राजीव दीक्षित (Rajiv Dixit)
राजीव दीक्षित, भारतीय वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता, स्वदेशी के महान समर्थक और आजादी बचाओ आन्दोलन के प्रवक्ता थे। बाबा रामदेव ने उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी मृत्यु तक रहे। आज भी राजीव के भारत में करोड़ो समर्थक हैै।
राजीव दीक्षित (Indian social activist)
नाम | राजीव दीक्षित |
जन्म | 30 नवम्बर 1967 अलीगढ़ |
मृत्यु | 30 नवम्बर 2010 |
पिता | राधेश्याम दीक्षित |
शिक्षा | एम० टेक० |
माता | मिथिलेश कुमारी |
प्रसिद्धि | स्वदेशी आंदोलन |
राजीव दीक्षित जीवनी (Rajeev Dixit Biography / History in Hindi)
राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर सन 1967 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम राधेश्याम दीक्षित एवं माता का नाम मिथिलेश कुमारी था।
शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन (Early life & Education)
राजीव दीक्षित ने फिरोजाबाद से इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी० टेक० तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम० टेक० की उपाधि प्राप्त की।
उन्होंने कुछ समय भारत के C.S.I.R तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम भी किया। तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ जुड़ गये।
ऐसा कहा जाता है कि राजीव सेटेलाइट टेलेकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन वह सब छोड़कर देश सेवा में लग गए।
राजीव दीक्षित के प्रमुख कार्य
राजीव दीक्षित जी ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सिखा उसके बारे में लोगों को जागृत किया। अंग्रेज़ भारत क्यों आए थे, उन्होने हमें गुलाम क्यों बनाया? अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और समाभ्यता को कैसे नष्ट किया इस पर विस्तार से जानकारी दी ताकि हम पुनः गुलाम न बन सकें।
- स्वदेशी-विदेशी प्रॉडक्ट की सूची तैयार करके स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया|।
- 1991 में डंकल प्रस्तावों के खिलाफ घूम-घूम कर जन-जागृति की और रेलियाँ निकाली।
- कोका कोला और पेप्सी जैसे पेयों के खिलाफ अभियान चलाया।
- 1991-92 में राजस्थान के अलवर जिले में केडीया कंपनी के शराब कारखानों को बंद करवाने में भूमिका निभाई।
- 1997 में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात गांधीवादी इतिहासकार श्री धर्मपाल जी के सानिध्य में अंग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके देश को जागृत करने का काम किया।
- काले धन की समस्या से देश को अवगत करवाया।
- आयुर्वेद, योग, होमियोपैथी आदि का प्रचार किया। क्योंकि एलोपैथी शरीर को नुकसान पहुंचाती है।
राजीव दीक्षित के व्याख्यान (Rajiv Dixit Speeches)
राजीव दीक्षित लगभग 20 वर्षों तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे।
वे लगातार गाँव गाँव शहर शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए और देश विरोधी ताकतों और भ्रष्टाचारियों को पराजित करने के लिए जन जाग्रति पैदा कर रहे थे।
1999 में राजीव जी के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने देश में धूम मचा दी थी। राजीव दीक्षित ने 20 वर्षों में लगभग 12000 से अधिक व्याख्यान दिये।
इंटरनेट पर दोनों तरह की जानकारी मौजूद है. राजीव के समर्थक दावा करते हैं कि 2009 में भारत स्वाभिमान आंदोलन उन्होंने शुरू किया था, जबकि रामदेव के समर्थक इसे उनकी उपज मानते हैं.
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट (Bharat swabhiman Trust)
राजीव दीक्षित समर्थक अनुसार राजीव 2009 में बाबा रामदेव के संपर्क में आए और उन्होंने ही रामदेव को देश की समस्याओं और काले धन वगैरह के बारे में बताया। जिससे रामदेव बहुत प्रभावित हुए।
दोनों साथ में काम करने के लिए सहमत हो गए। उन्होंने 9 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का दायित्व सँभाला। राजीव इस ट्रस्ट में सचिव पद पर थे।
आस्था और संस्कार चैनल पर राजीव दीक्षित और रामदेव, दोनों के प्रोग्राम टेलीकास्ट किए जाते थे. दोनों ने कुछ वक्त तक साथ में काम किया।
विदेशी कंपनी का बहिष्कार (Boycott Foreign Company)
भारत में विदेशी कम्पनियों के खिलाफ उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की। उनका मानना था कि विदेशी कंपनियों के आने से हमारा देश खोखला हो जाएगा एवं फिर यह देश विदेशों के हाथों में चला जाएगा।
उन्होंने विदेशी कंपनियों द्वारा हो रही भारत की लूट, खासकर कोका कोला और पेप्सी जैसे प्राण हर लेने वाले, जहरीले कोल्ड ड्रिंक्स आदि के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की।
राजीव दीक्षित की मृत्यु कैसे हुई? (Rajiv Dixit Death Mystery in Hindi)
राजीव दीक्षित भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ दौरे पर थे, जहां उन्होंने अलग-अलग जगहों पर व्याख्यान देने थे। बेमेतरा में स्वदेशी उत्पादों पर व्याख्यान देने के बाद वह 30 नवम्बर 2010 को भिलाई पहुंचे, जहां उनकी अचानक तबियत खराब होने के बाद भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल ले गए।
उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें हृदय गति रूक जाानेे का कारण बता कर मृत घोषित कर दिया।
लेकिन राजीव के समर्थकों का मानना है कि उन्हें धीमा जहर दिया गया था, उनका बॉडी नीली पड़ गयी थी। कुछ लोग मानते हैं कि उनके सिर में चोट लगी थी। उनके समर्थकों ने पोस्टमॉर्टम कराए जाने की भी जिद की, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। जब राजीव को अंतिम दर्शन के लिए सबके सामने रखा गया था तो उनके सिर पर काली पन्नी बांधी गई थी। हालांकि इन सब बातों का कोई साक्ष्य नही है।
यह परमात्मा का अजीब संयोग ही कहा जायेगा कि श्री राजीव जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को रात्रि 12:20 पर हुआ था और उनका देहावसान भी 30 नवम्बर 2010 को रात्रि 12 बजे के बाद ही हुआ।
राजीव दीक्षित का अंतिम दर्शन (Rajiv Darshan Antim Darshan)
1 दिसम्बर 2010 को अंतिम दर्शन के लिए राजीव के शव को हरिद्वार में रामदेव के पतंजलि आश्रम ले जाया गया। राजीव भाई के अनुज प्रदीप दीक्षित और परम पूज्य स्वामी रामदेव जी ने उन्हे मुखाग्नि दी।
परमपूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व आचार्य बालकृष्ण जी ने राजीव भाई के निधन पर गहरा दुःख वयक्त किया है। सम्पूर्ण देश में 1 दिसम्बर को दोपहर 3 बजे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया|
हालांकि, ये प्रकरण शांत होने के बाद खुद राजीव के परिवार ने भी दोबारा कभी इस मुद्दे को नहीं उठाया और अब वो इस पर बात भी नहीं करते हैं।
ट्रस्ट, वेबसाइट्स, किताबें (Trust, Books and Website)
इंटरनेट पर राजीव दीक्षित के नाम से कई वेबसाइट्स मौजूद हैं, जिन्हें अलग-अलग लोग चलाते हैं. ये सभी खुद को राजीव का समर्थक बताते हैं। इन वेबसाइट्स पर राजीव दीक्षित के लेख, वीडियो, ऑडियो औऱ पुस्तके मौजूद है।
- rajivdixitmp3.com
- rajivdixit.in
- rajivdixit.net
राष्ट्रवाद और स्वदेशी में यकीन रखने वाले कई घरों में राजीव अब भी देखे और सुने जाते हैं. इंटरनेट पर इनके ढेरों वीडियो और ऑडियो मौजूद हैं, जिन्हें लोग सुनते हैं और उस पर यकीन करते हैं।
हम राजीव भाई सपने पुरे करेंगे हम उनके सपने को पुरा करेंगे
बहुत सुन्दर
rajiv dixit ji is great… this blog is so informative
Thanks 🙏