मिर्जापुर (Mirzapur): History & Places To Visit in Hindi
Mirzapur: मिर्जापुर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक नगर है। पर्यटन की दृष्टि से मिर्जापुर काफी महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। मिर्जापुर स्थित विन्ध्याचल धाम भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।
नाम | मिर्जापुर (Mirzapur) |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | मिर्जापुर |
क्षेत्रफल | 4,521 वर्ग किमी०। |
संबंधित लेख | उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल |
उपयुक्त समय | अक्टूबर से मार्च। |
इसके अतिरिक्त, यह जिला सीता कुण्ड, लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब, टंडा जलप्रपात, विन्धाम झरना, तारकेश्वर महादेव, महा त्रिकोण, शिव पुर, चुनार किला, गुरूद्वारा गुरूदा बाघ और रामेश्वर आदि के लिए प्रसिद्ध है।
मिर्जापुर वाराणसी जिले के उत्तर, सोनभद्र जिले के दक्षिण और इलाहाबाद जिले के पश्चिम से धिरा हुआ है। इस जिले का नाम देवी लक्ष्मी के नाम पर रखा गया है।
मिर्जा, विन्ध्यावासिनी और लक्ष्मी देवी के अन्य दो नाम है, जिनका मंदिर विन्ध्याचल में स्थित है। पहले समय में इस जगह को गिर्जापुर के नाम से जाना जाता था। लेकिन बाद में इस जगह का नाम बदलकर मिर्जापुर रख दिया गया। मिर्जा दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला मिर जिसका अर्थ समुद्र होता है और दूसरा जा जिसका अभिप्राय प्रकट होना होता है।
मिर्जापुर के प्रमुख पर्यटन स्थल | Best Places to Visit in Mirjapur
पर्यटन की दृष्टि से मीरजापुर काफी महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। मिर्जापुर एक ऐतिहासिक शहर है जिसे तथ्यों, कला और संस्कृति से भरपूर माना जाता है। मीरजापुर स्थित विन्ध्याचल धाम भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ पर कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:
तारकेश्वर महादेव | Tarkeshwar Mahadev
विन्ध्याचल के पूर्व में स्थित तारकेश्वर महादेव का जिक्र पुराण में भी किया गया है। मंदिर के समीप एक कुण्ड स्थित है। माना जाता है कि तराक नामक असुर ने मंदिर के समीप एक कुण्ड खोदा था। भगवान शिव ने ही तराक का वध किया था। इसलिए उन्हें तारकेश्वर महादेव भी कहा जाता है।
कुण्ड के समीप काफी सारे शिवलिंग स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तारकेश्वर के पश्चिम दिशा की ओर एक कुण्ड का खोदा था और भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया था। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी कहा जाता है कि तारकेश्वर देवी लक्ष्मी का निवास स्थल है। देवी लक्ष्मी यहां अन्य रूप में देवी सरस्वती के साथ वैष्णवी रूप में निवास करती है।
महा त्रिकोण मंदिर परिक्रमा | 3 temples for Trikon Parikrama
कहा जाता है कि महा त्रिकोण की परिक्रमा करने से भक्तों की इच्छा पूरी होती है। मंदिर स्थित विन्ध्यावशनी देवी के दर्शन करने के पश्चात् भक्त संकट मोचन मंदिर जाते हैं। इस मंदिर को कालीखोह के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर विन्ध्याचल रेलवे स्टेशन के दक्षिण दिशा की ओर स्थित है।
देवी काली और संकट मोचन के दर्शन करने के बाद भक्त अपनी परिक्रमा संत करनागिरी बावली के दर्शन करके पूरी करते हैं। कालीखोह के आस-पास अन्य कई मंदिर जैसे आनन्द भैरव, सिद्धनाथ भैरव, कपाल भैरव और भैरव आदि स्थित है। विन्ध्याचल मंदिर और परिक्रमा पूरी करने के पश्चात् मन को बेहद सुकून प्राप्त होता है। यह पूरी यात्रा महा त्रिकोण के नाम से प्रसिद्ध है।
शिवपुर | Shivpur
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम चन्द्र ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध विन्ध्याचल क्षेत्र में ही किया था। माना जाता है कि भगवान श्री राम भगवान शिव के उपासक थे। इस जगह पर भगवान राम ने पश्चिम दिशा की ओर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की थी। इसी कारण यह जगह रामेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुई और इस जगह को शिवपुर के नाम से जाना जाता है।
सीता कुंड | Sita kund
अष्टभुजा मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर सीता जी ने एक कुंड खुदवाया था। उस समय से इस जगह को सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। कुंड के समीप ही सीता जी ने भगवान शिव की स्थापना की थी। जिस कारण यह स्थान सीतेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सीता कुंड के पश्चिम दिशा की तरफ भगवान श्री राम चंद्र ने एक कुंड खोदा था। जिसे राम कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त शिवपुर स्थित लक्ष्मण जी ने रामेश्वर लिंग के समीप शिवलिंग की स्थापना की थी, जो कि लक्ष्मणेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है।
चुनार किला | Chunar Fort
चुनार स्थित चुनार किला कैमूर पर्वत की उत्तरी दिशा में स्थित है। इस प्रसिद्ध किले का निर्माण शेरशाह द्वारा करवाया गया था। इस किले के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें मौजूद है। यहां से सूर्यास्त का नजारा देखना बहुत मनोहारी प्रतीत होता है। कहा जाता है कि एक बार इस किले पर अकबर ने कब्जा कर लिया था। उस समय यह किला अवध के नवाबों के अधीन था। किले में सोनवा मण्डप, सूर्य धूपघड़ी और विशाल कुंआ मौजूद है।
गुरूद्वारा बाग साहिब | Gurdwara sahib mirzapur
श्री गुरू तेग बहादुर जी का यह गुरूद्वारा मिर्जापुर जिले स्थित वाराणसी के दक्षिण से 40 किलोमीटर की दूरी पर अहरौड़ गांव में स्थित है। यह गुरूद्वारा नौवें सिख गुरू, तेग बहादुर को समर्पित है। यह गुरूद्वारा, गुरूद्वारा बाग साहिब के नाम से प्रसिद्ध है।
माना जाता है कि 1666 में वाराणसी की यात्रा के दौरान गुरू जी इस जगह पर आए थे। इस गुरूद्वारे में एक वर्गाकार हॉल और कई छोटे-छोटे कमरें हैं। गुरूद्वारे की इमारत बेहद खूबसूरत है। गुरूद्वारे के ठीक पीछे एक छोटा सा बगीचा स्थित है। 1742 में प्रकाशित पवित्र गुरू ग्रंथ साहिब की हस्तलिपि आज भी यहां संरक्षित है।
इसके अतिरिक्त, गुरूद्वारा बाग साहिब में हाथ से लिखी हुई पोथी, जिसपर गुरू गोविन्द सिंह के हस्ताक्षर हुए है, मौजूद है। यह पोथी लोगों के सामने केवल गुरू तेग बहादुर और गुरू गोविन्द सिंह की जयन्ती पर ही प्रदर्शित की जाती है।
पुण्यजल नदी | Ojhala Bridge Mirzzpur
मिर्जापुर और विन्ध्याचल के मध्य बहने वाली इस नदी को पुण्यजल अथवा ओझल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जिस प्रकार सभी यज्ञों में अश्वमेघ यज्ञ और सभी पर्वतों में हिमालय पर्वत प्रसिद्ध है उसी प्रकार सभी तीर्थो में ओझल सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस नदी का जल गंगा नदी के जल के समान ही पवित्र माना जाता है। यह जगह देवी काली का मंदिर, महालक्ष्मी, महासरस्वती और तराकेश्वर महादेव के मंदिर से घिरी हुई है।
टंडा वाटर फॉल | Tanda water Fall
टंडा जलप्रपाल शहर से लगभग साल मील की दूरी पर स्थित है। टंडा जलप्रपात से कुछ दूरी पर खजूरी बांध और विन्ध्याम झरना भी स्थित है। विन्ध्याम झरना वन विभाग के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। झरने के पास ही पार्क और वन विहार का निर्माण भी किया गया है। प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए काफी संख्या में पर्यटक इस जगह पर आते हैं।
कांतित शरीफ दरगाह | Kantit sharif Dargah
ख्वाजा इस्माइल चिस्ती का मकबरा, कांतित शरीफ में स्थित है। प्रत्येक वर्ष हिन्दू व मुस्लिम दोनों मिलकर उर्स का पर्व मनाते हैं। मकबरे के समीप ही मुगल काल की एक मस्जिद स्थित है। यह मस्जिद काफी लंबी है। जिस कारण इसे लॉगी पहलवान मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
गुरूद्वारा गुरू दा बाघ | Gurudwara Sri Guru Ka Bagh)
मिर्जापुर स्थित गुरूद्वारा गुरू दा बाघ काफी प्रमुख गुरूद्वारों में से है। इस गुरूद्वारे का निर्माण दसवें सिख गुरू, गुरू गोविन्द सिंह की याद में करवाया गया था। गुरूद्वारा गुरू दा बाघ शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रामेश्वर महादेव मंदिर | Rameshwar mahadev Temple
रामेश्वर मंदिर मिर्जापुर जिले के विन्ध्याचल में स्थित है। यह जगह राम गया घाट पर, मिर्जापुर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना की थी।
मिर्जापुर कैसे जाएं | How to Reach Mirzapur
वायु मार्ग: सबसे निकटतम हवाई अड्डा बाबतपुर (वाराणसी) है। वाराणसी से मिर्जापुर 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, आगरा, मुम्बई, लखनऊ और काठमांडू आदि से वायुमार्ग द्वारा मिर्जापुर पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग: मिर्जापुर रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: मिर्जापुर सड़कमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, दिल्ली और कलकत्ता आदि जगह से सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता हैं।