राजकोट (Rajkot): History & Tourist Places in Hindi
राजकोट (Rajkot) भारत के गुजरात राज्य का एक प्रमुख नगर है। यह राजकोट ज़िले का मुख्यालय भी है। यह गुजरात में शिक्षा, व्यापार, उद्योग और संगीत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
प्राचीन सभ्यता और आजादी की लड़ाई से बहुत नजदीकी संबंध
राज्य | गुजरात (Gujarat) |
क्षेत्रफल | 11203 वर्ग किमी |
भाषा | गुजराती, हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | वाटसन संग्रहालय और पुस्तकालय, काबा गांधी नो डेलो, जगत मंदिर, लाल पान झील आदि। |
तापमान | 35-40 डिग्री सेल्सियस (गर्मी) 15-30 डिग्री सेल्सियस (सर्दी) |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
राजकोट का इतिहास (History of Rajkot in Hindi)
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित राजकोट पश्चिम भारत का एक प्रमुख जिला है। इस जिले का प्राचीन सभ्यता और आजादी की लड़ाई से बहुत नजदीकी संबंध रहा है। भारत के राजनैतिक और सांस्कृतिक इतिहास की बहुत सी यादें राजकोट से जुड़ी हुईं हैं। इस शहर की स्थापना 1612 ई. में जडेजा वंश के ठाकुर साहब विभाजी जडेजा ने की थी।
महात्मा गांधी ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष भी राजकोट में ही गुजार थे। उन्होंने अहिंसा एवं सत्याग्रह का प्रयोग सबसे पहले यहीं किया था। राजकोट का सोनी बाजार गुजरात में स्थित सोने का सबसे बड़ा बाजार है।
राजकोट के पर्यटन स्थल (Best Places To Visit in Rajkot)
राजकोट में वाटसन संग्रहालय और पुस्तकालय, काबा गांधी नो डेलो, जगत मंदिर, लाल पान झील और रनदेरदा पिकनिक स्थल जिले के लोकप्रिय और चर्चित पर्यटन स्थल हैं। यहां मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय पतंग मेला बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है।
वाटसन संग्रहालय और पुस्तकालय (Watson Museum & Library)
जुबली गार्डन में स्थित यह संग्रहालय और पुस्तकालय कर्नल जेम्स वाटसन को समर्पित मेमोरियल है। वे 1886-89 के दौरान सौराष्ट्र के राजनैतिक एजेन्ट थे। संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर दो सिंहों की आकर्षक प्रतिमा स्थापित है।
संग्रहालय में मोहनजोदाडो से प्राप्त अनेक अवशेषों, प्राचीन मूर्तियों और आदिवासियों से संबंधित वस्तुओं को रखा गया है। संग्रहालय में रानी विक्टोरिया की सिंहासन पर बैठी संगमरमर से बनी विशाल प्रतिमा भी देखी जा सकती है।
जगत मंदिर (Jagat Mandir)
श्री रामकृष्ण परमहंस को समर्पित यह मंदिर शानदार नक्कासियों से सुसज्जित है। मंदिर का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया है और इसे बेलूर मठ की प्रतिलिपि कहा जाता हैं।
काबा गांधी नो डेलो (Kaba Gandhi No Delo)
यह महात्मा गांधी के पूर्वजों का घर है। वर्तमान में इसे गांधी स्मृति में तब्दील कर दिया है। गांधीजी और उनसे संबंधित अनेक वस्तुओं की यहां स्थाई प्रदर्शनी लगी रहती है। यह स्थान ओल्ड सिटी के घी कांटा रोड पर स्थित है।
नेहरू गेट (Nehru gate)
नेहरू गेट को नगर दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐतिहासिक दरवाजा है, जिसमें एक घड़ी लगी हुई है। शान से खड़े इस दरवाजे के द्वारा मोरबी के ऐतिहासिक बाजार तक पहुंचा जा सकता है।
एम के गांधी विद्यालय (M.K Ganadhi School)
इस विद्यालय में महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की थी। प्रारंभ में इसे अल्फ्रेड हाई स्कूल के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर एम के गांधी विद्यालय कर दिया गया।
राष्ट्रीय शाला (Rashtriya Shala)
इसकी स्थापना 1925 में महात्मा गांधी ने की थी। भारत की आजादी की लड़ाई से इसका गहरा संबंध रहा है। वर्तमान में यह पटोला बुनाई के लिए प्रसिद्ध है।
राजकुमार कॉलेज (Rajkumar collage)
राजकुमार कॉलेज राज्य के सबसे प्राचीन कॉलेजों में एक है। इसकी नींव 1868 ई. में डाली गई थी। काठियावाडा राजपरिवार के बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। 1938 में इस कॉलेज को पब्लिक स्कूल में तब्दील कर दिया गया।
रोटरी डॉल्स म्युजियम (Rotary Dolls Museum)
इस अनोखे म्युजियम में गुडियों के माध्यम से विश्व की संस्कृति और पंरपराओं को समझा जा सकता है। विश्व के अनेक हिस्सों में स्थित रोटरी क्लब यहां गुडियों को भेजता है। इस म्युजियम का विचार 2001 में सबसे पहले रोटरी क्लब के दीपक अग्रवाल के दिमाग में आया था। तब से अब तक यह म्युजियम सफलतापूर्वक चल रहा है।
हैंगिंग ब्रिज (Hanging bridge)
यह ब्रिज देश में इस तरह का पहला ब्रिज है। इस पुल को ब्रिटिश काल में तारों की रस्सी और लकड़ी द्वारा बनवाया गया था। मच्छू नदी पर बना यह पुल 165 मीटर लंबा और 4.5 मीटर चौड़ा है। इस पुल को पार करने से पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं।
स्वामीनारायण मंदिर (Ranjit Vilas Palace)
इस मंदिर को 1998-99 में स्वामीनारायण सम्प्रदाय ने बनवाया था। मंदिर महिला गांव के निकट कालावाड रोड पर स्थित है। मंदिर में राज्य का सबसे बड़ा ऑडिटोरियम है जिसमें हजारों लोग के बैठने की क्षमता है।
रंजीत विलास महल (Ranjit Vilas Palace)
वांकानेर नगर में स्थित इस महल को यहां के स्थानीय शासक अमरसिंहजी ने बनवाया था। महल को बनने में सात वर्ष का समय लगा था और इसका नाम अमरसिंह के दोस्त जाम रंजीतसिंह के नाम पर रखा गया था।
यह महल 255 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके अंदर स्टेट गेस्ट हाउस और चन्द्रभवन देखा जा सकता है। महल को बनवाने में अनेक शैलियों का अपनाया गया है। महल में स्थित घंटाघर और पांच खंड की ऊंचाई वाला बुर्ज मुख्य आकर्षण है।
रामपारा वन्यजीव अभ्यारण्य (Rampara Wildlife Sanctuary)
1988 में स्थापित यह अभ्यारण्य राजकोट के 15 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। अभ्यारण्य के मैदान, पहाड़ियां और जंगली इलाका अभ्यारण्य की खूबसूरती में बढोत्तरी करते हैं। नीलगाय, चिंकारा, भेड़िए और लोमड़ी आदि जानवर यहां पाए जाते हैं। सितंबर से जनवरी तक का समय यहां आने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
राजकोट कैंसे पहुंचे (How to Rech Rajkot)
वायु मार्ग– राजकोट एयरपोर्ट देश के अनेक प्रमुख एयरपोटरें से नियमित फ्लाइटों द्वारा जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग– राजकोट राज्य और देश के अनेक शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है। अनेक शहरों से नियमित ट्रेनें यहां के लिए निरंतर चलती रहती हैं।
सड़क मार्ग– राजकोट से और राजकोट के लिए नियमित राज्य परिवहन और निजी बसें चलती रहती हैं। राज्य और अन्य पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से यह शहर सड़क मार्ग से जुड़ा है।
राजकोट घूमने के लिए सबसे बेहतर समय (Best time to visit Rajkot in Hindi)
राजकोट घूमने के लिए सबसे बेहतर समय अक्टूबर से मार्च है। इस समय शहर में ठंडा मौसम होता है और तापमान में उतार-चढ़ाव नहीं होता है, जिससे आप राजकोट के आसपास के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। लेकिन अगर आप राजकोट के दौरे को गुजरात के विभिन्न पर्यटन स्थलों के साथ जोड़ना चाहते हैं तो सर्दियों में समय अधिक अनुकूल नहीं होगा। इस समय पश्चिमी गुजरात के कुछ स्थानों पर ठंड बहुत ज्यादा होती है।
क्या खाए: राजकोट का स्थानीय भोजन बेहद स्वादिष्ट होता है जैसे कि कच्छी दाल, खमन ढोकला, पाव भाजी आदि।