डूब रही थी, तब मत्स्य अवतार में भगवान ने उस नांव की रक्षा की थी। इसके पश्चात ब्रह्मा ने पुनः जीवन का निर्माण किया।
मत्स्य पुराण परम पवित्र होने के साथ-साथ सभी शास्त्रों का शीर्षस्थअदभुत ज्ञान पूर्ण पुराण है। यह श्रोता वक्ता के न केवल सभी पापों को दूर करता है अपितु उन्हें सभी प्रकार के कल्याण को भी प्रदान करता है। इसमें भगवान मत्स्य रूप में अवतार लेने की कथा शुरुआत में मनु और मत्स्य की कथा है और साथ ही पृथ्वी के प्रलय की कथा है। आगे ययाति की कथा है जिसने देवयानी व शर्मिष्ठा से विवाह किया। जिसमें शुक्राचार्य ने बाद में ययाति को वृद्ध होने का श्राप दिया।
इसमें दस प्रमुख व्रतों के विषय में बताया है। साथ ही नौ ग्रह के स्वरूप को भी बताया गया हैं। इसमें त्रेतायुग, द्वापर, कलयुग तक पहुंचने का वृतांत है। महाबली दैत्य तारकासुर वध की कथा है, जिसका वध शिव पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के हाथों हुआ था। इसमें नरसिंह अवतार की कथा भी है।
इसमें जगत की उत्पत्ति रूप वैष्णवी श्रीष्टि का वर्णन हैं। पूर्णभद्र एक राक्षस वृति वाला बालक हैं। इसके पिता ने उसे निकाल दिया। उसने घिर तपस्या की जिसमें वह एक रेट का तिला बन गया और चींटियों ने उसे खाना शुरू कर दिया।। तब शिव-पार्वती ने उसे वरदान दिया।
इसमें सावित्री की कथा कही गई है। जिसने धर्मराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों को वापस ले लिया। इसमें राजा के आचरण धर्म-कर्म के बारे बताया है। जिसके अनुसार राजा को चतुर, शूरवीर होना चाहिए। सेनापति नियुक्त करते वक्त देखे, वो विधिवेत्ता। नीति निपुण, देशभाषा, पडित व्यक्ति है या नहीं।
इसी तरह उसे रक्षामंत्री, सारथी, पाचक, रसोइये, न्यायाधीश, द्वारपाल आदि की नियुक्ति के समय क्या-क्या ध्यान रखने योग्य बात हैं का भी जिक्र किया गया हैं। राजा को कुछ महत्वपूर्ण पद बहुत सोच-समझ कर देने चाहिए। राजा को अपराधियों को क्या-क्या दंड देना चाहिए इसके बारे में भी बताया गया हैं।
फिर भगवान विष्णु के वामन रूप में अवतरित होने की कथा है. और साथ ही वराह अवतार के रूप में भगवान नारायण ने अपनी दाढ़ से किस प्रकार पृथ्वी का उद्धार किया था कि कथा की गई है। इसमें समुद्र मंथन को कथा है। जिसमें से अमृतकलश निकलता है। राहु को एक ग्रह बनाने की कथा है।
अंत में दान के महत्व को बताया है। जिसमें सोलह दान बताए गए हैं। इस तरह मत्स्य पुराण (Matsya Purana), धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का सरल और सिद्ध समाधान हैं।
मत्स्य पुराण का महत्व (Importance of Matsya Purana in Hindi)
इस पुराण को स्वयं श्रीहरि मत्स्य भगवान ने कहा है। मत्स्य पुराण वैष्णव, शाक्त, सौर, शैव, सभी सम्प्रदाय के मध्य पूज्य है। यह पुराण परम् पवित्र, आयु की वृद्धि करने वाला, कीर्ति वर्धक, महापापों का नाश करने एवं यश को बढ़ाने वाला है। इस पुराण की एक दिन की भी यदि व्यक्ति कथा सुनने वह भी पापों से मुक्त होकर श्रीमद्नारायण के परम धाम को चला जाता है।