नारद मुनि : परिचय, कथा, जयंती, पूजा विधि
नारद मुनि, हिन्दु शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के 7 मानस पुत्रो में से छठे है। उन्होने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया था। वे भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है।
नारद मुनि / नारद ऋषि / देव ऋषि नारद
नाम | महर्षि नारद, नारद मुनि, देव ऋषि नारद |
जन्म / जयंती | ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा |
माता-पिता | ब्रह्मा (father) सरस्वती (mother) |
संबंध | देवर्षि, मुनि |
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वंश गोत्र | हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक |
निवास स्थान | ब्रह्मलोक |
मंत्र | नारायण नारायण |
वाद्य | वीणा |
भाई-बहन | सनकादि ऋषि तथा दक्ष प्रजापति |
संदर्भ ग्रंथ | वैदिक साहित्य, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतियाँ, अथर्ववेद, ऐतरेय ब्राह्मण |
रचनाएँ | नारद पांचरात्र, नारद भक्ति सूत्र, नारद पुराण, नारद स्मृति |
नारद ऋषि कौन है? (Who is Narad Muni according to Hindu mythology?
शास्त्रों के अनुसार, नारद ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं। ये भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है। ये स्वयं वैष्णव हैं और वैष्णवों के परमाचार्य तथा मार्गदर्शक हैं।
देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर किया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है।
मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर दिया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है।
ब्रह्मऋषि, देवर्षि, महर्षि, परमर्षि, काण्डर्षि, श्रुतर्षि, राजर्षि ये सात ऋषियों के प्रकार है। नारद जी ही एक मात्र ऐसे ऋषि है, जिन्हें देवर्षि कहा जाता है। वे देवताओं के ऋषि है।
सप्त ब्रह्मर्षि-देवर्षि-महर्षि-परमर्षय:।
काण्डर्षिश्च श्रुतर्षिश्च राजर्षिश्च क्रमावरा:।।
श्रीमद्भगवद्गीता के दशम अध्याय के 26 वें श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा है – देवर्षीणाम् च नारद:। अर्थात- देवताओ में मैं नारद हूं।
नारद मुनि पहले पत्रकार (The First Journalist on Earth)
देवऋषि नारद भगवान नारायण के पार्षद होने के साथ-साथ देवताओं के प्रवक्ता भी हैं। देवर्षि नारद ने सवर्प्रथम इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों का आदान-प्रदान किया था। इस प्रकार देवताओं, गंदर्भ और राक्षसों के मध्य संवाद का सेतु स्थापित करने के लिए नारद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। और पढ़ें: दशावतार (भगवान विष्णु के दस अवतार)
पौराणिक मान्यता अनुसार, नारद ऋषि को पिता ‘ब्रह्मा’ ने एक स्थान पर स्थित न रहकर घूमते रहने का शाप दे दिया था। जिस कारण वह नारायण नाम का जाप करते हुए घूमते रहते है।
2022 में महर्षि नारद जयंती कब है? (Narada Jayanti Date & Muhurat)
जेठ महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि में नारद जी का जन्म हुआ था। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन जून या मई के महीने में पड़ता है। इस वर्ष नारद जयंती 17 मई 2022 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
Important Timings On Narada Jayanti 2022
सूर्योदय (Sunrise) | May 17, 2022 5:48 AM |
सूर्यास्त (Sunset) | May 17, 2022 6:57 PM |
प्रतिपदा प्रारम्भ (Tithi Begins) | May 16, 2022 9:44 AM |
प्रतिपदा समाप्त (Tithi Ends) | May 17, 2022 6:25 AM |
महर्षि नारद जन्म कथा (Birth Story of Maharshi Narad in Hindi)
पूर्व जन्म में नारद ‘उपबर्हण’ नाम के गंधर्व थे। उन्हें अपने रूप पर अभिमान था। एक बार जब ब्रह्मा की सेवा में अप्सराएँ और गंधर्व गीत और नृत्य से जगत्स्रष्टा की आराधना कर रहे थे।
एक बार गंधर्व और अप्सराएं भगवान ब्रह्मा जी की गंधर्व गीत और नृत्य से आराधना कर रहे थे। उस समय गंधर्व ‘उपबर्हण’ स्त्रियों के साथ श्रृंगार भाव से वहां उपस्थित हुआ। उपबर्हण का यह अशिष्ट आचरण देखकर भगवान ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठे और शूद्र योनि में जन्म लेने का शाप दे दिया।
ब्रह्मा जी के शाप फलस्वरूप नारद जी का जन्म ‘शूद्रा दासी’ के घर पर हुआ। माता पुत्र साधु संतों की निष्ठा के साथ सेवा करते थे। पाँच वर्ष का बालक संतों के पात्र में बचा हुआ झूठा अन्न खाता था, जिससे उसके हृदय के सभी पाप धुल गये।
शूद्रा दासी की सर्पदंश से मृत्यु हो गयी। माता के वियोग को भी भगवान का परम अनुग्रह मानकर ये अनाथों के नाथ दीनानाथ का भजन करने के लिये चल पड़े।
एक दिन वह बालक एक पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगा कर बैठा था। कि उसके हृदय में भगवान की एक झलक विद्युत रेखा की भाँति दिखायी दी और तत्काल अदृश्य हो गयी। इससे उनके मन में ईश्वर और सत्य को जानने की लालसा बढ़ गई।
उसी समय आकाशवाणी हुई कि-हे बालक, इस जन्म में अब तुम मेरे दर्शन नहीं कर पाओगे। अगले जन्म में तुम मेरे पार्षद होंगे। समय आने पर बालक का पांचभौतिक शरीर छूट गया और कल्प के अन्त में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में नारद का अवतीर्ण हुआ।
देवऋषि नारद का स्वरूप (What does Shiva look like?)
पुराणों में नारद की खड़ी शिखा, हाथ में वीणा, मुख से ‘नारायण’ शब्द का जाप, पवन पादुका पर मनचाहे वहाँ विचरण करने वाले कहा गया है।
श्रीकृष्ण देवर्षियों में नारद को अपनी विभूति बताते हैं। वैदिक साहित्य, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतियाँ, सभी शास्त्रों में कहीं ना कहीं नारद का निर्देश निश्चित रूप से होता ही है।
देव ऋषि नारद के कार्य (Work Done by Narad Muni Hindi)
नारद के अगणित कार्य हैं। वे नारायण के विशेष कृपापात्र और लीला-सहचर हैं। जब-जब भगवान का आविर्भाव होता है, ये उनकी लीला के लिए भूमिका तैयार करते हैं। लीलाओं का संग्रह, प्रसार और प्रचार करते है। देव ऋषि नारद के कुछ प्रमुख कार्य निम्न है-
- भृगु कन्या लक्ष्मी का विवाह विष्णु के साथ करवाया।
- देव और दानव को साथ मिलकर मंथन करवाने में भूमिका निभाई।
- पार्वती को शिव को वर के रूप में प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
- महादेव द्वारा जलंधर का विनाश करवाया।
- इन्द्र को समझा बुझाकर उर्वशी का पुरुरवा के साथ परिणय सूत्र कराया।
- डाकू रत्नाकर को महर्षि वाल्मीकि बनाया।
- बाल्मीकि को रामायण की रचना करने की प्रेरणा दी।
- कंस को आकाशवाणी का अर्थ समझाया।
- व्यास जी से भागवत की रचना करवायी।
- प्रह्लाद और ध्रुव को उपदेश देकर महान् भक्त बनाया।
- देवर्षि नारद व्यास, बाल्मीकि तथा महाज्ञानी शुकदेव आदि ऋषियों के गुरु भी हैं।
- वीणा का आविष्कार नारद जी ने ही किया था।
देवर्षि नारद द्वारा विरचित भक्तिसूत्र बहुत महत्त्वपूर्ण है। नारदजी को अपनी विभूति बताते हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण श्रीमद् भागवत गीता के दशम अध्याय में कहते हैं- अश्वत्थ: सर्ववूक्षाणां देवर्षीणां च नारद:।
नारद मुनि पूजा विधि और लाभ (Narad Puja Benefits and vidhi in Hindi)
नारद जी भगवान विष्णु जी के परम और अनन्य भक्त हैं। इसलिए नारद की पूजा करने से पूर्व भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद देवर्षि नारद जी की पूजा आराधना करनी चाहिए।
धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन भगवान विष्णु जी के परम और अनन्य भक्त नारद जी की पूजा आराधना करने से व्यक्ति को बुद्धि, भक्ति और सात्विक शक्ति मिलती है।
भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- मैं ऋषियों में देवर्षि नारद हूं। अतः नारद जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
नारद जयंती 2021-2028 तक
Year | Day, Date, Month |
2021 | Thursday, 27th of May |
2022 | Tuesday, 17th of May |
2023 | Saturday, 6th of May |
2024 | Friday, 24th of May |
2025 | Tuesday, 13th of May |
2026 | Saturday, 2nd of May |
2027 | Friday, 21st of May |
2028 | Tuesday, 9th of May |
अंतिम निर्णय:- आजकल धार्मिक चलचित्रों और धारावाहिकों में नारद जी के पात्र को जिस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है, उससे आम आदमी में उनकी छवि लडा़ई-झगडा़ करवाने वाले व्यक्ति अथवा विदूषक की बनकर रह गई है।
यह उनके प्रकाण्ड पांडित्य एवं विराट व्यक्तित्व के प्रति सरासर अन्याय है। हम जाने अनजाने श्रीहरि के इन अंशावतार की अवमानना के दोषी है।