Pathanamthitta (Kerala): History & Places To Visit in Hindi
पतनमतिट्टा (Pathanamthitta) भारत के केरल राज्य के पतनमतिट्टा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। सबरिमलय का महत्वपूर्ण हिन्दूतीर्थ इसी ज़िले में स्थित है।
Pathanamthitta: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | केरल |
क्षेत्रफल | 1475.69 वर्ग किमी. |
भाषा | मलयालम, हिंदी, इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | सबरीमला, अरनमुला, चेरुकोल पूजा, कदम्मनिट्टा देवी मन्दिर, कोन्नी हाथी परीक्षण केन्द्र, चेरुकोल पूजा आदि। |
सम्बंधित लेख | केरल के प्रमुख पर्यटन स्थल |
कब जाएं | सितंबर से मई। |
पश्चिमी घाट पर स्थित केरल का पथनमथिट्टा जिला आंखों को सुकून पहुंचाता प्रमुख दर्शनीय स्थल है। दूर-दूर तक फैले घने जंगल, कलकल बहती नदियां और ग्रामीण इलाके, बरबस ही मन को अपनी ओर खींच लेते हैं। यह स्थान केवल प्राकृतिक रूप से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध है।
यहां के मंदिरों, नौकादौड़ और सांस्कृतिक प्रशिक्षण केंद्र को देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। माना जाता है कि इस जिले के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र पहले पंडलम राजा के शासन का अंग था जिनका संबंध पांड्य वंश से था।
पथनमथिट्टा दो शब्दों से मिलकर बना है- पथनम और थिट्टा जिसका अर्थ है नदी के किनारे बने घरों का समूह। इस जिले का निर्माण 1 नवंबर 1982 को हुआ था। आज पर्यटक की दृष्टि से यह समृद्धि के पथ पर अग्रसर है। यहां का सबरीमला मंदिर तो पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है।
सबरीमला (Sabarimala)
सबरीमला भारत के प्रमुख तीर्थस्थालों में से एक है। यह पश्चिमी घाट में समुद्रतल से करीब 3000 फीट ऊपर स्थित है। सबरीमला चारों ओर से घने वनों से घिरा है और यहां पहाड़ियों के बीच में से पंपा नदी बहती है। सबरीमला जाने के लिए एरुमेली उपयुक्त आधार शिविर है।
यह मंदिर भगवान अय्यप्पा को समर्पित हैं जो दक्षिण भारत के सबसे पूजनीय भगवानों में से एक हैं। भगवान अय्यप्पा का मंदिर जिसे सामान्यत: सबरीमला मंदिर कहा जाता है, लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। प्रतिवर्ष न केवल भारत से बल्कि विश्व के अन्य भागों से भी लोग यहां दर्शन करने आते हैं।
नवंबर से जनवरी के बीच यहां बहुत से भक्त आते हैं। इसके अलावा मंदिर पूरे वर्ष बंद रहता है। लेकिन हर मलयालम माह के पहले पांच दिन और विशु (अप्रैल) को यह मंदिर खुलता है।
मंदिर में दर्शन करने से पूर्व भक्त पवित्र पंपा नदी में स्नान करते हैं। सिर पर पूजा सामग्री लिए श्रद्धालु नंगे पैर भगवान का नाम लेते हुए घने जंगल पार करके मंदिर तक पहुंचते हैं। मंदिर में किसी को भी आने की मनाही नहीं है लेकिन 10 से 50 साल तक की लड़कियां और महिलाएं यहां प्रवेश नहीं कर सकती। (और पढ़ें: सबरीमाला मंदिर
अरनमुला (Aranmula)
अरनमुला मंदिरों का एक छोटा सा शहर है जो चारों ओर से हरे-भरे पहाड़ों से घिरा हुआ है। पवित्र पंपा नदी यहां से होकर बहती है। यहां का मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। अरनमुला धातु दर्पण के लिए भी प्रसिद्ध हैं जो बेल मेटा से बनाए जाते हैं। यह एक अद्भुत कला है जो विश्व में और कहीं नहीं पाई जाती है।
यह शहर अरनमुला कल्लमकली (नौका दौड़) के लिए मशहूर है जो हर साल ओणम उत्सव के दौरान आयोजित की जाती है। अरनमुला का वास्तुविद्या गुरुकुल एक अनोखा संस्थान है जिसका उद्देश्य वास्तुविद्या और भित्ति चित्रों का संरक्षण व प्रसार करना है।
चेरुकोल पूजा (Cherukole Subramanya Festival)
हिंदुओं की धार्मिक सभा अरियूर चेरुकोलपुजा पंबा नदी के किनारे चेरुकोल में सामान्यत: फरवरी माह में आयोजित की जाती है। बड़ी संख्या में लोग इसमें भाग लेते हैं और ख्याति प्राप्त धर्मशास्त्री और सांस्कृतिक हस्तियां इसे संबोधित करती हैं।
सेंट मेरी ऑथरेडॉक्स चर्च (Saint Mary Church)
सेंट मेरी ऑथरेडॉक्स चर्च पथनमथिट्टा जिले के कल्लूपाड़ा में स्थित है। इसके चारों ओर मणिमला नदी बहती है। इस चर्च के बारे में माना जाता है कि इसका निर्माण दूसरी शताब्दी में किया गया था। वर्तमान चर्च की नींव का पत्थर 1339 में रखा गया था। चर्च का वास्तुशिल्प आरंभिक त्रावणकोर शैली का है।
चर्च के पूर्वी और पश्चिमी भाग में ग्रेनाइट की दो सिल्लियां रखी हैं जिनपर पाली भाषा में कुछ खुदाई की हुई है। लकड़ी पर तराशी गई मूर्तियां और आकृतियां विशेष रूप से दर्शनीय हैं। चर्च का मुख्य उत्सव कल्लूपाड़ा पेरुमल है जो हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है जो इस चर्च का स्थापना दिवस भी है।
पंडलम महल (Pandalam Places)
पंडलम महल चेंगन्नुर से 15 किमी. देर पंडलम का प्रमुख पर्यटक स्थल है। जनश्रुतियों के अनुसार सबरीमला के मुख्य देवता, भगवान अय्यप्पा का जन्म और पालन पोषण यहीं हुआ था। सबरीमला जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान विशेष महत्व रखता है। अचनकोविल नदी के किनार बने इस महल में भगवान अय्यप्पा के आभूषणों को सुरक्षित रखा जाता है।
मकरविलक्कु (सबरीमला के प्रमुख त्योहारों में से एक) से तीन दिन पहले इन आभूषणों को सबरीमला लाया जाता है। महल परिसर में एक खंडहरनुमा सरोवर है जिसके बारे में माना जाता है कि भगवान अय्यप्पा ने बचपन में यहां स्नान किया था। इस महल के पास ही वलियाकोयिक्कल मंदिर है।
ऊट्टुपाड़ा (Oottupara)
ऊट्टुपाड़ा नेल्लीकला गांव में स्थित एक विशाल चट्टान है। करीब एक एकड़ में फैला यह चट्टान दर्शनीय भी है और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इसका बहुत महत्व है। माना जाता है कि अनरमुला मंदिर के लिए ऊट्टु सद्य का यहां चट्टान की चोटी पर आयोजन किया जाता था। इस पत्थर पर दो सरोवर और भीम के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि पूंजार के पूर्व शासक गरीब गांव वालों के लिए यहां वार्षिकोत्सव का
उरलकुजी तीर्थम (Uralkuzhi Temple or waterfall)
उरलकुजी तीर्थम वंदीपूरियार-सबरीमला मार्ग पर स्थित है। इस झरने के पानी का प्रयोग भगवान के अभिषेक के लिए किया जाता है। श्रद्धालु इस पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। उनका विश्वास है कि यहां डुबकी लगाने से जीवन भर के पाप धुल जाते हैं।
अप्पचीमेडु (Appachimedu)
अप्पचीमेडु पंपा से सबरीमला की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यह नीलिमला का अंतिम बिंदु है। इस स्थान के दोनों ओर खाइयां हैं। इन्हें अप्पची कुजी या एप्पची कुजी कहा जाता है। जो व्यक्ति पहली बार सबरीमला आता है वह चावल से बना एक विशेष प्रकार का पदार्थ यहां गिराता है। माना जाता है कि यह प्रसाद उन बुरी आत्माओं के लिए है जिन्हें कडुवरन ने यहां पर कैद किया हुआ है।
कदम्मनिट्टा देवी मन्दिर (Kadammanitta Devi Temple)
कदम्मनिट्टा देवी मंदिर पथनमथिट्टा से आठ किमी. दूर कदम्मनिट्टा में स्थित है। यह मंदिर कदम्मनिट्टा देवी को समर्पित है। यहां का मुख्य आकर्षण यहां का वार्षिकोत्सव है जिसे कदम्मनिट्टा पटायिनी कहा जाता है। दस दिनों तक चलने वाला यह उत्सव मलयालम माह मेदम को मनाने का कलात्मक तरीका है। कदम्मनिट्टा मशहूर केरल कवि कदमनिट्टा रामाकृष्णम का जन्मस्थान भी है।
कोन्नी हाथी परीक्षण केन्द्र (Konni Elephant Training Center)
कोन्नी एलिफेंट केज कोन्नी का प्रमुख पर्यटक स्थल है जो पथनमथिट्टा से 11 किमी. दूर है। कोन्नी में पूरे राज्य में सबसे अधिक हाथी पाए जाते हैं। इन हाथियों को पकड़कर एलिफेंट केज लाया जाता था और लकड़ी से बने पिंजरों में डाल दिया जाता था। इन पिंजरों को अनकूडु कहा जाता था।
बाद में इन्हें काम का प्रशिक्षण दिया जाता था। आज सरकार हाथी पकड़ने और प्रशिक्षण देने के इस पुराने अमानवीय तरीके पर प्रतिबंध लगा चुकी है और अब इन पिंजरों का बहुत अधिक महत्व नहीं रह गया है फिर भी यह स्थान बड़ी संख्या में जिज्ञासु पर्यटकों को आकर्षित करती है।
पथनमथिट्टा कैंसे पहुंचे (How To Reach Pathanamthitta)
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा कोचीन यहां से 142 किमी. दूर है। इसके अलावा यहां पहुंचने के लिए तिरुवनंतपुरम (113 किमी.) और कोजीकोड हवाई अड्ड का प्रयोग भी किया जा सकता है।
रेल मार्ग: तिरुवल्ला रेलवे स्टेशन जिले का मुख्य रेलवे स्टेशन है। यह देश व राज्य के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: केएसआरटीसी और निजी बसें पथनमथिट्टा को अन्य शहरों से जोड़ती हैं। मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु के लिए यहां से प्रतिदिन बसें खुलती हैं।
कहां ठहरें: बड़े होटल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में मिलते हैं जो यहां से 113 किमी. दूर है। तिरुवनंतपुरम से सड़क और रेल मार्ग के जरिए आसानी से पथनमथिट्टा पहुंचा जा सकता है।