मोक्षदा एकादशी: व्रत कथा, मुहूर्त एवं पूजा विधि
Mokshada Ekadashi: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन (एकादशी) को आती है। इंग्लिश कलेंडर के अनुसार, यह नवंबर-दिसंबर महीने में पड़ता है। इस वर्ष 2024 में मोक्षदा एकादशी, 11 दिसंबर को है।
मोक्षदा एकादशी (Mokshada Eakadashi)
आधिकारिक नाम | मोक्षदा एकादशी व्रत |
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तिथि | मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि |
अनुयायी | हिन्दू |
देवता | विष्णु |
प्रकार | हिन्दू व्रत |
उद्देश्य | मोक्ष प्राप्ति |
सम्बंधित लेख | एकादशी व्रत, एकादशी में चावल निषेध क्यों? |
2024 में मोक्षदा एकादशी कब है? (Mokshada Ekadashi Date and Muhurat)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दौरान ग्यारहवें दिन (एकादशी) को आती है। इंग्लिश कलेंडर के अनुसार, ये नवंबर या दिसंबर महीने में पड़ता है। इस वर्ष पौष पुत्रदा एकादशी 11 दिसंबर को है।
मोक्षदा एकादशी मुहूर्त 2024 (Important Timings On Mokshada Ekadashi)
Sunrise | December 11, 2024 7:02 AM |
Sunset | December 11, 2024 5:38 PM |
Ekadashi Tithi Begins | December 11, 2024 3:43 AM |
Ekadashi Tithi Ends | December 12, 2024 1:09 AM |
Hari Vasara End Moment | December 12, 2024 6:29 AM |
Dwadashi End Moment | December 12, 2024 10:26 PM |
Parana Time | December 12, 7:03 AM – December 12, 9:10 AM |
मोक्षदा एकादशी कथा (Mokshada Ekadashi Story in Hindi)
युधिष्ठिर बोले: देवदेवेश्वर! मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसकी क्या विधि है तथा उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है? यह सब यथार्थ रूप से बताइये।
श्रीकृष्ण ने कहा- नृपश्रेष्ठ! मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का वर्णन करूँगा, जिसके श्रवण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। उसका नाम ‘मोक्षदा एकादशी’ है जो सब पापों का अपहरण करने वाली है।
राजन्! उस दिन यत्नपूर्वक तुलसी की मंजरी तथा धूप दीपादि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए। पूर्वोक्त विधि से ही दशमी और एकादशी के नियम का पालन करना उचित है। मोक्षदा एकादशी बड़े बड़े पातकों का नाश करने वाला है। इस दिन रात्रि में मेरी प्रसन्नता के लिए नृत्य, गीत और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए। जिसके पितर पापवश नीच योनि में पड़े है, वे इस एकादशी का व्रत करके इसका पुण्यदान अपने पितरों को करें तो पितर मोक्ष को प्राप्त होते हैं। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। (और पढ़ें: तुलसी कंठी माला का महत्व
पूर्वकाल की बात है, वैष्णवों से विभूषित परम रमणीय चम्पक नगर में वैखानस नामक राजा रहते थे। ये अपनी प्रजा का पुत्र की भाँति पालन करते थे। इस प्रकार राज्य करते हुए राजा ने एक दिन रात को स्वप्न में अपने पितरों को नीच योनि में पड़ा हुआ देखा। उन सबको इस अवस्था में देखकर राजा के मन में बड़ा विस्मय हुआ और प्रातः काल ब्राह्मणों से उन्होंने उस स्वप्न का सारा हाल कह सुनाया।
राजा बोले- ब्रह्माणो! मैने अपने पितरों को नरक में गिरा हुआ देखा है। वे बारंबार रोते हुए मुझसे यही कह रहे थे कि तुम हमारे तनुज (पुत्र) हो, इसलिए इस नरक समुद्र से हम लोगों का उद्धार करो। इस रूप में मुझे पितरों के दर्शन हुए हैं इससे मुझे चैन नहीं मिलता। क्या करूँ ? कहाँ जाऊँ? मेरा हृदय रुँधा जा रहा है।
द्विजोतमो वह व्रत वह तप और वह योग, जिस मेरे पूर्वज तत्काल नरक से छुटकारा पा जायें बताने की कृपा करें मुझ बलवान तथा साहसी पुत्र के जीते जी मेरे माता पिता घोर नरक में पड़े हुए हैं। अत: ऐसे पुत्र से क्या लाभ है ?
ब्राह्मण बोले- राजन्! यहाँ से निकट ही पर्वत मुनि का महान आश्रम है। ये भूत और भविष्य के भी ज्ञाता हैं। नृपश्रेष्ठ आप उन्हीं के पास चले जाइये।
ब्राह्मणों की बात सुनकर महाराज वैखानस शीघ्र ही पर्वत मुनि के आश्रम पर गये और वहाँ उन मुनिश्रेष्ठ को देखकर उन्होंने दण्डवत प्रणाम करके मुनि के चरणों का स्पर्श किया। मुनि ने भी राजा से राज्य के सातों अंगों की कुशलता पूछी।
राजा बोले- स्वामिन्! आपकी कृपा से मेरे राज्य के सातों अंग सकुशल हैं किन्तु मैंने स्वप्न में देखा है कि मेरे पितर नरक में पड़े हैं। अतः बताइये कि किस पुण्य के प्रभाव से उनका वहाँ से छुटकारा होगा ?
राजा की यह बात सुनकर मुनिश्रेष्ठ पर्वत एक मुहूर्त तक ध्यानस्थ रहे। इसके बाद वे राजा से बोले: ‘महाराजा मार्गशीर्ष के शुक्लपक्ष में जो मोक्षदा नाम की एकादशी होती है, तुम सब लोग उसका व्रत करो और उसका पुण्य पितरों को दे डालो। उस पुण्य के प्रभाव से उनका नरक से उद्धार हो जायेगा।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं युधिष्ठिर मुनि की यह बात सुनकर राजा पुन: अपने घर लौट आये। जब उत्तम मार्गशीर्ष मास आया, तब राजा वैखानस ने मुनि के कथनानुसार ‘मोक्षदा एकादशी’ का व्रत करके उसका पुण्य समस्त पितरोंसहित पिता को दे दिया।
पुण्य देते ही क्षणभर में आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। वैखानस के पिता पितरोंसहित नरक से छुटकारा पा गये और आकाश में आकर राजा के प्रति यह पवित्र वचन बोले बेटा तुम्हारा कल्याण हो । यह कहकर वे स्वर्ग में चले गये।
राजन! जो इस प्रकार कल्याणमयी मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मरने के बाद वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। यह मोक्ष देनेवाली ‘मोक्षदा एकादशी मनुष्यों के लिए चिन्तामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाली है। इस माहात्मय के पढ़ने और सुनने से याजपेय यज्ञ का फल मिलता है। (जरूर पढ़ें: एकादशी व्रत में क्या करें क्या न करें?
Mokshada Ekadashi Festival Dates Between 2024 & 2030
Year | Date |
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2024 | Wednesday, 11th of December |
2025 | Monday, 1st of December |
2026 | Sunday, 20th of December |
2027 | Thursday, 9th of December |
2028 | Monday, 27th of November |
2029 | Sunday, 16th of December |
वर्ष में पड़ने वाली एकादशी व्रत की सूची
त्यौहार दिनांक | व्रत |
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जनवरी 10, 2025, शुक्रवार | पौष पुत्रदा एकादशी |
जनवरी 25, 2025, शनिवार | षटतिला एकादशी |
फरवरी 8, 2025, शनिवार | जया एकादशी |
फरवरी 24, 2025, सोमवार | विजया एकादशी |
मार्च 10, 2025, सोमवार | आमलकी एकादशी |
मार्च 25, 2025, मंगलवार | पापमोचिनी एकादशी |
मार्च 26, 2025, बुधवार | वैष्णव पापमोचिनी एकादशी |
अप्रैल 8, 2025, मंगलवार | कामदा एकादशी |
अप्रैल 24, 2025, बृहस्पतिवार | वरुथिनी एकादशी |
मई 8, 2025, बृहस्पतिवार | मोहिनी एकादशी |
मई 23, 2025, शुक्रवार | अपरा एकादशी |
जून 6, 2025, शुक्रवार | निर्जला एकादशी |
जून 21, 2025, शनिवार | योगिनी एकादशी |
जुलाई 6, 2025, रविवार | देवशयनी एकादशी |
जुलाई 21, 2025, सोमवार | कामिका एकादशी |
अगस्त 5, 2025, मंगलवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
अगस्त 19, 2025, मंगलवार | अजा एकादशी |
सितम्बर 3, 2025, बुधवार | परिवर्तिनी एकादशी |
सितम्बर 17, 2025, बुधवार | इन्दिरा एकादशी |
अक्टूबर 3, 2025, शुक्रवार | पापांकुशा एकादशी |
अक्टूबर 17, 2025, शुक्रवार | रमा एकादशी |
नवम्बर 1, 2025, शनिवार | देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी |
नवम्बर 15, 2025, शनिवार | उत्पन्ना एकादशी |
दिसम्बर 1, 2025, सोमवार | मोक्षदा एकादशी |
दिसम्बर 15, 2025, सोमवार | सफला एकादशी |
दिसम्बर 30, 2025, मंगलवार | पौष पुत्रदा एकादशी |