Purva Phalguni: पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Purva Phalguni: भारतीय ज्योतिष मे दो फाल्गुनी नक्षत्र है। 1. पूर्वा फाल्गुनी, 2. उत्तरा फाल्गुनी। “शतपथ ब्राह्मण” मे फाल्गुनी दो तारे नक्षत्र का वर्णन है।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र राशिपथ में 133.20 अंश एवं 146.40 अशों के मध्य स्थित है तथा यह नक्षत्र सिंह राशि (स्वामी सूर्य) के अंतर्गत आता है। इसके चरणाक्षर मो, ट, टी. टू है।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के चार चरणों के स्वामी निम्न है.
- प्रथम चरण का स्वामी सूर्य
- द्वितीय चरण का स्वामी-बुध
- तृतीय चरण का स्वामी शुक्र
- चतुर्थ चरण का स्वामी मंगल
पूर्वाफाल्गुनी का शाब्दिक अर्थ: संस्कृत मे भग शब्द के अर्थ इस प्रकार है। भगः (भज्+घ) = 1. सूर्य के बारह रुपो मे एक सूर्य, 2. चन्द्रमा, 3. शिव का रूप 4 सम्पन्नता, 5. मर्यादा 6. भाग्य 7. कीर्ति 8 लावण्य, 9 प्रेम, 10. उत्कर्ष, 11. आमोद, 12. स्त्री की योनि, 13. सद्गुण, 14. प्रयत्न, 15. विषयो से विरति, 16. मोक्ष, 17. साम्यर्थ, 18. सर्वशक्तिमता
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र (पौराणिक मान्यता)
पूर्वा फाल्गुनी के देवता भग और स्वामी ग्रह शुक्र है। माता अदिति से 12 आदित्य हुए। इनमे भग दसवे आदित्य है। हिन्दुत्व मे इन्हे सम्पन्नता, विवाह का देवता, शिव नायक वीरभद्र माना जाता है। ऋग्वेद अनुसार ये भाग्य और अच्छाई के देवता है। भग भगवान और भाग्य के प्रतीक है।
विशेषताएँ
यह बृहस्पति का जन्म नक्षत्र है। इसमे उत्पन्न जातक का विवाह दीर्घ काल तक रहता है। जातक शक्तिशाली, बहादुर, चतुर, कामी और विलासी होता है। इसमे अभिनेता / अभिनेत्री, संगीतज्ञ व्यवसाय प्रबंधक, छायाकार, जौहरी, शासकीय अधिकारी, अध्यापक, व्याख्याता होते है।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में क्या करें क्या न करें?
अनुकूल कार्य: प्रणय-प्रेम, विवाह, सम्भोग, दावा निपटारा, आराम, तनावमुक्ति, कला, गायन चित्रकारी, करिश्मा, जमीन-जायदाद के लिये अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह अहम को कम करना या स्वमूल्यांकन शुरुआत, नीव रखना, रोगमुक्त रोग में प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।