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Panna (M.P): History & Tourist Places in Hindi

Byvashi Madhya Pradesh
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पन्ना (Panna) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के पन्ना ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। पन्ना यहां मिलने वाले हीरों के लिए जाना जाता है

Panna: History, Facts & Tourist Places | Wiki

राज्यमध्य प्रदेश
क्षेत्रफल7,135 km²
भाषाहिंदी और इंग्लिश
दर्शनीय स्थलपन्ना राष्ट्रीय पार्क, महामति प्राणनाथजी मंदिर, जुगल किशोर मंदिर, बलदेवजी मंदिर, अजयगढ़ का किला, पान्डव झरना आदि।
प्रसिद्धिहीरों का नगर
सम्बंधित लेखमध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल
कब जाएंसितंबर से मार्च।

पन्ना भारत का एकमात्र स्थान है जहां हीरे पाए जाते हैं। साथ ही यह स्थान वन्य जीवों के संरक्षण और टाईगर रिजर्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां का राष्ट्रीय पार्क भारत का बाईसवां और मध्य प्रदेश का पांचवां टाइगर रिजर्व है। यह राष्ट्रीय पार्क जंगली बिल्लियों विशेषकर टाईगरों के लिए विश्वविख्यात है। इसके अलावा यहां के कस्‍तुरीमृग और हिरण भी पार्क के मुख्य आकर्षण हैं।

पार्क मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है। खूबसूरत पन्ना स्वच्छ, शान्त और वृक्षों से घिरा हुआ हरित प्रदेश है। पन्ना प्रणामी समुदाय के अनुयायियों का पवित्र तीर्थस्थल भी है। यहां के अनेक झरने वातावरण को सुरम्य और आकर्षक बनाते हैं।

पन्ना का इतिहास (History of Panna)

पन्ना का उल्लेख प्राचीन ग्रंथ रामायण तथा अनेक पुराणों जैसे विष्‍णु पुराण, भविष्‍य पुराण आदि से प्राप्त होता है। इन पुराणों में पन्ना का प्राचीन नाम पद्मावती पुरी बताया गया है। वाल्मिकी रामायण के 41 वें सर्ग में सुग्रीव ने इसका उल्लेख किलकिला खंड के रूप में किया है। श्रीमद भागवत में इसे किलकिला प्रदेश कहा गया है।

स्थानीय मान्यता के अनुसार यह क्षेत्र राजा दधीचि‍ की राजधानी थी। इसे सतयुग के राजा पदमावत की राजधानी भी कहा जाता था। कहा जाता है कि स्वामी प्राणनाथ जी ने मध्य काल के महान योद्धा राजा छत्रसाल को पन्ना की हीरे की खानों के बारे में बताया था। इससे छत्रसाल के राज्य की आर्थिक स्थिति सुधरी थी।

पन्ना को अपनी राजधानी बनाने के लिए स्वामी जी ने राजा छत्रसाल को प्रेरित किया था और उनके राज्याभिषेक की व्यवस्था भी की थी। कहा जाता है कि महाभारत के पांडवों ने अपने वनवास का समय पन्ना के जंगलों में व्यतीत किया था। वर्तमान में अजयगढ़ के कुछ हिस्सें को काटकर पन्‍ना जिले में शामिल किया गया है।

इस नगर की स्‍थापना गौंड जाति ने की थी। लेकिन इसका महत्व छत्रसाल की राजधानी बनने के बाद बढ़ा। खुदाई में मिले अवशेषों से पता चलता है कि इस स्‍थान पर प्रागैतिहासिक काल से मनुष्‍यों का निवास था। त्रेतायु्ग में पन्ना को महान दंडकारण्य क्षेत्र में शामिल कर लिया गया था। आगे चलकर यह जिला मौर्य, शुंग और गुप्त वंश के विशाल साम्राज्य का हिस्सा बना। 

पन्ना के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Best Places To Visit in Panna)

Panna Tourist Places: पन्ना जिला ऐतिहासिक और प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों से भरा हुआ है। पर्यटकों को आकर्षित करने वाले प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्नलिखित हैं-

पन्ना राष्ट्रीय पार्क- केन नदी के किनारे पन्ना राष्ट्रीय पार्क को 1981 में स्थापित किया गया और इसे 1994 में प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यह राष्ट्रीय पार्क 543 वर्गकि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है।

पन्ना राष्ट्रीय पार्क यहां का सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल है और पर्यटकों को सबसे अधिक आकर्षित करता है। पार्क की भौगोलिक स्थिति पर्यटकों को आकर्षित करती है। मॉनसून के दिनों में प्रपाती झरनों से यह पार्क हरा भरा और जीवन्त हो उठता है। पूर्व में यह पार्क पन्ना और छतरपुर के शाही परिवारों के शिकार का अड्डा था। शिकार पर पाबन्दी लगने के बाद इसे राष्ट्रीय पार्क में तब्दील कर दिया गया।

इस पार्क में वन्यजीवों की बहुत-सी प्रजातियों रहती है। यहां टाइगरों को तेन्दुआ, भेड़िया और घडियालों के साथ देखा जा सकता है। सामान्यत: यहां नीलगाय, चिंकारा, सांभर जैसे पशुओं का झुण्ड देखा जा सकता है। पार्क में जंगली सुअर, भालू, चीतल, चौसिन्हा, लोमड़ी, साही, और अन्य बहुत से दुर्लभ जीवों को भी आसानी से यहां देखा जा सकता है।

पार्क में पक्षियों की लगभग 300 प्रजातियां हैं। पार्क में घडियालों का एक अलग अभ्यारण्य भी बनाया गया है। पक्षियों और जीव-जन्तुओं से समृद्ध यह पार्क पर्यटकों के समक्ष एक ऐसी तस्वीर प्रस्तुत करता है जिससे वह यहां खिंचे चले आते हैं।

जीप सफारी- पार्क भ्रमण का मुख्य माध्यम जीप सफारी है। जीप सफारी की व्यवस्था सुबह और दोपहर के वक्त की जाती है। यहां सरकारी जीपों की व्यवस्था नहीं है। जीप किराए पर लेकर जंगल के रोमांच का अनुभव किया जा सकता है। जीप सफारी का समय सुबह 6:30 से 10:30 और 2:30 से 5:30 बजे का रखा गया है।

हाथी सफारी- जंगल की यात्रा के लिए हाथी सफारी की जरूरत पड़ती है। टाइगर को नजदीक से देखने के लिए हाथी सफारी सबसे बढ़िया माध्यम है।

गंगुआ की नाइट सफारी- साही, जंगली बिल्ली या अन्‍य जीव जिन्‍हें रात में भ्रमण करना अच्छा लगता है। ये जीव सामान्यत: दिन में नहीं दिखाई देते। टाइगर रिजर्व को अंधेरा होने के बाद बन्द कर दिया जाता है, लेकिन केन रिवर लॉज नजदीकी जंगल में नाइट सफारी की व्यवस्था करता है। यह सफारी तीन से चार घंटे चलती है। रात्रि में ऐसे जानवरों को देखा जा सकता है जो दिन में दिखाई नहीं देते। गंगुआ अभ्यारण्य 1975 में पार्क के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में स्थापित किया गया था। 
 
महामति प्राणनाथजी मंदिर– यह प्रणामी संम्प्रदाय का सबसे प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर प्रणामियों के सामाजिक और धार्मिक जीवन को दर्शाता है। यह मंदिर 1692 ईसवीं में बना था। कहा जाता है कि प्राणनाथजी यहां रहने के बाद यहीं के होकर रह गए थे। तब से यह स्थान प्रणामियों का परम पूज्य तीर्थ स्थल बन गया। यह मंदिर ताजमहल की याद ताजा कर देता है।

इसका केन्द्रीय गोलाकार गुम्बद मुस्लिम वास्तुशिल्प और कमल के आकार का गुम्बद भारतीय परंपरा को दर्शाता है। पंजे में चमकता हुआ दैवीय कलश महामति के आशीर्वाद और अक्षरातीत पूर्ण ब्राह्मण को इंगित करता है। मंदिर का मुख्य द्वार चांदी का बना हुआ है और इसे कामन दरवाजा कहा जाता है। प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दिन यहां हजारों लोग उत्सव मनाने के लिए एकत्रित होते हैं।

जुगल किशोर मंदिर- यह पन्ना का प्रमुख हिन्दु मंदिर है। इसका निर्माण बुंदेला मंदिर शैली में किया गया है। नट मंडप, भोग मंडप, गर्भगृह और प्रदक्षणा पथ मंदिर में उपस्थित हैं। कहा जाता है कि इसकी मूर्ति ओरछा के रास्ते वृन्दावन से पन्ना आई थी। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि चार धामों की यात्रा जुगलकिशोर जी की यात्रा के बिना अधूरी है।

पदमावति या बड़ी देवी मंदिर- यह मंदिर किलकिला नदी के उत्तरी पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के बारें में यह मान्यता है कि देवी पदमावति अभी भी जीवित हैं और पन्ना की खुशियों, संपन्नता और सुरक्षा की रक्षक है। नव-दुर्गेत्सव के दौरान यहां हजारों की संख्या में भक्तगण एकत्रित होते हैं। महाराजा छत्रसाल बुन्देला ने इसे राज लक्ष्मी के रूप में स्वीकार किया था जबकि उनकी कुलदेवी विन्ध्यवासनी थीं।

बलदेवजी मंदिर- यह मंदिर पेलाडियन शैली से निर्मित है। इस मंदिर को इंग्लैंड के सेन्ट पॉल कैथोलिक की नकल कहा जा सकता है। इटालियन विशेषज्ञ मेनली की देखरख में इसे बनवाया गया था। मंदिर में एक विशाल कक्ष है जिसे महामंडप कहा जाता है। इसके विशाल स्तम्भ एक ऊंचे चबूतरे पर बने हुए हैं। बलदेव जी की आकर्षक मूर्ति काले शालीग्राम पत्थर की बनी है। बलदेव जी का मंदिर पन्ना की उत्तम वास्तुकला का नमूना है।

पान्डव झरना– यह झरना पन्ना से 12 किलोमीटर दूर खजुराहो की ओर है। यह झरना पन्ना के राष्ट्रीय पार्क और राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप स्थित है। यहां मॉनसून के दौरान भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह झरना कभी नहीं सूखता है। इसके चारों तरफ की हरियाली अभूतपूर्व नजारा प्रस्तुत करती है। झरने के समीप कुछ प्राचीन गुफाएं भी हैं। लगभग 100 फुट ऊंचा यह झरना पिकनिक का खूबसूरत स्थल है।

अजयगढ़ का किला- पन्ना से 36 कि.मी. दूर यह प्राचीन किला 688 मीटर की ऊंचाई पर बना है। चन्देलों के पतन के समय यह उनकी राजधानी थी। छत्रसाल ने 1731 ई. में यह किला अपने पुत्र जगत राय को सौंप दिया था।

नचना- पन्ना से 40 कि.मी. दूर नचना नवकाटका और गुप्त साम्राज्य का मुख्य शहर था। यह चर्तुमुख मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। चार मुंह वाले लिंगम के कारण इसका नाम चतुर्मुख मंदिर पड़ा। यह लिंगम आज भी मंदिर में स्थापित है।

हीरे की खान- हीरे की खानें पन्ना के 80 कि.मी. के क्षेत्र में फैली हुई हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी हीरे की खानें हैं। इन खानों में खनन कार्य सरकार का राष्ट्रीय खनिज विकास निगम करता है। हीने की खानों की शुरूआत उत्तर पूर्वी पहाड़ीखेड़ा से दक्षिण पश्चिमी मागांव तक है। इसकी चौड़ाई लगभग 30 कि.मी. है।

पन्ना कैसे पहुंचें (How To Reach Panna)

पन्ना दिल्ली से 620 कि.मी. दक्षिण पूर्व, झांसी से 176 कि.मी. दक्षिण पूर्व, और खजुराहो से 27 कि.मी. दक्षिण पूर्व स्थित है। यहां पहुंचने के लिए रेल, वायु और सड़क मार्ग को अपनी सुविधा के अनुसार अपनाया जा सकता है।

वायुमार्ग- पन्ना का करीबी हवाई अड्डा खजुराहो है। यह पन्ना राष्ट्रीय पार्क से 57 कि.मी. दूर है। दिल्ली, मुम्बई और वाराणसी का वायुमार्ग खजुराहो से जुड़ा हुआ है। खजुराहो से टैक्सी या बस के माध्यम से पन्ना पहुंचा जा सकता है।

रेलमार्ग- पन्ना से 90 कि.मी. दूर स्थित सतना नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन मध्य भारत और पश्चिम भारत के बहुत से प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। किराए की टैक्सी और राज्य परिवहन निगम की बसों के द्वारा पन्ना पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग- पन्ना का बस स्टैन्ड खजुराहो और मध्य प्रदेश के प्रमुख स्थानों के सड़क मार्ग से जुड़ा है। पन्ना से 24 कि.मी. की दूरी पर मांडला यातायात का अच्छा केन्द्र है। बसों के अलावा यातायात के अन्य माध्यमों का भी पन्ना पहुंचने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

जलवायु- इस क्षेत्र की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। गर्मियों में अत्यधिक तापमान के कारण असहजता होती है। इसके बावजूद यह मौसम जीव जन्तुओं को देखने का सबसे बेहतर समय है। सर्दियां में यहां का तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है। जुलाई से सितम्बर के मध्य तक मॉनसून का मौसम रहता है।

कब जाएं- टाइगर रिजर्व आगंतुकों के लिए साल के आठ महीना खुला रहता है। नवम्बर से जून तक पार्क का भ्रमण किया जा सकता है। सुविधा की दृष्टि से सर्दियों का मौसम उत्तम माना जाता है क्योंकि गर्मियों में गर्मी के कारण असहजता का अनुभव किया जाता है।

कहां ठहरें- पन्ना में अनेक होटल और लॉज हैं जिन्हें ठहरने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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Post Tags: #Madhya Pradesh#MP Tourism

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