परीक्षित तंत्र दर्पण : Parichhit Tantra Darpan by N.K Vyas | Review & PDF [Hindi]
Parichhit Tantra Darpan: “तंत्र’’ परिस्थितियों का दास नहीं अपितु परिस्थितियों को स्वयं के अनुकूल बनाने का एक सशक्त माध्यम है। आजके इस लेख में, हम “परीक्षित तंत्र दर्पण” पुस्तक की समीक्षा करेंगे।
परीक्षित तंत्र दर्पण (Parichhit Tantra Darpan by N.K Vyas)
अदृश्य तथ्यों के प्रति मानव की स्वभाविक जिज्ञासा रही है। अदृश्य तथ्यों के दृश्य सूत्रों का ही नाम ” तंत्र” है। वस्तुतः तंत्र क्या है ? तंत्र अर्थात सिस्टम, जिसकी पूर्णतया अनुपालना करने से व्यक्ति को अवश्य ही परिणाम की प्राप्ति होती है।
प्रत्येक सजीव एवं निर्जीव “तंत्र” से प्रभावित है। इसी कारण “तंत्र” को “अदृश्य का विज्ञान” भी कहते है। जिसका अध्ययन वर्तमान समय में विज्ञान की शाखा “COSMOLOGY एवं EX-BIOLOGY” के तहत किया जाता है। “परिक्षीत तंत्र दर्पण” इसी अदृश्य के विज्ञान को समर्पित “पं. श्रीमाली एन. के. व्यास” की लेखनी का देदीप्यमान नक्षत्र है।
Title | परीक्षित तंत्र दर्पण (Parichhit Tantra Darpan) |
Publisher | RAVE PUBLICATIONS |
Author | पं श्रीमाली एन. के. व्यास |
Language | Hindi |
Edition | 2009 |
Pages | 192 |
Cover | Paperback |
Other Details | 21.5 cm X 14 cm |
Weight | 220 gm |
Rating | ⭐⭐⭐ |
Ebook | Not Avilable |
लेखक परिचय
पं. श्रीमाली (एन.के. व्यास) अन्नत प्राच्य विद्याओं के अनुभूत ज्ञाता, शिक्षक, सिद्ध साधक एवं विशिष्ट लेखक, वंश परम्परागत राजगुरू, दैवज्ञ शिरोमणि, यंत्र-मंत्र-तंत्र के प्रखर ज्ञाता, ब्रह्म ऋषि-तपो मूर्ति, स्वनाम धन्य, परमशील सम्पन्न परमज्ञान मूर्ति, स्वपरशास्त्र पारंगत अनेकानेक शुभगुणालंकृत पूज्यपाद गुरूवर्य्य “श्री श्री 105 श्री व्यास जी” के कुल कमल दिवाकर है।
पं. श्रीमाली अनेक प्राच्य लिपियों के ज्ञाता, रहस्य अन्वेषक एवं श्रेष्ठ साधक है। आद्या शक्ति पराम्बा भगवती के लाडले सपूत है। पं. श्रीमाली ने अनेकों वर्षो तक गूढ़ विद्याओं के साधकों के साथ हरकदम-हमराज रहकर साधनाएं की है। पं. श्रीमाली ने अपने और साथी साधकों के साधनागत अनुभूत प्रयोगों को जनकल्याण निमित्त लिपिबद्ध किया है।
गूढ़ ज्ञान जो रहस्यों की परतों में धूमिल होकर ओझल होने के कगार पर है ऐसी स्थिति में पं. श्रीमाली ने इस धरोहर को पुनर्जीवित एवं प्रतिष्ठित किया है।
पितृ दोष निवारण प्रयोग
(1) इस उपाय से पित्र दोष तो शांत होता ही है, साथ ही साथ कालसर्प दोष एवं राहु-केतु प्रदत्त दोषों की भी शांति हो जाती है।
विधिः शुद्ध मेहन्दी लावे उससे एक दीपक बनावे, दो लंबी बत्ती बनावे, दीपक में क्रास में दोनों बत्तीयों को लगावें, बाट को तेल में अच्छी तरह से भीगोकर तैयार रखें।
एक आक का पत्ता बडी साईज का बेदाग लावे उसे पानी से धोकर रखे तथा एक अध कच्ची जरा मोटी रोटी बनावें। एक पत्तल लाकर शनिवार की शाम को पत्तल में पहले आक का पत्ता, फिर उस पर रोटी, रोटी पर दीपक, दीपक में तेल व बाट रखकर, बाट के चारों मुंह जलाकर, हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि है। पीतर देव मैं आपकी प्रसन्नता के निमित यह कार्य कर रहा हूं। यह कहकर जल छोड दें चौराहे पर पत्तल रख आवे, ऐसा 21 दिन तक करें।
(2) सोमवार को 9 से 11 बजे ॐ जूं सः (ओम जूम सह) बोलकर कच्चा दूध ग्यारह सोमवार शिवलिंग पर चढ़ावे।
(3) अमावस्य के दिन गुग्गल धूप करें नारीयल चढ़ावे। एक ब्राह्मण बालक को भोजन करावें, दक्षिणा व सफेद वस्त्र पहनने हेतु देवें। ऐसा तीन अमावस्य करें।
खाट-पलँग बाँधना, बुरे स्वप्न एवं डर से रक्षण हेतु मंत्र
झन छुवे आरी, झन छुवे वारी। झन छुवे पालेंग हमारी, दास कबीर हे रखवारी। महादेव के त्रिशूल भारी, पार्वती की महिमा न्यारी। खाट वाँटु, वाट वाँधु वाँधु पलँग-चौकी। काकर बाँधे? मोर गूरू के बांधे, महादेव-पार्वती के वाधे सत् नाम कबीरदास के, बांधे जा रे खाट। बँधा जा।
विधि : पहले मंत्र को मंत्र सिद्धि काल में 108 बार गुग्गल धूप देकर सिद्ध कर ले। रात को सोते समय 4 बार मंत्र पढ़कर पलँग या खाट के चारों कोनें में फूंक मारे। अच्छी नींद आयेगी, बुरे स्वप्न व डर आदि से रक्षा होगी।
भूत-प्रेत निवारक घोड़े की नाल
ना मयो हो, रेन गे कयो।
विधि: शनिवार के दिन घोड़े की नाल की पंचोपचार से पूजा कर उक्त मंत्र का ।। माला जप करे। फिर ‘नाल’ को घर के मुख्य द्वार के बीचों-बीच टांक दे या ठोंक दें। इससे घर में कभी भूत प्रेतों का आक्रमण नही होगा यदि होगा भी तो ‘नाल’ के प्रभाव से भाग जायेंगे। हर गुरूवार को लोबान की धूप नाल को जरूर दे।
समीक्षा (Rating: ⭐⭐⭐
जब मानव परिस्थितियों के समक्ष घुटने टेकने को विवश हो जाता है, ऐसी परिस्थितियों से उबरने का सार्थक माध्यम ‘‘तंत्र’’ है। ‘‘तंत्र’’ परिस्थितियों का दास नहीं अपितु परिस्थितियों को स्वयं के अनुकूल बनाने का एक सशक्त माध्यम माना जाता है। ऐसी स्थिति में “परीक्षित तंत्र दर्पण” इस धरोहर को पुनर्जीवित एवं प्रतिष्ठित करने का कार्य करती है। यह पुस्तक आपको पढ़नी ही चाहिए।