Porbandar (Gujarat): History & Places To Visit in Hindi
पोरबन्दर (Porbandar) भारत के गुजरात राज्य के में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह महात्मा गाँधी और श्रीकृष्ण के मित्र ‘सुदामा’ का जन्मस्थान है।
Porbandar: History & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | गुजरात |
क्षेत्रफल | 2286 वर्ग किमी. |
भाषा | गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी |
दर्शनीय स्थल | कीर्ति मंदिर, हुजूर महल, नेहरु तारामंडल, घुमली गणेश मंदिर, सूर्य मंदिर आदि। |
प्रसिद्धि | महात्मा गांधी का जन्म |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च के बीच |
महात्मा गांधी का जन्मस्थान, पोरबंदर, गुजरात का एक ऐतिहासिक जिला है। इसका निर्माण जूनागढ़ जिले से हुआ था। 2286 वर्ग किमी. में फैला पोरबंदर गुजरात के सबसे छोटे जिलों में से एक है। उत्तर में यह जिला जामनगर से, पूर्व में जूनागढ़ से, पश्चिम में राजकोट से और दक्षिण में अरब सागर से घिरा है।
10वीं शताब्दी में पोरबंदर को पौरावेलाकुल कहा जाता था और बाद में इसे सुदामापुरी भी कहा गया। चूंकि पोरबंदर महात्मा गांधी का जन्म स्थान है इसलिए स्वाभाविक रूप से वहां उनके जीवन से जुड़े कई स्थान हैं जो आज दर्शनीय स्थलों में बदल चुके हैं।
1. कीर्ति मंदिर (Kirti Mandir, Porabndar)
कीर्ति मंदिर महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा का घर था। यह स्थान उस जगह के पास स्थित है जहां महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। यहां पर एक गांधीवादी पुस्तकालय और प्रार्थना कक्ष है।
2. हुजूर महल (Huzoor palace)
हुजूर महल एक विशाल इमारत है। इसका निर्माण नटवर सिंह ने करवाया था। अरब सागर को देखते इस महल में कई घुमावदार हिस्से हैं और इसकी रचना आधुनिक शैली में की गई है।
महल की छत लकड़ी की है और छत पर रेलिंग लगी है। अर्धवृत्ताकार प्रवेश द्वारों वाले इस महल के स्तंभ बहुत की आकर्षण और कलात्मक हैं। इनके अलावा खूबसूरत बाग और फव्वारा भी दर्शनीय हैं।
3. नेहरु तारामंडल (Nehru Planetarium)
पोरबंदर की दो खासियते हैं- एक, यह महात्मा गांधी की जन्मस्थान है और दूसरा, नेहरु तारामंडल। नेहरु तारामंडल सिटी सेंटर से 2 किमी. दूर है। यहां पर दिन भर शो चलते रहते हैं। दोपहर में चलने वाला शो गुजराती भाषा में होता है।
नेहरु तारामंडल गांधीजी द्वारा शुरु किए गए असहयोग आंदोलन को समर्पित है। तारामंडल में प्रवेश के साथ ही इस ऐतिहासिक आंदोलन से जुड़ी तस्वीरों की पूरा श्रृंखला प्रदर्शित की गई है। नेहरु तारामंडल के सामने प्रसिद्ध भारत मंदिर कक्ष है।
4. घुमली गणेश मंदिर (Ghumli Ganesh Temple)
10वीं शताब्दी के आरंभ में बना घुमली गणेश मंदिर गुजरात में आरंभिक हिंदु वास्तुशिल्प का सुंदर नमूना है। यह मंदिर घुमली में स्थित है जो पोरबंदर से 35 किमी. दूर है। मंदिर के ऊंचे शिखर और दीवारें आकर्षक लगती हैं। यह मंदिर अब जर्जर अवस्था में है लेकिन इसका आकर्षण अब भी बरकरार है।
5. सूर्य मंदिर (Sun Temple)
इस सूर्य मंदिर का निर्माण 6ठीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर पश्चिम भारत के आरंभिक मंदिरों में से एक जो आज भी विद्यमान हैं। सूर्य मंदिर पोरबंदर से 50 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है। मंदिर में दो भुजा वाले भगवान गणेश और देवी पार्वती विराजमान हैं।
मंदिर की सबसे निचली छत पर कई उभरी हुई आकृतियां बनी हुई हैं। मंदिर की छत पिरामिड के आकार की है। मंदिर का वास्तुशिल्प बहुत ही अद्भुत है और मंदिर को जिस प्रकार सजाया गया है वह दुर्लभ है।
6. वन्यजीव अभ्यारण्य, वर्धा (Wildlife Sanctuaries Wardha)
190 वर्ग किमी. में फैला वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य पोरबंदर से 15 किमी. दूर है। यह अभ्यारण्य गुजरात के दो जिलों- पोरबंदर और जामनगर- का हिस्सा है। इस अभ्यारण्य के चारों ओर खेत, बंजर भूमि और जंगल हैं। बिलेश्वरी और जोघ्री नदी इसके बीच में से होकर बहती हैं। खंबाला और फोदर में स्थित महत्वपूर्ण बांध हैं। चीते और भेड़िए जैसे संकटग्रस्त जंतु यहां पाए जाते हैं।
इनके अलावा यह अभ्यारण्य जंगली सूअर, मगरमच्छ, तेंदुआ, धब्बेदार हिरन, सांभर आदि का भी घर है। धब्बेदार चील और क्रेस्टिड हॉक-ईगल भी यहां पाई जाती हैं जो दुर्लभ पक्षियों की श्रेणी में आते हैं। नवंबर से मार्च तक का समय यहां आने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। अभ्यारण्य के बीच में किलेश्वर मंदिर और कैंपिग स्थल भी है।
7. पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य (Porbandar Bird Sanctuary)
पोरबंदर के बीचों बीच स्थित पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य 9 एकड़ में फैला है और यह गुजरात का सबसे छोटा पक्षी अभ्यारण्य है। यहां पर न केवल ताजे पानी की झील है बल्कि यह अभ्यारण्य कई निवासी और प्रवासी पक्षियों का घर भी है।
यहां पर आपको मुर्गे-मुर्गियां, फ्लेमिंगो, सारस, बतख सबसे विभिन्न प्रकार के पक्षी देखने को मिल जाएंगे। यहां आने के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अधिक उपयुक्त है।
8. समुद्री तट (Sea Beach)
माधवपुर बीच और पोरबंदर बीच, पोरबंदर जिले के दो प्रमुख तट हैं। माधवपुर बीच की चमकती रेत और कतार में खड़े नारियल के पेड़ मन को लुभाते हैं। यहां पास ही माधवरायजी का मंदिर और महाप्रभुजी की बैठक है जो इस स्थान के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
9. दरबारगढ़ (Darbargadh)
इस भव्य महल का निर्माण राणा सरतनजी ने करवाया था। महल का प्रवेश द्वार पत्थर का बना है जिसपर खूबसूरत नक्काशी की गई है। द्वार के दोनों ओर ऊंची मीनारें और लकड़ी के विशाल दरवाजे हैं।
यह महल गुजरात के शाही महलों का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है। महल के पास प्रवेश द्वार के बायीं ओर का स्थान भी विशाल आंगन और लकड़ी पर खूबसूरत नक्काशी का नमूना पेश करता है।
10. सतरनजी चोरो, महल (Sartanji Choro Palace)
राणा सतरनजी ने इस तीन मंजिला महल का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में करवाया था। उद्यान के बीचों बीच स्थित यह महल राजपूत शैली में बनाया गया है। उद्यान का हर कोना एक अलग कारण को प्रकट करता है।
स्तंभों पर तराशे गए संगीतकार और उसपर बनाया गया गुंबद उन बीते दिनों की याद दिलाता है जब राणा सरतनजी इस पेवेलियन के अंदर बैठ कर ब्रजभाषा में कविताएं रचते थे।
पोरबंदर कैसे पहुंचें (How to Reach Porbandar by road, train & air)
वायु मार्ग: पोरबंदर हवाई अड्डा मुंबई से नियमित उड़ानों के जरिए जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग: पोरबंदर रेलवे स्टेशन पोरबंदर-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित है।
सड़क मार्ग: राज्य परिवहन की बसें पोरबंदर को जिले व राज्य के अन्य हिस्सों से जोड़ती हैं।