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पशुपतिनाथ मंदिर,काठमांडू नेपाल

Byvashi Temple
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Pashupatinath-Temple


Short introduction:- पशुपतिनाथ मंदिर एक प्रसिद्ध और पवित्र हिंदू मंदिर है जो नेपाल की राजधानी काठमांडू मे स्थित है। यह शिव के द्वादश जोतिर्लिंग में से एक है

Pashupatinath Temple is a famous and sacred Hindu temple located in Kathmandu, the capital of Nepal. It is one of the 12 Jyotirlingas of Lord Shiva.


पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple)

पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) नेपाल में स्थित भगवान शिव का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन गांव में स्थित है। पशुपतिनाथ मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में सूचीबद्ध है।

पशुपतिनाथ का अर्थ (Meaning of Pashupatinath)

पशु मतलब जीव, पति मतलब स्वामी और नाथ मतलब मालिक या भगवान। अर्थात पशुपतिनाथ का मतलब संसार के समस्त जीवों के स्वामी हुआ।  


मंदिर परिसर और वास्तुकला (Temple Complex and Architecture) 

पशुपति नाथ मंदिर पैगोड़ा शैली में बना है। जो 264 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसमे कुल 518 मंदिर और स्मारक है। पशुपतिनाथ मंदिर में कुल चार दरवाजे है। पश्चिम द्वार पर पीतल के नंदी विराजमान है। इस मंदिर में 2 गर्भगृह है। भीतर के गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग स्थापित है। बाहरी गर्भगृह एक खुला गलियारा है।    


दर्शन और प्रवेश (Entry and Darsan)

पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) में मुख्य रूप से हिंदुओं को ही प्रवेश करने की अनुमति है। गैर हिंदू के लिए मंदिर के बाहर से बागमती नदी के दूसरे किनारे से देखने की अनुमति है। पशुपतिनाथ में शिवरात्रि का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।


पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी (chief Priest of pashupatiath Temple)

पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) में 4 पुजारी नेपाल का और एक मुख्य पुजारी (chief priest) दक्षिण भारत का होता था। सन 17वी ताब्दी के प्रसिद्ध राजा प्रताप मल्ल ने मंदिर में चार पुजारी (भट्ट) और एक मुख्य पुजारी (मूल-भट्ट) दक्षिण भारत के ब्राह्मण को नियुक्त किया था, यह प्रथा तभी से चली आ रही थी। प्रचंड सरकार ने भारतीय ब्राह्मणो का एकाधिकार समाप्त कर नेपाली पुजारी का अधिकार सौप दिया। परंतु हिन्दू संगठन और देश विदेश के दबाव के कारण पुनः मुख्यपुजारी को नियुक्त कर दिया गया।

राजा मानते थे कि दक्षिण भारत के ब्राह्मण का धर्म पर अच्छी पकड़ होती है,इसके अलावा राज परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने पर शोक मनाने पर कोई नेपाली पूजा नहीं कर सकता था। इसलिए मंदिर का मुख्य पुजारी दक्षिण भारत का नियुक्त किया गया था।


पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास (History of Pashupatinath Temple)

पशुपतिनाथ मंदिर निर्माण की सही तारीख अज्ञात है। परंतु प्राचीन ग्रंथो के आधार पर इसे हिन्दू धर्म का प्राचीनतम मंदिर माना जाता है।

किंवदंतियों के अनुसार पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण तीसरी सदी ईसा पूर्व सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने कराया था किंतु उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेज़ 13वीं शताब्दी के ही उपलब्ध हैं। मूल मंदिर कई बार समय और प्रकृतिक आपदा के कारण नष्ट हो चुका है। मंदिर को वर्तमान स्वरूप देने का श्रेय सन 1697 में नरेश भूपतेंद्र मल्ल को दिया जाता है।

इस मंदिर की कई नकलों का भी निर्माण हुआ है जिनमें भक्तपुर (1480), ललितपुर (1566) और बनारस (19वीं शताब्दी के प्रारंभ में) प्रमुख हैं।


पौराणिक मान्यता (Mythological Belief)

नेपाल महात्म्य और हिमवतखंड पर आधारित स्थानीय मान्यता के अनुसार भगवान शिव एक बार वाराणसी के अन्य देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे स्थित मृगस्थली जंगल में चिंकारे का रूप धारण कर रहने लगे।

जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। इस दौरान उनका सींग चार के चार टुकड़े हो गए। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए।

भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित केदारनाथ मंदिर की किंवदंती के अनुसार पाण्डवों को स्वर्ग प्रयाण के समय उन्हे भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे जो बाद में धरती में समा गए, लेकिन भीम ने उनकी पूँछ पकड़ ली थी। ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप केदारनाथ कहलाया, तथा जहाँ पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ कहलाया।


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