मोहिनी एकादशी : व्रत कथा, मुहूर्त एवं पूजा विधि
वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से अधूरी मनोकामनाएं विष्णु भगवान अवश्य पूरी करते है।
मोहिनी एकादशी व्रत
व्रत नाम | मोहिनी एकादशी |
तिथि | वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी |
अनुयायी | हिन्दू धर्म, वैष्णव सम्प्रदाय |
देव | विष्णु |
उद्देश्य | सर्वकामना पूर्ति |
विशेष | एकादशी को चावल नही खाना चाहिए। |
मोहिनी एकादशी व्रत कथा
युधिष्ठिर ने पूछा- जनार्दन! वैशाख मास के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? उसका क्या फल होता है? उसके लिए कौन सी विधि है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले- धर्मराज! पूर्वकाल में परम बुद्धिमान श्रीरामचन्द्रजी ने महर्षि वशिष्ठजी से यही बात पूछी थी, जिसे आज तुम मुझसे पूछ रहे हो।
श्रीराम ने कहा भगवन्! जो समस्त पापों का क्षय तथा सब प्रकार के दुःखाँ का निवारण करने वाला व्रतों में उत्तम व्रत हो, उसे मैं सुनना चाहता हूँ।
वशिष्ठजी बोले श्रीराम तुमने बहुत उत्तम बात पूछी है। मनुष्य तुम्हारा नाम लेने से ही सब पापों से शुद्ध हो जाता है। तथापि लोगों के हित की इच्छा से मैं पवित्रों में पवित्र उत्तम व्रत का वर्णन करूँगा। वैशाख मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका नाम ‘मोहिनी’ है । यह सब पापों को हरने वाली और उत्तम हैं। उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पा जाते हैं ।
सरस्वती नदी के रमणीय तट पर भद्रावती नाम की सुन्दर नगरी है। वहाँ धृतिमान नामक राजा, जो चन्द्रवंश में उत्पन्न और सत्यप्रतिज्ञ थे. राज्य करते थे। उसी नगर में एक वैश्य रहता था. जो धन धान्य से परिपूर्ण और समृद्धशाली था। उसका नाम था धनपाल वह सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था।
दूसरों के लिए प्याऊ, कुआँ, मठ, बगीचा, पोखरा और घर बनवाया करता था। भगवान विष्णु की भक्ति में उसका हार्दिक अनुराग था। वह सदा शान्त रहता था। उसके पाँच पुत्र थे सुमना, धुतिमान, मेघावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि।
धृष्टबुद्धि पाँचवाँ बालक था। वह सदा बड़े बड़े पापों में ही संलग्न रहता था। जुए आदि दुर्व्यसनों में उसकी बड़ी आसक्ति थी। यह वैश्याओं से मिलने के लिए लालायित रहता था। उसकी बुद्धि न तो देवताओं के पूजन में लगती थी और न पितरों तथा ब्राह्मणों के सत्कार में। यह दुष्टात्मा अन्याय के मार्ग पर चलकर पिता का धन बरबाद किया करता था।
एक दिन यह वेश्या के गले में बाँह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया। तब पिता ने उसे घर से निकाल दिया तथा बन्धु बान्धवों ने भी उसका परित्याग कर दिया। अब यह दिन रात दुःख और शोक में डूबा तथा कष्ट पर कष्ट उठाता हुआ इधर उधर भटकने लगा।
एक दिन किसी पुण्य के उदय होने से वह महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पर जा पहुँचा। वैशाख का महीना था। तपोधन कौण्डिल्य गंगाजी में स्नान करके आये थे। धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित हो मुनिवर कौण्डिन्य के पास गया और हाथ जोड़ सामने खड़ा होकर बौला ब्रह्मन् ! द्विजश्रेष्ठ मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो ।”
कौण्डिन्य बोले : वैशाख के शुक्लपक्ष में ‘मोहिनी’ नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। ‘मोहिनी’ को उपवास करने पर प्राणियों के अनेक जन्मों के किये हुए मेरु पर्वत जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।’
वशिष्ठजी कहते हैं : श्रीरामचन्द्र जी मुनि का यह वचन सुनकर धृष्टबुद्धि का चित प्रसन्न हो गया। उसने कौण्डिन्य के उपदेश से विधिपूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत किया। नृपश्रेष्ठ इस व्रत के करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड पर आरूढ़ हो सब प्रकार के उपद्रवों से रहित श्री विष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह ‘मोहिनी का व्रत बहुत उत्तम है। इसके पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है।’
2021 में मोहिनी एकादशी व्रत कब है? (Mohindi Ekadashi Vrat Date and Muhurat)
हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं।
वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार यह मई-जून में पड़ता है। इस वर्ष अर्थात 2021 मेँ मोहिनी एकादशी 22 मई को है।
Important Timings On Mohini Ekadashi 2021
सूर्योदय (Sunrise) | May 22, 2021 5:47 AM |
सूर्यास्त (Sunset) | May 22, 2021 7:00 PM |
एकादशी प्रारम्भ) (Ekadashi Tithi Begins | May 22, 2021 9:16 AM |
एकादशी समाप्त (Ekadashi Ends) | May 23, 2021 6:43 AM |
हरि वसारा समाप्त (Hari Vasara End) | May 23, 2021 11:57 AM |
पारण समय (Parana Time) | May 23, 5:46 AM – May 23, 8:25 AM |
द्वादशी समाप्त (Dwadashi End Moment) | May 24, 2021 3:39 AM |
2021 में पढ़ने वाले एकादशी व्रत (Ekadashi Tithi Date List in 2021)
त्यौहार दिनांक | व्रत |
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जनवरी 10, 2025, शुक्रवार | पौष पुत्रदा एकादशी |
जनवरी 25, 2025, शनिवार | षटतिला एकादशी |
फरवरी 8, 2025, शनिवार | जया एकादशी |
फरवरी 24, 2025, सोमवार | विजया एकादशी |
मार्च 10, 2025, सोमवार | आमलकी एकादशी |
मार्च 25, 2025, मंगलवार | पापमोचिनी एकादशी |
मार्च 26, 2025, बुधवार | वैष्णव पापमोचिनी एकादशी |
अप्रैल 8, 2025, मंगलवार | कामदा एकादशी |
अप्रैल 24, 2025, बृहस्पतिवार | वरुथिनी एकादशी |
मई 8, 2025, बृहस्पतिवार | मोहिनी एकादशी |
मई 23, 2025, शुक्रवार | अपरा एकादशी |
जून 6, 2025, शुक्रवार | निर्जला एकादशी |
जून 21, 2025, शनिवार | योगिनी एकादशी |
जुलाई 6, 2025, रविवार | देवशयनी एकादशी |
जुलाई 21, 2025, सोमवार | कामिका एकादशी |
अगस्त 5, 2025, मंगलवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
अगस्त 19, 2025, मंगलवार | अजा एकादशी |
सितम्बर 3, 2025, बुधवार | परिवर्तिनी एकादशी |
सितम्बर 17, 2025, बुधवार | इन्दिरा एकादशी |
अक्टूबर 3, 2025, शुक्रवार | पापांकुशा एकादशी |
अक्टूबर 17, 2025, शुक्रवार | रमा एकादशी |
नवम्बर 1, 2025, शनिवार | देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी |
नवम्बर 15, 2025, शनिवार | उत्पन्ना एकादशी |
दिसम्बर 1, 2025, सोमवार | मोक्षदा एकादशी |
दिसम्बर 15, 2025, सोमवार | सफला एकादशी |
दिसम्बर 30, 2025, मंगलवार | पौष पुत्रदा एकादशी |