Purva Bhadrapada: पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Purva Bhadrapada: भाद्रपद एक युगल नक्षत्र है। इसके मुख्य देवता सांप / भुजंग या अजगर है। पूर्वा यदि छिपा गुस्सा है, तो उत्तरा – गुस्से को काबू करने की शक्ति
- पूर्वा भाद्रपद
- उत्तरा भाद्रपद
पूर्वा भाद्रपद भारतीय खगोल का 25 वा नक्षत्र ध्रुव संज्ञक है। यह राशि पथ में 320.00 अंशों से 333.20 अंशों के मध्य स्थित है। यह नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आता है। इसके दो तारे है। चरणाक्षर से, सो, दा, दी है।
पौराणिक मान्यता
इसके देवता अजैकपाद / अजिकपद और स्वामी ग्रह गुरु है। अजैकपाद को रुद्र अर्थात् शिव का एक रूप माना गया है। इनके तीन शास्त्रीय रूप है।
- एकपाद मूर्ति- एक पैर व चार भुजा
- एकपाद त्रिमूर्ति – एक पैर शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु के धड़
- एकपाद भैरव- एक पैर शिव अत्यन्त भयंकर रक्त बलिदानो के रुपाकंन।
विशेषताएं
पुरुष जातक का मध्यम कद, टकना उठा हुआ होता हैं। स्त्री सामान्य कद, सुंदर, सुडौल और आकर्षक होती हैं।
जातक आत्मविश्वासी, बुद्धिमान, धनी, सफल, जोखिम लेने वाला और परिस्थिति अनुसार परिवर्तनीय होता है। ऐसे जातक व्यवसाय और शासकीय सेवा में सफल होते हैं।
क्या करें क्या न करें?
अनुकूल कार्य: यह अनिश्चित, लाभ-हानि, यंत्र रचना, तकनीक, निष्कर्ष, मृत्यु, जल, खेती के अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र प्रारम्भ, विवाह, यौन क्रिया, अधिकारियो से बातचीत गतिविधियो के प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।