Nalanda (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
नालंदा (Nalanda) भारत के बिहार प्रान्त का एक जिला है जिसका मुख्यालय बिहार शरीफ है। यहाँ विश्व कि सबसे प्राचीन् नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी मौज़ूद है।
Nalanda: History, Facts & Tourist Places | wiki
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 2355 वर्ग किमी |
भाषा | हिंदी |
दर्शनीय स्थल | नालंदा अवशेष, नालंदा पुरातत्व संग्रहालय, ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल आदि। |
विशेष | विश्व का प्राचीनतम विश्वविद्यालय |
कब जाएं | कब जाएं |
नालन्दा विश्वविद्यालय- नालन्दा विश्वविद्यालय के अवशेषों की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। माना जाता है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में गप्त शासक कुमारगुप्त ने की थी। इस विश्वविद्यालय को इसके बाद आने वाले सभी शासक वंशों का समर्थन मिला। महान शासक हर्षवर्द्धन ने भी इस विश्वविद्यालय को दान दिया था।
हर्षवर्द्धन के बाद पाल शासकों का भी इसे संरक्षण मिला। केवल यहां के स्थानीय शासक वंशों ने ही नहीं वरन विदेशी शासकों से भी इसे दान मिला था। इस विश्वविद्यालय का अस्तित्व 12वीं शताब्दी तक बना रहा। 12वीं शताब्दी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खलजी ने इस विश्वविद्यालय को जला डाला।
इस विश्वविद्यालय के बारे में माना जाता है कि यह विश्व का प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय था। इसमें करीब 10000 छात्र एक साथ विद्या ग्रहण करते थे। यहां 2000 शिक्षक छात्रों को पढ़ाते थे। यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अदभूत नमूना था। यह पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था तथा इसमें प्रवेश के लिए केवल एक ही मुख्य द्वार था।
इस परिसर में आठ विशाल भवन, दस मंदिर, कई प्रार्थनाकक्ष तथा अध्ययन कक्ष थे। इसके अलावा यहां सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी। इसका पुस्तकालय नौ मंजिला था। जिसमें पुस्तकों का अनुपम संग्रह था। इस पुस्तकालय में सभी विषयों से संबंधित पुस्तकें थी। इस विश्वविद्यालय में केवल भारत से ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, पर्शिया तथा तुर्की से भी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। प्रसिद्ध चीनी विद्वान ह्वेनसांग ने भी यहीं से शिक्षा ग्रहण की थी।
नालंदा के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Best Places To visit in Nalanda)
Nalanda Tourist Places: विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय के अवशेषों को अपने आंचल में समेटे नालन्दा बिहार का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां पर्यटक विश्वविद्यालय के अवशेष, संग्रहालय, नव नालंदा महाविहार तथा ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल देख सकते हैं।
इसके अलावा इसके आस-पास में भी घूमने के लिए बहुत से पर्यटक स्थल है। राजगीर, पावापुरी, गया तथा बोध-गया यहां के नजदीकी पर्यटन स्थल हैं।
प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के अवशेषों का परिसर
14 हेक्टेयर क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं। खुदाई में मिले सभी इमारतों का निर्माण लाल पत्थर से किया गया था। यह परिसर दक्षिण से उत्तर की ओर बना हुआ है। मठ या विहार इस परिसर के पूर्व दिशा में स्थित थे।
जबकि मंदिर या चैत्य पश्चिम दिशा में। इस परिसर की सबसे मुख्य इमारत विहार-1 थी। वर्तमान समय में भी यहां दो मंजिला इमारत मौजूद है। यह इमारत परिसर के मुख्य आंगन के समीप बना हुई है।
संभवत: यहां ही शिक्षक अपने छात्रों को संबोधित किया करते थे। इस विहार में एक छोटा सा प्रार्थनालय भी अभी सुरक्षित अवस्था में बचा हुआ है। इस प्रार्थनालय में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा भग्न अवस्था में है। यहां स्थित मंदिर नं 3 इस परिसर का सबसे बड़ा मंदिर है।
इस मंदिर से समूचे क्षेत्र का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। यह मंदिर कई छोटे-बड़े स्तूपों से घिरा हुआ है। इन सभी स्तूपो में भगवान बुद्ध की मूर्तियां बनी हुई है। ये मूर्तियां विभिन्न मुद्राओं में बनी हुई है।
नालन्दा पुरातत्वीय संग्रहालय
विश्वविद्यालय परिसर के विपरीत दिशा में एक छोटा सा पुरातत्वीय संग्रहालय बना हुआ है। इस संग्रहालय में खुदाई से प्राप्त अवशेषों को रखा गया है। इसमें भगवान बुद्ध की विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का अच्छा संग्रह है। साथ ही बुद्ध की टेराकोटा मूर्तियां और प्रथम शताब्दी का दो जार भी इस संग्रहालय में रखा हुआ है।
इसके अलावा इस संग्रहालय में तांबे की प्लेट, पत्थर पर खुदा अभिलेख, सिक्के, बर्त्तन तथा 12वीं सदी के चावल के जले हुए दाने रखे हुए हैं। खुलने का समय: सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक। शुक्रवार को बंद।
नव नालन्दा महाविहार
यह एक शिक्षा संस्थान है। इसमें पाली साहित्य तथा बौद्ध धर्म की पढ़ाई तथा अनुसंधान होता है। यह एक नया संस्थान है। इसमें दूसरे देशों के छात्र भी पढ़ाई के लिए यहां आते हैं।
ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल
यह एक नवर्निमित भवन है। यह भवन चीन के महान तीर्थयात्री ह्वेनसांग की याद में बनवाया गया है। इसमें ह्वेनसांग से संबंधित वस्तुओं तथा उनकी मूर्ति देखी जा सकता है।
आस-पास के दर्शनीय स्थल
सिलाव: यह गांव नालन्दा और राजगीर के मध्य स्थित है। यहां बनने वाली प्रसिद्ध मिठाई खाजा का स्वाद लिया जा सकता है।
सूरजपुर बड़गांव: यहां भगवान सूर्य का प्रसिद्ध मंदिर तथा एक झील है। यहां वर्ष में दो बार मेले का आयोजन होता है। एक वैशाख (अप्रैल-मई) तथा दूसराकार्तिक (अक्टूबर- नवंबर) महीने में। इन दोनों महीनों में यहां प्रसिद्ध छठ त्योहार मनाया जाता है। दूर-दूर से लोग छठ उत्सव मनाने यहां आते हैं।
नालंदा कैंसे पहुंचे (How To Reach Nalanda)
वायु मार्ग: यहां का नजदीकी हवाई अड्डा पटना का जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा है। जो यहां से 89 किलोमीटर दूर है। कलकत्ता, रांची, बांबे, दिल्ली तथा लखनऊ से पटना के लिए सीधी हवाई सेवा है।
रेल मार्ग: नालन्दा में रेलवे स्टेशन है। लेकिन यहां का प्रमुख रेलवे स्टेशन राजगीर है। राजगीर जाने वाली सभी ट्रेने नालंदा होकर जाती है।
सड़क मार्ग: नालंदा सड़क मार्ग द्वारा राजगीर (12 किमी), बोध-गया (110 किमी), गया (95 किमी), पटना (90 किमी), पावापुरी (26 किमी) तथा बिहार शरीफ (13 किमी) से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
कहां ठहरें: नालन्दा में ठहरने के लिए अच्छे होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक यहां के नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं।