मेरठ (Meerut)
गंगनहर और हिंडन नदी के तट पर बसा मेरठ (Meerut) उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख नगर है। मेरठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (N.C.R) का हिस्सा है। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुवात मेरठ से ही शुरू हुई थी। यहाँ भारतीय सेना की छावनी भी है।
मेरठ: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का गवाह
राज्य | उत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 2590 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी और इंग्लिश |
प्रमुख पर्यटन स्थल | शहिद स्मारक, औघड़नाथ मंदिर, हस्तिनापुर, पांडव किला, रोमन कैथोलिक चर्च, शाहपीर मकबरा आदि। |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, खेल सामग्री, वाद्य यंत्र, कैंची। |
सही समय | अक्टूबर से फरवरी। |
मेरठ का इतिहास (History of Meerut in Hindi)
हिंदू मान्यता है कि मेरठ की स्थापना रावण के ससुर मायासुर ने की थी और इसे मैदांत का खेड़ा कहा था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, माया नामक एक वास्तुकार ने इसे राजा युधिष्ठिर से प्राप्त किया था। माया के नाम पर ही इसे “मैराष्ट्र” कहा गया था। जो बाद में मेरठ हो गया। और पढ़ें: रामायण के प्रमुख पात्र
मेरठ के प्रमुख पर्यटन स्थल (Places to visit in Meerut)
धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से मेरठ में अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जिन्हें देखने की लालसा में सैलानी यहां खिंचे चले आते हैं।
1. औघड़नाथ मंदिर (Aughadnath Temple)
औघडऩाथ या काली पलटन मंदिर मेरठ महानगर में छावनी क्षेत्र में स्थित भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह शिवरात्रि के अवसर पर देश का दूसरा सर्वाधिक जल चढ़ाए जाने वाला मंदिर भी है। इस मंदिर का भारत की आज़ादी में भी योगदान रहा है। सन 1857 का प्रथम स्वतंत्रा संग्राम का प्रारम्भ यही से हुआ था। औऱ पढें: औघड़नाथ मंदिर
2. शहीद स्मारक (Shahid Smarak)
शहीद स्मारक उन बहादुरों को समर्पित है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। संगमरमर से बना यह स्मारक लगभग 30 मीटर ऊंचा है।
3. पांडव किला (Pandav Fort)
पांडव किला (Pandav Fort) मेरठ के बरनावा में स्थित है। महाभारत से संबंध रखने वाले इस किले में अनेक प्राचीन मूर्तियां देखी जा सकती हैं। कहा जाता है कि यह किला पांडवों ने बनवाया था।
दुर्योधन ने पांडवों को उनकी मां सहित यहां जिन्दा जलाने का षडयंत्र रचा था लेकिन वे एक भूतिगत रास्ते से बच निकले थे। और पढें: महाभारत के प्रमुख पात्र
4. हस्तिनापुर तीर्थ (Hastinapur Tourist Attraction)
द्रोपदी की रसोई: द्रोपदी की रसोई हस्तिनापुर में बरगंगा नदी के तट पर स्थित है। माना जाता है कि महाभारत काल में इस स्थान पर द्रोपदी की रसोई थी।
हस्तिनापुर तीर्थ जैनियों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है। यहां का मंदिर जैन तीर्थंकर शांतिनाथ को समर्पित है। ऐतिहासिक दृष्टि से जैनियों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है क्योंकि जैनियों के तीसरे तीर्थंकर आदिनाथ ने यहां 400 दिन का उपवास रखा था। इस मंदिर का संचालन श्री हस्तिनापुर जैन श्वेतांबर तीर्थ समिति द्वारा किया जाता है।
जैन श्वेतांबर मंदिर (Shwetambar Jain Temple)
मेरठ जिले के हस्तिनापुर में स्थित जैन श्वेतांबर मंदिर तीर्थंकर विमल नाथ को समर्पित है। एक ऊंचे चबूतरे पर उनकी आकर्षक प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के चारों किनारे चार कल्याणक के प्रतीक हैं। हस्तिनापुर मेरठ से 30 किमी. उत्तर-पर्व में स्थित है।
5. हस्तिनापुर अभ्यारण्य (Hastinapur Wildlife Sanctuary)
इस अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1986 में की गई थी। 2073 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैले इस अभ्यारण्य में मृग, सांभर, चीतल, नीलगाय, तेंदुआ, हैना, जंगली बिल्ली आदि पशुओं के अलावा पक्षियों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
नंवबर से जून का समय यहां आने के सबसे उपयुक्त माना जाता है। अभ्यारण्य का एक हिस्सा गाजियाबाद, बिजनौर और ज्योतिबा फुले नगर के अन्तर्गत आता है।
6. रोमन कैथोलिक चर्च (Roman Catholic Church, Sardhana)
सरधाना स्थित रोमन कैथोलिक चर्च अपनी खूबसूरत कारीगरी के लिए चर्चित है। मैरी को समर्पित इस चर्च का डिजाइन इटालिक वास्तुकार एंथनी रघेलिनी ने तैयार किया था। वर्ष 1822 में इस चर्च को बनवाने की लागत 0.5 मिलियन रूपये थी। भवन निर्माण साम्रगी जुटाने के लिए आसपास खुदाई की गई थी। खुदाई वाला हिस्सा आगे चलकर दो झीलों में तब्दील हो गया।
7. सेन्ट जॉन चर्च (St. John’s Church)
सेन्ट जॉन चर्च मेरठ जंक्शन से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है। वर्ष 1819 में इस चर्च को ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से चेपलिन रेव हेनरी फिशर ने स्थापित किया था। इस चर्च की गणना उत्तर भारत के सबसे प्राचीन चर्चो में की जाती है। इस विशाल चर्च में दस हजार लोगों के बैठने की क्षमता है।
8. नंगली तीर्थ (Nangli Tirath)
नंगली तीर्थ मेरठ के नंगली गांव में स्थित है। नंगली तीर्थ स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज की समाधि की वजह से लोकप्रिय है। मुख्य सड़क से तीर्थ तक 84 मोड़ हैं जो चौरासी लाख योनियों के मुक्ति के प्रतीक हैं। देश के विविध हिस्सों से श्रद्धालु यहां आते हैं।
9. मेरठ के प्रमुख मस्जिद और मकबरे (Mosques and Tombs of Meerut)
शाहपीर मकबरा (Shah Pir’s Tomb)
यह मकबरा मुगलकालीन है। यह मेरठ के ओल्ड शाहपुर गेट के निकट स्थित है। शाहपीर मकबरे के निकट ही लोकप्रिय सूरज कुंड स्थित है।
जामा मस्जिद (Jama Masjid Meerut)
कोतवाली के निकट स्थित इस मस्जिद का यह निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया गया था। और पढ़ें: जामा मस्जिद (दिल्ली)
10. मेरठ के प्रमुख पार्क और स्टेडिम (Parks and Stadiums of Meerut)
सूरज कुंड पार्क (Suraj Kund, Meerut)
सूरज कुंड का निर्माण एक व्यापारी लावार जवाहर लाल ने 1714 ई. में करवाया था। गंग नहर से इसे जल प्राप्त होता है। सूरज कुंड के आसपास अनेक मंदिर बने हुए हैं जिनमें मनसा देवी मंदिर और बाबा मनोहर नाथ मंदिर प्रमुख हैं। ये मंदिर शाहजहां के काल में बने थे। मेरठ के अन्य प्रमुख पार्क निम्न है-
- गांधी बाग (छावनी)
- गोल्डन पार्क (छावनी)
- राम ताल वाटिका (छावनी)
- पाइन पार्क (छावनी)
- मेरठ गोल्फ कोर्स
- विक्टोरिया पार्क (अग्निकांड 10 अप्रैल 2006)
- कैलाश प्रकाश स्पोर्ट स्टेडियम
मेरठ कैसे पहुंचे (How to Reach Meerut)
वायु मार्ग– पंतनगर मेरठ का निकटतम एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट मेरठ से 62 किमी. की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग– मेरठ जंकशन देश के प्रमुख शहरों से अनेक ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, जम्मू, अंबाला, सहारनपुर आदि स्थानों से आसानी से मेरठ पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग– उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों के अनेक शहरों से मेरठ सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें अनेक शहरों से मेरठ के लिए चलती हैं।
मेरठ से क्या खरीदे (What’s Meerut City famous for?)
मेरठ शहर कई तरह के उद्योगों के लिये प्रसिद्ध है। मेरठ का सर्राफा एशिया का नंबर एक का व्यवसाय बाजार है। मेरठ भारत के क्रीड़ा सामग्री (sports equipment) के लिए सर्वोच्च उत्पादक शहर है।
मेरठ वाद्य यंत्रों (Musical instrument) के निर्माण में भी यह उच्च स्थान पर है। मेरठ में कुछ प्रसिद्ध फार्मास्यूटिकल कंपनियाँ (Pharmaceutical Company) भी हैं, जिनमे पर्क फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (Perk Pharmaceuticals Ltd), मैनकाईंड फार्मा (Mankind pharma) एवं बैस्टोकैम (Bestochem Formulations India Ltd) प्रमुख है।