Pavapuri (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
पावापुरी (Pawapuri) या पावा (Pawa) भारत के बिहार राज्य के नालंदा ज़िले जिले में राजगीर और बोधगया के समीप स्थित एक शहर है। संपूर्ण शहर कैमूर की पहाड़ी पर बसा हुआ है।
Pavapuri: History, Facts & Tourist Places | wiki
राज्य | बिहार |
जिला | नालंदा |
भाषा | हिन्दी और मगही |
औसत वर्षा | 186 सेंटीमीटर |
दर्शनीय स्थल | जल मंदिर, गांव मंदिर, सामोशरण मंदिर, नया सामोशरण मंदिर आदि। |
सम्बंधित लेख | बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थल |
प्रसिद्धि | जैनियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च |
पावापुरी जिसे अप्पापुरी के नाम से भी जाना जाता है जैनियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। यह बिहार में स्थित है। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने यहीं महापरिनिर्वाण ग्रहण किया था। 500 ई. पू. में यहीं पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
कहा जाता है कि जहां पर उनका अंतिम संस्कार किया गया वहां की मिट्टी की इतनी ज्यादा मांग थी कि मिट्टी निकालने से वहां एक तालाब का निर्माण हो गया। जल मंदिर तथा सामोशरण यहां के प्रमुख मंदिर हैं।
इतिहास के झरोखे से: 2600 वर्ष पहले पावापुरी मगध साम्राज्य का हिस्सा था। उस समय इसे मध्यमा पावा या अप्पापुरी के नाम से जाना जाता था। मगध के सम्राट अजातशत्रु भगवान महवीर के प्रमुख अनुयायियों में से एक थे। उनके समय में हस्तिपाल पावापुरी का राजा था। जब भगवान महावीर पावापुरी आये तो वे राजा हस्तिपाल के राजकीयशाला में ठहरे थे।
पावापुरी के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places To Visit in Pavapuri)
Tourist Place in Pavaphri: पावापुरी में मुख्य रुप से पांच मंदिर जल मंदिर, गांव मंदिर, सामोशरण मंदिर और नया सामोशरण मंदिर आदि प्रमुख मंदिर है। इन मंदिरों के अतिरिक्त जल मंदिर के निकट एक दिगम्बर जैन मंदिर भी है।
गांव मंदिर: यह उस जगह बना हुआ है जहां भगवान महावीर ने अंतिम सांस ली थी। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्द्धन ने करवाया था।
जल मंदिर: जल मंदिर एक तालाब के बीचों-बीच बना हुआ है। इस मंदिर में मुख्य पूज्यनीय वस्तु भगवान महावीर की चरण पादुका है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्द्धन ने करवाया था। यह मंदिर विमान आकार में बना हुआ है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 600 फीट लम्बा पुल बना हुआ है।
सामोशरण मंदिर: यह मंदिर सफेद संगमरमर का बना हुआ है। कहा जाता है कि भगवान महावीर ने यहीं पर उपदेश दिया था।
आसपास के दर्शनीय स्थल (Tourist Attraction near Pavapuri)
सूरजपुर बड़गांव: यह स्थान पावापुरी से 8 किलोमीटर दूर है। यहां एक झील तथा प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। यहां तीर्थयात्री वर्ष में दो बार एकत्रित होते हैं। वैशाख ( अप्रैल-मई) तथा कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) माह में दूर-दूर से लोग प्रसिद्ध छठ पर्व मनाने के लिए आते हैं।
कुंडलपुर: कुंडलपुर पावापुरी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जैन धर्म के दिगम्बर सम्प्रदाय के अनुयायियों का मानना है कि भगवान महावीर का जन्म यहीं हुआ था। यहां एक जैन मंदिर तथा दो लोटस झील है। ये झील द दिरगा पुष्कर्णी तथा पांडव पुष्कर्णी है।
बिहार शरीफ: पावापुरी से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिहार शरीफ मुस्लिमों का एक बहुत बड़ा तीर्थस्थल है। यह शहर पथरीले चट्टान पर बसा हुआ है। यहां मशहूर मुस्लिम संत मखदूम शाह शरफुद्दीन की समाधि है।
इस शहर का ऐतिहासिक महत्व भी रहा है। सल्तनत काल में यह बिहार की राजधानी भी रहा है। मध्यकाल में यह मुस्लिम शिक्षा का एक बहुत बड़ा केंद्र था। उस समय यह शहर ओदंतपुरी के नाम से जाना जाता था।
नालन्दा: नालन्दा पावापुरी से 5 किलोमीटर की दूरी है। खुदाई के समय यहां प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के अवशेष पाए गए थे। इस विश्वविद्यालय का निर्माण 5वीं शताब्दी में गुप्त शासक कुमारगुप्त ने करवाया था। इसके अलावा यहां कई स्तूप, मठ और मंदिर भी स्थित हैं। (मुख्य लेख: नालंदा के प्रमुख पर्यटन स्थल
राजगीर: यह पावापुरी से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मगध साम्राज्य की प्राचीन राजधानी थी। इस स्थान का संबंध भगवान महावीर और बुद्ध दोनों से है। भगवान बुद्ध की मृत्यु के उपरान्त प्रथम बौद्ध संगीति भी यहीं हुई थी।
यहां गर्म पानी के कई झरने हैं। यह शहर सात पहाडियों के बीच बसा हुआ है। यहां ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कई महत्वपूर्ण स्थान हैं। (मुख्य लेख: राजगीर के प्रमुख पर्यटन स्थल
गया: यह हिन्दूओं का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यहां विश्व भर के हिन्दू अपने पूर्वजों को पिण्ड दान करने आते हैं। यह पिण्ड दान फल्गू नदी के तट पर किया जाता है। विष्णुपद मंदिर यहां का मुख्य मंदिर है।
बोधगया: यह बौद्धों के पवित्र स्थलों में पवित्रतम स्थल है। यहीं पर राजकुमार गौतम को पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ित हुई थी और गौतम से भगवान बुद्ध हो गए थे। यहीं भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया था। इस प्रकार बौद्ध धर्म की नींव यहीं पर पड़ी थी। विभिन्न बौद्ध देशों के बनवाए मंदिर यहां देखे जा सकते हैं।
पावापुरी कैंसे पहुंचे (How To Teacher Pavapuri)
वायु मार्ग: यहां से 101 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पटना का जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा यहां का निकटतम हवाई अड्डा है। यहां तक वायु मार्ग से आया जा सकता है। यहां से बस या टैक्सी से पावापुरी जाया जा सकता है।
रेल मार्ग: पावापुरी में रेलवे स्टेशन है। वैसे यहां का मुख्य रेलवे स्टेशन राजगीर में है। राजगीर जाने वाली सभी ट्रेनें पावापुरी में रुकती है।
सड़क मार्ग: पावापुरी सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। पटना, राजगीर आदि जगहों से यहां के लिए बसें चलती है।
कहां ठहरें: पावापुरी में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक इसके नजदीकी शहर राजगीर में ठहरते हैं।