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पिथौरागढ़ (Pithoragarh)

Byvashi Uttarakhand
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पिथौरागढ़ (Pithoragarh) भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख शहर है। पिथौरागढ़ के पूर्व में नेपाल, पश्चिम में अल्मोड़ा और चमोली (गढ़वाल), दक्षिण में नैनीताल और उत्तर में तिब्बत स्थित है। रमणीय घाटी का मनोहर नगर “पिथौरागढ़” को सैलानियों का स्वर्ग भी कहा जाता है।

राज्यउत्तराखंड
क्षेत्रफल8856 वर्ग किलोमी.
भाषाहिन्‍दी, कुंमाऊंनी, अंग्रेजी
पर्यटन स्थलबालेश्वर मंदिर, नारायण आश्रम, ध्वज मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर, नेहरू युवा केन्द्र आदि।
सही समयअप्रैल से जून और सितम्‍बर से अक्‍टूबर।

पिथौरागढ़ चार पर्वतों चंडाक, ध्‍वज, थाल केदार और कुंदर के मध्‍य स्थित है। जिस घाटी में पिथौरागढ़ स्थित है, उसकी लम्बाई 8 किमी. और चौड़ाई 15 किमी है। पिथौरागढ़ को उसके प्राकृतिक सौंदर्य के चलते ”लिटिल कश्‍मीर’ के नाम से भी जाना जाता है।

पिथौरागढ़ का इतिहास (History of Pithoragarh in Hindi)

पिथौरागढ़ का महत्व चन्द राजाओं के समय से रहा है। यह नगर सुन्दर घाटी के बीच बसा है। पिथौरागढ़ को पहले सोरघाटी के नाम से जाना जाता था। ऐसा माना जाता है कि यहां पर पहले सात सरोवर स्थित थे। धीरे-धीरे इन सरोवरों का पानी सूखता गया। और यह स्‍थान पठार रूप में स्‍थापित हो गया। पठारी भूमि होने कर कारण इसका नाम “पिथौरागढ़” पड़ गया।

जबकि अधिकांश लोगों का मानना है कि पिथौरागढ राय पिथौरा की राजधानी थी और उन्‍हीं के नाम पर इस जगह का नाम पिथौरागढ़ रखा गया है। कुमाऊँ पर होने वाले आक्रमणों का सामना पिथौरागढ़ ने सुदृढ़ किले की तरह किया है।

पिथौरागढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to Visit in Pithoragarh)

पिथौरागढ़ को भारत के प्रमुख हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है। पिथौरागढ़ समुद्र तल से 1,851 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की प्राकृतिक सुन्‍दरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पिथौरागढ़ को ”लिटिल कश्‍मीर’  के नाम से भी जाना जाता है।

रमणीय घाटी का मनोहर नगर “पिथौरागढ़” सैलानियों का स्वर्ग है। यहां पर सुंदर प्राकतिक दर्शय, पहाड़, पौराणिक मंदिर ही नही बल्कि सिनेमा हॉल, स्टेडियम और नेहरु युवा केन्द्र आदि मनोरंजन के आधुनिक साधन भी है।

1. बालेश्वर मन्दिर (Baleshwar Temple)

बालेश्वर मन्दिर (Baleshwar), पिथौरागढ़ से 76 किलोमीटर दूर चम्पावत नगर के बस स्टेशन से लगभग 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 10-12वी शताब्दी में चन्द शासकों ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। बालेश्वर मंदिर परिसर उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों में से एक है।

2. श्री नारायण आश्रम, पिथौरागढ़ (Shri Narayan Ashram, Pithoragarh)

श्री नारायण आश्रम, पिथौरागढ़ से लगभग 136 किलोमीटर उत्तर और तवाघाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। इस आश्रम की स्‍थापना 1936 में नारायण स्‍वामी ने की थी। यह आश्रम एक धार्मिक स्‍थान है। यहां स्‍थानीय बच्‍चे शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए भी आते हैं। इसके साथ ही नारायण आश्रम स्‍थानीय निवासियों की सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में भी मदद करता है। यह आश्रम बहुत ही खूबसूरत है और आश्रम के चारों ओर रंग-बिरंगे फूल इसकी खूबसूरती को ओर अधिक बढ़ाते हैं।

इस आध्यात्मिक सह सामाजिक शैक्षिक केंद्र 2734 मीटर की ऊंचाई पर प्राकृतिक परिवेश के बीच स्थापित है। आश्रम का वातावरण बहुत ही शान्तिपूर्ण है। इसके अलावा आश्रम में यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए मेडिटेशन रूम और समाधि स्‍थल की सुविधा भी उपलब्‍ध है। प्रत्‍येक वर्ष इस आश्रम में काफी संख्‍या में विदेशी पर्यटक घूमने के लिए यहां आया करते हैं।

3. ध्‍वज मंदिर (Dhwaj Temple)

ध्‍वज मंदिर समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पिथौरागढ़ से इस स्‍थान की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है। इसके अतिरिक्‍त आगे की यात्रा पैदल ही करनी पड़ती है। जो करीबन 4 किलोमीटर है। यह मंदिर भगवान शिव और मां जयन्‍ती को समर्पित है।

4. नकुलेश्वर मंदिर (Nakuleshwar Temple)

नकुलेश्वर मंदिर पिथोरागढ़ मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नकुलेश्वर’ शब्द ‘नकुल ‘ और ‘ईश्वर’ दो शब्दों का मेल है। किवंदतीयों के अनुसार नकूल (पांडवों के भाई) ने नकुलेश्वर मंदिर का निर्माण किया था। जिस कारण मंदिर को “नकुलेश्वर महादेव” और बस्ती को “नकुल” नाम से जाने जाने लगा। जो बाद में में अपभ्रंश होकर “नकुड़” हो गया। और पढें: महाभारत के प्रमुख पात्र

बताया जाता है कि मंदिर परिसर में मौजूद पीपल के वृक्ष का रोपण भी पांडु पुत्र नकुल द्वारा किया गया था तथा जलपान के लिए उस समय यहां एक कुंए का निर्माण भी कराया गया था। जो आज भी यहां मौजूद है। मान्यताओं के अनुसार जो शिवभक्त सच्चे मन से यहां कोई मन्नत मांगता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। महाशिवरात्रि पर यहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालु उमड़े रहते हैं।

5. थल केदार (Thal Kedar Temple)

थल केदार, पिथौरागढ़ से 16 किलोमीटर की दूरी समुद्र तल से 880 मीटर की ऊंचाई पर है। यह जगह भगवान शिव को समर्पित अपने प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इसका स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया है। थल केदार अपनी प्राकृतिक सुन्‍दरता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां भक्‍तों की सबसे अधिक भीड़ शिवरात्रि के अवसर पर होती है।

6. कपिलेश्‍वर महादेव मंदिर (Kapileshwar Mahadev Temple)

कपिलेश्‍वर महादेव मंदिर (Kapileshwar Mahadev Temple) जनपद मुख्यालय 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिथौरागढ़ का यह गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह शोर घाटी और हिमालय की चोटियों का एक सुंदर दृश्य प्रदान करता है 

7. अस्कोट कस्तूरी मृग अभयारण्य (Askot Musk Deer Sanctuary)

अस्कोट अभ्‍यारण्‍य पिथौरागढ़ से लगभग 54 किलोमीटर दूर स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1986 में मर्ग (हिरण) के संरक्षण के लिए की गई थी। यह अभ्यारण उत्साही और प्रकृति प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

अस्कोट अभ्‍यारण में आपको अनेक जंगली जानवर जैसे भालू, हिरण, चीता, तेंदुआ, काकर, मोर और पक्षियों की कई प्रजातियां देखने को मिल सकती है। इस अभ्‍यारण में कई देसी एंव विदेशी वैज्ञ‍ानिक रिसर्च के लिए भी आते है।

8. गंगोलीहट (Gangolihat)

गंगोलीहट प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में से एक है। यह स्‍थान अपने परम्‍परागत परम्‍पराओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। पिथौरागढ़ से इस स्‍थान की दूरी लगभग 77 किलोमीटर है। यह स्‍थान खासतौर पर प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के लिए जाना जाता है।

यहां शंकराचार्य ने स्‍वयं शक्ति पीठ स्‍थापित की थी। नवरात्रों के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर लाखों की संख्‍या में भक्‍तगण पूरी श्रद्धा के साथ यहां पूजा-अर्चना करते हैं। गंगोलीहट से 2 किलोमीटर की दूरी पर ही मनकेश्रवर मंदिर भी स्थित है।

9. पाताल भुवनेश्वर (Patal Bhuvaneshwar)

पाताल भुवनेश्वर, जिसका शाब्दिक अर्थ है कि भगवान शिव के उप-क्षेत्रीय तीर्थस्थान, यह एक गुफा मंदिर है जो पिथौरागढ़ से लगभग 91 किलोमीटर दूर और गंगोलीहट से 14 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। मंदिर का रास्ता एक सुरंग के माध्यम से होता है जो एक गुफा में जाता है और पानी के एक संकीर्ण अंधेरे मार्ग से होता है।

10. चण्डाक (Chandak Pithoragarh)

चण्डाक उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ गढ़ से 8 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित गांव है। यह स्थान ‘मनु’ को समर्पित मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान हांग ग्लाइडिंग के लिए सबसे अच्छा स्थान है और मैगनासाईट फैक्ट्री भी इसी घाटी के पास स्थित है।

पिथौरागढ़ के अन्य पर्यटन स्थल (Places to visit in Pithoragarh)

झूला घाट (Jhula Ghat)

झूलाघाट, एक छोटा सा झूला पुल है जो काली नदी पर बना है, जो नेपाल-भारत सीमा पर स्थित है। यह झूलता पुल आकार में छोटा है इसलिए इस पर सिर्फ पैदल यात्री, साइकिल चालक और मोटर साइकल चालक ही आ का सकते हैं।

झूलाघाट पुल के दोनों तरफ की बस्तियां झूलाघाट नाम से जानी जाती हैं। कोई भी इस पुल के माध्यम से नेपाल में प्रवेश कर सकता है यहां का छोटा बाज़ार नेपाली माल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को बेचता है।

चोकोड़ी (Chaukori)

चौकोड़ी (Chaukori) कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ शहर से 112 किलोमीटर मीटर दूर बेरीनाग तहसील में स्थित एक छोटी पहाड़ी बस्ती है। समुद्र तल से 2010 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चौकोड़ी बर्फ से ढकी हुई चोटियों का एक महान मौसम और राजसी दृश्य प्रदान करता है। पूरा क्षेत्र चाय उद्यान और बागों से भरा है। चौकोड़ी से नन्दा देवी, नंदा कोट, और पंचाचूली पर्वत श्रंखलाओं के सुन्दर दृश्य देखे जा सकते हैं।

महाराजा पार्क (War Memorial Pithoragarh)

महाराजा पार्क जनपद मुख्यालय से 5 किलोमीटर दुरी पर स्थित है सन 1965 भारत-पाक युद्ध के दौरान कश्मीर में महाराज के पद की लड़ाई को मनाने के लिए पिथौरागढ़ के महाराजा पार्क का निर्माण किया गया था।

नैनी सैनी हवाईअड्डा (Pithoragarh Airport)

नैनी सैनी हवाईअड्डा जनपद पिथौरागढ़, उत्तराखंड, भारत में स्थित है। इस हवाई अड्डे का निर्माण सन् 1991 में हुआ था। यहां से देहरादून के लिए नियमित फ्लाइट चलती है।

पिथौरागढ़ कैंसे पहुंचे (How to Reach Pithoragarh)

हवाई अड्डा: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा नैनी सैनी (पिथौरागढ़)है। जो पिथौरागढ़ से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन तंकपुर है। यह पिथौरागढ़ से 151 कि मी. की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग: अल्‍मोड़ा, नैनीताल, हल्‍दवानी, दिल्‍ली और तंकपुर से रोजाना समय-समय पर पिथौरागढ़ के लिए बसें चलती है।

 

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