Nawanshahr (Punjab): History & Places to Visit in Hindi
नवाँशहर (Nawanshahr), जिसका औपचारिक नाम ‘शहीद भगत सिंह नगर’ है, भारत के पंजाब राज्य के शहीद भगत सिंह नगर ज़िले (भूतपूर्व नाम नवाँशहर ज़िला) में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।
Nawanshahr: History, Facts & Tourist Places in Hindi | Wiki
राज्य | पंजाब |
क्षेत्रफल | 1267 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | पंजाबी, हिंदी, और इंग्लिश |
पर्यटन स्थल | गुरूद्वारा नानकसर, गुरूद्वारा चरण कन्वल, गुरूद्वारा गुरूपाल, गुरूद्वारा गुरप्रताप, गुरूद्वारा तहली साहिब, गुरूद्वारा भाई सिख हियाला आदि। |
कब जाएं | नवंबर से फरवरी। |
नवांशहर विशेष रूप से गुरूद्वारे और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। इस जिले में स्थित गुरूद्वारे व मंदिर खूबसूरत होने के साथ-साथ ऐतिहासिक झलक भी दिखलाते है।
इस जगह को पहले नौशार के नाम से जाना जाता था। यह जिला पंजाब के होशियारपुर और जालंधर जिलों से घिरा हुआ है। माना जाता है कि नववंशशहर का निर्माण अफगान मिलिटरी के चीफ नौशार खान ने करवाया था। यह जिला सतलुज नदी के किनारे स्थित है।
1. गुरूद्वारा नानकसर (Gurdwara Nanaksar Sahib)
यह गुरूद्वारा नवांशहर स्थित हकीमपुर गांव में स्थित है। इस जगह से नववंशशहर पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जब गुरू हर राय साहिब जी करतारपुर से कीर्तपुर साहिब की ओर जा रहे थे तो उन्होंने इसी स्थान पर विश्राम किया था।
गुरूद्वारे के समीप ही पीपल और नीम का वृक्ष था। जिन पर गुरू जी ने अपने घोड़ों को बांधा था। आज भी यह वृक्ष इस जगह पर स्थित है। इस गुरूद्वारे का निर्माण महाराजा रंजीत सिंह ने करवाया था। महाराजा रंजीत सिंह को पंजाब का शेर भी कहा जाता था।
2. गुरूद्वारा चरण कन्वल (Gurudwara Charan Kanwal Sahib)
गुरूद्वारा चरण कन्वल का निर्माण महाराजा रंजीत सिंह ने करवाया था। यह गुरूद्वारा महाराजा रंजीत सिंह ने सिक्खों के दसवें गुरू गुरूगोविन्द सिंह जी की याद में बनवाया था। अपनी आखिरी लड़ाई के बाद जिसमें गुरू जी ने पंडे खान को मारा था, वह इस जगह पर आए थे और उन्होंने यहां के जमींदार जीवा को आशीर्वाद के रूप में दूध दिया था।
इसके बाद से इस गांव को जिन्दोवाल के नाम से जाना जाता है। गुरूद्वारे के आरम्भ में ही एक बड़ा सरोवर है जिसका निर्माण सरदार धन्ना सिंह ने अपनी बेटी के लिए करवाया था। इसके अलावा यहां लंगर के लिए भी एक अलग से इमारत है। इस इमारत को भाई सेवा सिंह ने बनवाया था।
3. गुरूद्वारा गुरूपाल (Gurudwara Gurpal)
मोहन कोश के अनुसार सिख गुरू हर राय कुछ दिनों तक यहां ठहरें थे। प्रत्येक वर्ष जुलाई महीने में यहां मेले का आयोजन किया जाता है। गुरू जी जब कीतारपुर साहिब जा रहे थे तो उन्होंने अपनी आखिरी लड़ाई यहीं पर लड़ी थी। इसके अतिस्क्ति इस स्थान पर एक कुंआ स्थित है। इसी कुंए से गुरू जी पानी निकाला करते थे।
4. गुरूद्वारा गुरप्रताप (Gurudwara Gurpartap)
गुरूद्वारा गुरप्रताप नववंशशहर से एक किलोमीटर की दूरी पर एक गांव में स्थित है। इस गांव में गुरूद्वारा बनवाने के लिए भूमि महाराजा रंजीत सिंह ने दी थी। ऐसा माना जाता है कि गुरू तेग बहादुर सिंह यहां घूमने के लिए आए थे। इस गांव में पानी की किल्लत को देख उन्होंने यहां पर एक कुंआ खुदवाया था।
5. गुरूद्वारा तहली साहिब (Gurudwara Tahli Sahib)
यह गुरूद्वारा नवाँशहर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यह गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी के बड़े बेटे बाबा श्री चंद की याद में बनवाया गया था। कहा जाता है कि बाबा श्री चंद ने यहां 40 दिन तक ध्यान साधना की थी। प्रत्येक वर्ष बाबा श्री चंद के जन्मदिन पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
6. गुरूद्वारा भाई सिख हियाला (Baba Bhai Sikh Gurudwara)
नवाँशहर से कुछ दूरी पर स्थित हियाला गांव में एक खूबसूरत गुरूद्वारा है। इस गुरूद्वारे को बाबा भाई सिख के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष दशहरे के बाद यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
मान्यता अनुसार बाबा भाई सिख झीगरन गांव के मूल निवासी थे। वह काफी समय तक यहां पर रहे थे। उनका उद्देश्य लोगों में साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना पैदा करना था। जिस स्थान पर यह गुरूद्वारा बना हुआ है वहां पर पहले बाबा भाई सिख का घर था।
7. सनेही मंदिर (Snehi Temple)
नवाँशहर में स्थित सनेही मंदिर की नींव पंडित निहाल चंद गौतम, पंडित मूल राज गौतम, पंडित श्रीकांत गौतम और पंडित इंदु दत्त गौतम ने रखी थी। इस मंदिर को बनने में 6 वर्ष लगे थे। माना जाता है कि इस मंदिर को बनाने में 18665 रूपए की लागत आई थी। मंदिर का उद्घाटन 15 दिसम्बर1865 ई. को हुआ था।
यह धार्मिक समारोह पंडित विश्वनाथ, जालंधर के उपायुक्त की देखरख में हुआ था। इस मंदिर में माता चिंतपूर्णी की प्रतिमा स्थित है। माता की मूर्ति को विशेष रूप से जयपुर से मंगवाया था। यह मंदिर लगभग 120 वर्ष पुराना है। इस मंदिर की देखभाल के लिए एक मंडली नियुक्त की गई। इस मंडली को सनेही संकीर्तन मंडल के नाम से जाना जाता है।
8. कृपाल सागर (Kripal Sagar)
दरियापुर गांव में स्थित कृपाल सागर का निर्माण मानवीय एकता का प्रतीक है। इस स्थान पर सभी धर्मों के लोग पूजा करने के लिए आते थे। इस जगह के चारों कानों में अंडाकार सरोवर बने हुए है।
9. बाबा बलराज मंदिर (Baba Balraj Mandir)
बाबा बलराज मंदिर का निर्माण बाबा राजा देव ने 16वीं शताब्दी में करवाया था। जयपुर के राजा के रिश्तेदार इस जगह पर आए थे और यहां उन्होंने ध्यान साधना की थी। अपने पिता की याद में उनके बेटे ने 1596 ई. में यह मंदिर बनवाया था। 1534 ई. में जब हूमांयु शेरशाह सूरी के विरुद्ध लड़ने के लिए जा रहे थे तो उस समय वह बाबा राज देव जी से आशीर्वाद लेने के लिए आए थे।
नवाँशहर कैंसे पहुंचे (How to Reach Nawanshahr)
वायु मार्ग: सबसे नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर में है। अमृतसर नववंशशहर से 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: नवाँशहर रेलमार्ग द्वारा कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: नवाँशहर सड़क मार्ग द्वारा कई प्रमुख राज्यों व शहरों से जुड़ा हुआ है।