Pushya: पुष्य नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Pushya Nakshatra: राशि पथ में पुष्य नक्षत्र की स्थिति 93.2 अंशों से 106.40 अंशों से मध्य मानी गयी हैं। 27 नक्षत्रों की सूची में यह अठवा नक्षत्र है। इसके 3 तारे है।
पुष्य का अर्थ: पुष्य का अर्थ पौषक होता है। 27 नक्षत्रो मे सबसे अच्छा माना जाता है। इसके देवता गुरु एवं स्वामी ग्रह शनि है। इसके चरणाक्षर – हू हे, हो, डा है।
पुष्य नक्षत्र के चारो चरण कर्क राशि के अंतर्गत आते है। पुष्य के विभिन्न चरणों के स्वामी निम्न है..
- प्रथम चरणः सूर्य
- द्वितीय चरणः बुध
- तृतीय चरणः शुक्र
- चतुर्थ चरणः मंगल
पुष्य नक्षत्र (पौराणिक कथा)
पुष्य नक्षत्र के गुरु है। बृहस्पति देवताओं के आचार्य माने जाते है। ये इन्द्रदेव के उपदेशक सलाहकार है। शिव पुराण अनुसार बृहस्तप्ति देव महर्षि अंगिरस और सुरूपा के बेटे है।
विशेषताएं
पुष्य नक्षत्र में जन्मा जातक धर्मी, धनवान, विद्वान, शान्त, सुन्दर और सुखी होता है। पुष्य नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं शांति प्रिय, सौजन्य से भरी तथा समर्पण की भावना से युक्त होती है। ऐसी महिलाएं अपने मन की बात मुश्किल से व्यक्त करने वाली होती है। इसलिए अक्सर इन्हे गलत समझ लिया जाता है।
पुष्य नक्षत्र के दिन क्या करें क्या न करें?
अनुकूल कार्य: यह पार्टी, उत्सव, रचना, यात्रा, शत्रुओ से निपटना, कानूनी विवाद समझोता, बजट, बागवानी, धर्म, नींव रखना आदि कार्यों के लिए अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र विवाद, क्रूर कर्म, निर्दयता और विवाह कर्म के लिए प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।