Purnia (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
पूर्णिया (Purnia) भारत के बिहार राज्य के पूर्णिया ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।
Purnia: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 3229 Sq. Km. |
भाषा | हिंदी |
औसत वर्षा | 1,470.4 मिमी |
दर्शनीय स्थल | पुरणदेवी मंदिर, बनीली, बराह मन्दिर, भवानीपुर, धरहरा, गुलाब बाग आदि। |
विशेष | इस जगह को पुअर मैन दार्जलिंग के नाम से भी जाना जाता है |
कब जाएं | नवम्बर से फरवरी। |
पूर्णिया का जिला भारत के सबसे पुराने जिलों में से एक है और यह ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा वर्ष 1770 में अस्तित्व में आया। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस जगह पर मौर्य और गुप्त आदि शासकों ने काफी लम्बे समय तक राज किया।
यह जिला अररिया जिले के उत्तर, कटिहार और भागलपुर जिले के दक्षिण, पश्चिम बंगाल के पश्चिम दिनाजपुर और किशजगंज के पूर्व तथा मधेपुरा व सहरसा जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है।
पूर्णिया के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best places to visit in Purnia)
Purnia Tourist Places: पूर्णिया पर्यटन की दृष्टि से बिहार राज्य के प्रमुख जिलों में से हैं। पुराणदेवी मंदिर, धरहरा, गुलाब बाग और भवानीपुर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। पूर्णिया जिले से दार्जलिंग पर्वत लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस कारण इस जगह को “पुअर मैन दार्जलिंग” के नाम से भी जाना जाता है।
पुरणदेवी मंदिर (Puran Devi Temple)
यह मंदिर त्रिपुरा सुंदरी का प्राचीन मंदिर है। त्रिपुरा सुंदरी, देवी दुर्गा का ही एक रूप है। पूर्णिया शहर स्थित इस मंदिर के प्रति यहां लोगों में काफी श्रद्धा है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा चंद्रा लाल सिंह ने करवाया था।
बनीली (Banili)
यह गांव पूर्णिया के उत्तर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कस्बा के उत्तर-पश्चिम में है। इस गांव में एक प्राचीन मंदिर और किला है।
बराह मन्दिर (Baraha Temple)
यह मंदिर भवानीपुर के समीप स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1948 ई. में किया गया था। मंदिर में भगवान ब्रह्मा की पत्थर की बनी मूर्ति स्थापित है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
भवानीपुर (Bhavanipur)
पूर्णिया शहर के दक्षिण-पश्चिम से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर कृत्यानन्द नगर के समीप यह गांव स्थित है। यह गांव यहां स्थित देवी कामाख्या के मंदिर के लिए जाना जाता है।
माना जाता है कि इस मंदिर में सच्चे दिल से प्रार्थना करने पर सारे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। इसी कारण यहां भक्तों की भीड़ रहती है। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह में यहां वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। (और पढ़ें: कामाख्या मंदिर का रहस्य
धरहरा (Dharhara)
धामदहा के उत्तर-पूर्व से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर धरहरा गांव स्थित है। यह बनमानखी बाजार से बस कुछ ही दूरी पर है। यह बाजार विशेषत: अपनी प्राचीन परम्परा के लिए जाना जाता है। इस गांव में एक प्राचीन किला है। जिसे साकेतगढ़ के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार इस किले का निर्माण राक्षस, राजा हिरण्यकश्यप ने करवाया था। यहां पर एक एकाश्मक भी है जिसे माणिकथन के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि माणिकथन स्तम्भ में से भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे और उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया था। (और पढ़ें: भगवान विष्णु के दशावतार
गुलाब बाग (Gulab Bagh)
पूर्णिया रेलवे स्टेशन के समीप स्थित यह प्रमुख जूट बाजार है। प्रत्यके वर्ष काफी संख्या में यहां भिन्न-भिन्न मेलों का आयोजन किया जाता है।
मजरा (Majra)
यह गांव कृत्यानन्द नगर खण्ड में स्थित है। यहां पर एक सर्वोदय आश्रम और भगवान शिव का मंदिर है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर शिव मंदिर में बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में लोग मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं।
पूर्णिया कैंसे पहुंचे (How to Reach Purnia)
वायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना स्थित जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है। पटना से पूर्णिया 313 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा, गया अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, गया भी है। गया से पूर्णिया 319 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कटिहार है। यह स्थान रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 31 से पूर्णिया पहुंचा जा सकता है। भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे उत्तर प्रदेश, बंगाल, आसाम, उड़ीसा और झारखंड आदि से पूर्णिया सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कहां ठहरें- पूर्णिया में ठहरने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक आमतौर पर इसके नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं।