Motihari (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
मोतीहारी (Motihari) बिहार राज्य के पूर्वी चंपारण जिले का मुख्यालय है। बिहार की राजधानी पटना से 170 किमी दूर पूर्वी चम्पारण बिल्कुल नेपाल की सीमा पर बसा है। किसी समय में चम्पारण, राजा जनक के साम्राज्य का अभिन्न भाग था।
Motihari: History, Facts & Tourist Places | wiki
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 35 km² |
भाषा | भोजपुरी, हिंदी, इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | पर्यटन की दृष्टि यहां सीताकुंड, अरेराज, केसरिया, चंडी स्थान जैसे जगह घूमने लायक है। |
विशेष | महात्मा गांधी ने तो अपने राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत यही से की थी |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
बिहार की राजधानी पटना से 170 किमी. दूर पूर्वी चम्पारण बिल्कुल नेपाल की सीमा पर बसा है। 2 नवंबर 1972 को चम्पारण जिले को दो जिलों “पूर्वी चम्पारण एवं पश्चिम चम्पारण” में विभाजित कर दिया गया था। पूर्वी चम्पारण जिले का मुख्यालय मोतिहारी में है।
ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस जिले को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। किसी समय में चम्पारण, राजा जनक के साम्राज्य का अभिन्न भाग था। स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी ने अपने राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत यही से की थी।
सीताकुंड (Sitakund)
मोतिहारी से 16 किमी दूर पीपरा रेलवे स्टेशन के पास यह कुंड स्थित है। माना जाता है कि भगवान राम की पत्नी सीता ने त्रेतायुग में इस कुंड में स्नान किया था। इसलिए इसे सीताकुंड के नाम से जाना जाता है। इसके किनारे मंदिर भी बने हूए है और यही पर रामनवमी के दिन एक विशाल मेला लगता है। हजारों की संख्या में इस दिन लोग भगवान राम और सीता की पूजा अर्चना करने यहां आते है।
अरेराज (Areraj)
शहर से 28 किमी. दूर दक्षिण-पश्चिम में अरेराज स्थित है। यहीं पर भगवान शिव का प्रसिद्व मंदिर सोमेश्वर शिव मंदिर है। श्रावणी मेला (जुलाई-अगस्त) के समय केवल मोतिहारी के आसपास से ही नहीं वरन नेपाल से भी हजारों की संख्या में भक्तगण भगवान शिव पर जल चढ़ाने यहां आते है।
लौरिया (Lauriya)
यहा गांव अरेराज अनुमंडल से 2 किमी दूर बेतिया-अरेराज रोड पर स्थित है। सम्राट अशोक ने 249 ईसापूर्व में यहां पर एक स्तम्भ का निर्माण कराया था। इस स्तम्भ पर सम्राट अशोक ने धर्म लेख खुदवाया था।
माना जाता है कि 36 फीट ऊंचे व 41.8 इंच आधार वाले इस स्तम्भ का वजन 40 टन है। सम्राट अशोक ने इस स्तम्भ के अग्र भाग पर सिंह की मूर्ति लगवाई थी लेकिन बाद में पुरातत्व विभाग द्वारा सिंह की मूर्ति को कलकत्ता के म्यूजियम में भेज दिया गया।
केसरिया (Kesariya)
मुजफ्फरपुर से 72 किमी. तथा चकिया से 22 किमी. दक्षिण-पश्चिम में यह स्थल स्थित है। भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा 1998 ईसवी में खुदाई के दौरान यहां पर बौद्व स्तूप मिला था। माना जाता है कि यह स्तूप विश्व का सबसे बड़ा और लंबा बौद्व स्तूप है। A.S.I के एक रिपोर्ट के मुताबिक जब भारत में बौद्व धर्म का प्रसार हुआ था तब केसरिया स्तूप की लंबाई 150 फीट थी तथा बोरोबोदूर स्तूप (जावा) की लंबाई 138 फीट थी।
वर्तमान में केसरिया बौद्व स्तूप की लंबाई 104 फीट तथा बोरोबोदूर स्तूप की लंबाई 103 फीट है। वही सांची स्तूप की लंबाई 77.50 फीट है। पुरातत्व विभाग के आकलन के अनुसार इस स्तूप का निर्माण लिच्छवी वंश के राजा द्वारा बुद्व के निर्वाण प्राप्त होने से पहले किया गया था। कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग ने भी इस जगह का भ्रमण किया था।
गांधी स्मृति स्तम्भ (Mahatma Gandhi Memorial)
भारत में अपने राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत गांधीजी ने चम्पारण से ही शुरु की थी। अंग्रेज जमींदारों द्वारा जबरन नील की खेती कराने का सर्वप्रथम विरोध महात्मा गांधी के नेतृत्व में यहां के स्थानीय लोगों द्वारा किया गया था। इस कारण से गांधीजी पर घारा 144 (C.R.P.C) का उल्लंघन करने का मुकदमा यहां के स्थानीय कोर्ट में दर्ज हुआ था।
जिस जगह पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था वही पर उनकी याद में 48 फीट लंबे उनकी प्रतिमा का निर्माण किया गया। इसका डिजाइन शांति निकेतन के प्रसिद्व मूर्तिकार नंदलाल बोस ने तैयार की थी। इस प्रतिमा का उदघाटन 18 अप्रैल 1978 को विधाधर कवि द्वारा किया गया था।
मेहसी (Mehsi)
शहर से 48 किमी. पूरब में यह जगह मुजफ्फरपुर-मोतिहारी मार्ग पर स्थित है। यह अपने शिल्प-बटन उघोग के लिए पूरे भारत में ही नहीं वरन् विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हो चुका है। इस उघोग की शुरुआत करने का श्रेय यहां के स्थानीय निवासी भुवन लाल को जाता है। सर्वप्रथम 1905 ईसवी में उसने सिकहरना नदी से प्राप्त शंख-सिप से बटन बनाने का प्रयास किया था।
लेकिन बेहतर तरीके से तैयार न होने के कारण यह नहीं बिक पाया।1908 ईसवी में जापान से 1000 रुपए में मशीन मंगा कर तिरहुत मून बटन फैक्ट्री की स्थापना की गई और फिर बडे पैमाने पर इस उघोग का परिचालन शुरु किया गया।
धीरे-धीरे बटन निर्माण की प्रक्रिया ने एक उघोग का रुप अपना लिया और उस समय लगभग 160 बटन फैक्ट्री मेहसी प्रखंड के 13 पंचायतों चल रहा था। लेकिन वर्तमान में यह उधोग सरकार से सहयोग नहीं मिल पाने के कारण बेहतर स्थिति में नहीं है। इसके अलावा पर्यटक चंडीस्थान (गोविन्दगंज), हुसैनी, रक्सौल जैसे जगह की भी सैर कर सकते है।
मोतिहारी कैंसे पहुंचे (How To Reach Motihari)
वायु मार्ग– राजधानी पटना में स्थित जयप्रकाश नारायण हवाईअड्डा यहां का नजदीकी एअरपोर्ट है।
रेल मार्ग– मोतिहारी रेलवे स्टेशन से देश के लगभग सभी महत्वपूर्ण जगहों के लिए ट्रेन सेवा उपलब्ध है।
सडक मार्ग– यह एनएच 28 द्वारा जुडा हुआ है। यहां से राजधानी पटना के लिए हरेक आधे घंटे पर बस उपलब्ध है।
कहां ठहरें: मोतिहारी में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक यहां के नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं।