Revati Nakshatra: रेवती नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Revati Nakshatra: रेवती नक्षत्र भारतीय खगोल में अंतिम अर्थात 27 वा नक्षत्र है। राशि पथ में यह 346.40 अंशों से 360.00 अंशों के मध्य स्थित है। इस नक्षत्र में बत्तीस तारे माने गये हैं।
यह नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी गुरु है। इसके वरणाक्षर- दे, दो, चा, ची है। यह नक्षत्र यात्रा और पूनर्जन्म का कारक है। इसके देवता पूषा (सूर्य के प्रकारान्तर) विपुल उपज, पोषण के कारक है।
पौराणिक मान्यता
पूषा को नक्षत्र का देवता तथा बुध को अधिपति माना गया है। पूषा या पूषन (सूर्य) 11 वे आदित्य है। नाम के अनुरुप ये मनुष्य के फलने-फूलने के कारक है। ऋग्वेद की 8 ऋचाओ मे इनका वर्णन मिलता है।
विशेषताएं
जातक का प्रारम्भिक जीवन कष्टमय होता है, किंतु उम्र के साथ साथ परिस्थिति में सुधार होने लगता है। प्रायः बाल्यावस्था में बीमार रहते है। जातक फिक्रमंद, स्नेही, मानवता और समाज प्रिय, ललित कला प्रेमी, क्षमावान, जलप्रिय, ईश्वर भक्त होता है। नोबल पुरस्कृत रवीन्द्रनाथ टैगोर का रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ था।
क्या करें क्या न करें?
अनुकूल कार्य: यह नक्षत्र किसी कार्य की शुरुआत, विवाह, सहवास, विनिमय, वस्तु वितरण, संगीत, कला, रहस्य, आध्यात्म, उपचार, बागवानी, निष्कर्ष और निराकरण के अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र वीरता, शान्तता, शल्यचिकित्सा, विरोध,थकावट या शक्तियुक्त गतिविधियों के प्रतिकूल है।