Narak Chaturdashi: जानिए कब और कैसे मनाएं नरक चतुर्दशी?
Narak Chaturdash: नरक चतुर्दशी, जिसे रूप चौदस और छोटी दीपावली भी कहा जाता है, दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव (धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन, भाई दूज) का दूसरा दिन होता है। इस दिन को विशेष रूप से नर्कासुर वध से जोड़कर देखा जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि नरक चतुर्दशी कब और कैसे मनाई जाती है, इसका महत्व क्या है और इस दिन की पूजा विधि क्या है।
नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi)
नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन को नरक चतुर्दशी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन नरक यानी नरक लोक से मुक्ति पाने के लिए पूजा की जाती है।

नरक चतुर्दशी का महत्व (Significance of Narak Chaturdashi)
- नरक से मुक्ति: मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति नरक लोक से मुक्त हो जाता है।
- अशुभ शक्तियों का नाश: इस दिन की गई पूजा से अशुभ शक्तियों का नाश होता है और घर में सुख-शांति आती है।
- दीपावली की शुरुआत: नरक चतुर्दशी को दीपावली का पहला दिन माना जाता है। इस दिन से ही दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है।
नरक चतुर्दशी कैसे मनाए? (how to Celebrate Natrak Chaturdashi)
- कालिका पूजा: इस दिन काली माता की पूजा की जाती है। माना जाता है कि काली माता बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।
- तेल लगाना: इस दिन शरीर पर तेल लगाकर स्नान किया जाता है। ऐसा करने से शरीर शुद्ध होता है।
- नए कपड़े पहनना: इस दिन नए कपड़े पहनने का रिवाज है।
- दीपक जलाना: घर के बाहर और अंदर दीपक जलाए जाते हैं। इससे अंधकार दूर होता है और प्रकाश का प्रतीक होता है।
- दान करना: इस दिन दान करना शुभ माना जाता है।
- कथा सुनना: इस दिन नरक चतुर्दशी से जुड़ी कथाएं सुनी जाती हैं।
नरक चतुर्दशी 2024 पर महत्वपूर्ण समय
सूर्योदय | 31 अक्टूबर, सुबह 6:35 बजे |
सूर्यास्त | 31 अक्टूबर, शाम 5:45 बजे |
चतुर्दशी तिथि का समय | 30 अक्टूबर, 01:16 अपराह्न – 31 अक्टूबर, 03:53 अपराह्न |
अभ्यंग स्नान मुहूर्त | 31 अक्टूबर, 05:21 पूर्वाह्न – 06:35 सुबह |
नरक चतुर्दशी से जुड़ी कथा
नरक चतुर्दशी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध किया था और 16,000 कन्याओं को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। इस विजय के बाद से यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि
स्नान और उबटन का महत्व: नरक चतुर्दशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वह जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। इसमें ‘अभ्यंग स्नान’ किया जाता है। जिसमें तिल के तेल और उबटन का प्रयोग किया जाता है।
श्री कृष्ण की पूजा: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करके उनके समक्ष दीपक जलाकर यह प्रार्थना की जाती है कि वे हमें पापों से मुक्त करें और जीवन में समृद्धि का वरदान दें।
भोग: पूजा के पश्चात भगवान को नैवेद्य अर्पित करें। इसमें विशेष रूप से चावल, गुड़, दही और तिल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से घर में सुख-शांति और वैभव का वास होता है।
दीप जलाना: स्नान के बाद अपने घर के मुख्य दरवाजे और तुलसी के पौधे के पास दीप जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और बुरी शक्तियाँ दूर होती हैं।
नरक चतुर्दशी उत्सव 2024 से 2029 तक
वर्ष | तारीख |
---|---|
2024 | गुरुवार, 31 अक्टूबर |
2025 | सोमवार, 20 अक्टूबर |
2026 | रविवार, 8 नवंबर |
2027 | गुरुवार, 28 अक्टूबर |
2028 | मंगलवार, 17 अक्टूबर |
2029 | सोमवार, 5 नवम्बर |