पं. श्रद्धा राम शर्मा फिल्लौरी | जीवनी
ॐ जय जगदीश हरे के रचियता (पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी)
हममें से कम ही लोगो को पता है। ॐ जय जगदीश हरे आरती के राचियता पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी ने सन 1863 में लिखी थी। उस समय भारत में ब्रिटिश साम्राज्य था और पंजाब में हिन्दू की बजाय इंग्लिश और उर्दू का बोल बाला था।
इनके पिता ज्योतिष का काम करते थे। श्रद्धा राम संस्कृति, पंजाबी और हिंदी के प्रकांड विद्वान थे। इन्हे पंजाबी का पहला गद्य लेखक माना जाता है। श्रद्धा राम ज्योतिष के माध्यम से लोगों का भविष्य बताते थे, जब उन्होंने यह आरती लिखी होगी तब शायद ही उन्होंने कल्पना की होगी कि यह आरती पूजा की पूर्णतः के रूप में मान्य होगा।
यही नहीं जब हिंदी के प्रथम उपन्यास का जिक्र होता था तो दबी जुबां में इनके लिखे उपन्यास ‘भाग्यवती’ का उल्लेख हिंदी के विद्वान इतिहास लेखक करते थे और बाद के शोध से यह सिद्ध हो भी गया है श्रीनिवास द्वारा रचित ‘परीक्षा गुरु’ नहीं श्रद्धा राम द्वारा लिखित भाग्यवती ही हिन्दी का पहला उपन्यास है।
यह उपन्यास सन 1888 में उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हुआ था। कुछ जगह पर इस उपन्यास का प्रकाशन वर्ष 1982 भी बताया गया है, लेकिन गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के हिंदी विभाग द्वारा शोध से यह सिद्ध हो गया है कि हिंदी का पहला उपन्यास भाग्यवती ही हैं।
इस उपन्यास के माध्यम से पंडित जी ने सामाजिक कुप्रथाओं पर तीव्र प्रहार किया था जो उस समय बड़ी हिम्मत की बात थी। यह उपन्यास एक ब्राह्मण की बेटी भाग्यवती के चरित्र द्वारा बाल विवाह जैसी कुप्रथा पर तीखी चोट करता हुआ भारतीय औरत की दशा और अधिकारों पर गहन विश्लेषण करता है। वास्तव में भाग्यवती धार्मिक अंधविश्वास, बंधनों से मुक्ति प्राप्त कर सामाजिक परिवर्तनों के सपनों को साकार रूप देने की अद्भुत रचना है।
इन्हे पंजाबी गद्य का पितामह भी कहा जाता है। सिख राज दी व्यथा इनकी पंजाबी गद्य की प्रथम रचना थी। यह पुस्तक 1866 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में सिख इतिहास के साथ साथ पंजाबी भाषा और संस्कृति के विषय में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला गया हैं।
पं. श्रद्धा राम शर्मा फिल्लौरी की मृत्यु वर्ष 24 जून 1881 में हुई।