Rupnagar (Punjab): History & Places to visit in Hindi
रूपनगर (Rupnagar) भारत के पंजाब राज्य में स्थित एक नगर है। यह सतलुज नदी के किनारे और हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास बसा हुआ है।
Rupnagar: History & Places to Visit in Hindi
राज्य | पंजाब |
क्षेत्रफल | 2056 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | पंजाबी, हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | जटेश्वर महादेव मंदिर, गुरूद्वारा सदाबरत, गुरूद्वारा भट्टा साहिब, गुरूद्वारा परिवार विच्छोडा साहिब, तख्त श्री केशगढ़ साहिब आदि। |
कब जाएं | नवम्बर से फरवरी। |
गुरूद्वारों के लिए प्रसिद्ध रूपनगर पंजाब राज्य का एक ऐतिहासिक जिला है। रूपनगर को रोपड़ के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान का संबंध भारत की प्रथम सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता से भी है। रोपड़ सिंधु घाटी एक प्रमुख केंद्र था। माना जाता है कि वर्तमान रूपनगर की स्थापना राजा रोकेश्वर ने 11वीं शताब्दी में करवाई थी।
राजा रोकेश्वर के बाद उनके पुत्र रूपसेन ने यहां शासन किया था। रूपनगर जिला पंजाब राज्य के नवनेश्वर, मोहाली और फतेहगढ़ साहिब जिलों से जुड़ा हुआ है। यहां खुदाई से चंद्रगुप्त, कुषाण, हूण और मुगल काल की कई चीजें पाई गयी थी। जिन्हें आज भी सुरक्षित तरीके से रखा हुआ है।
1. जटेश्वर महादेव मंदिर, जटवाहर (Jateshwar Mahadev Mandir, Jatwarah)
यह स्थान विशेष रूप से शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। जटेश्वर महादेव का यह मंदिर काफी पुराने मंदिरों में से हैं। यह मंदिर रूपनगर- नूरपुर बेदी मार्ग से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर करीबन 100 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण जय दयाल शर्मा ने करवाया था।
जय दयाल शर्मा तख्तगढ़ के एक स्थानीय निवासी थे। मंदिर में स्थित स्तम्भ लगभग दसवीं-ग्याहरवीं शताब्दी के है। सावन (जुलाई-अगस्त) माह के दौरान काफी संख्या में भक्तगण प्रत्येक सोमवार मंदिर में जटेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है।
2. गुरूद्वारा सदाबरत (Gurudwara Sadabarat)
यह गुरूद्वारा सदाबरत नांगल मार्ग पर स्थित है। कहा जाता है कि इस गुरूद्वारे का निर्माण 1930 ई. हुआ था। यह गुरूद्वारा जहां पर स्थित है उस जगह पर पहले व्यापारी व अन्य पयर्टक जो पर्वतीय क्षेत्रों से आते या जाते थे, विश्राम किया करते थे।
माना जाता है कि गुरू नानक देव जब किरतपुर साहिब से बाबा बुद्धन शाह से मिलकर वापस लौट रहे थे तो वह इस जगह पर कुछ समय के लिए ठहरें थे। इसके अलावा गुरू हरकिशन, गुरू हर राय, गुरू तेग बहादुर और गुरू गोविन्द सिंह कभी-कभी यहां घूमने के लिए आया करते थे।
इस स्थान की महत्ता उस समय से है जब राजा भूप सिंह रोपड़ के शासक थे। उन्होंने कुछ खास दिन और रात को आने वाले पर्यटकों के लिए लंगर की व्यवस्था शुरू की थी। तभी से इस जगह को गुरूद्वारा सदाबरत के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष गुरूद्वारे में लोढ़ी-मगी पर्व को काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं।
3. गुरूद्वारा भट्टा साहिब (Gurudwara Bhatta Sahib)
गुरूद्वारा भट्टा साहिब कोटला निहंग गांव में स्थित है। इसका निर्माण गुरू गोविन्द सिंह की याद में करवाया गया था। आनंदपुर साहिब में रहने के बाद गुरू गोविन्द सिंह कोटला निहंग में रहने के लिए आए थे। गोविन्द सिंह ने यहां रहने के लिए पठानों से शरण मांगी थी।
4. गुरूद्वारा परिवार विच्छोडा साहिब (Gurdwara Parivaar Vichora Sahib)
यह जगह रूपनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुरूद्वारे तक पहंचने के लिए 84 सीढ़ियां है। गुरू गोविन्द सिंह अपने परिवार के साथ इस जगह में रहने के लिए आए थे। इस गुरूद्वारे का निर्माण कार्य 1963 में शुरू हुआ था जो 1975 ई. में पूरा हुआ था। प्रत्येक वर्ष दिसम्बर महीने में यहां तीन दिनों तक बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
5. तख्त श्री केशगढ़ साहिब (Takhat Sri Kesgarh Sahib)
गुरूद्वारा केशगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब स्थित सबसे प्रमुख गुरूद्वारों में से है। यह वह स्थान जहां खालसा पंथ का जन्म हुआ था। उन्हीं के सम्मान में यहां तख्त बनवाया गया था। यह स्थान रूपनगर-नांगल मार्ग पर स्थित है। इस मार्ग पर चलते हुए सबसे पहले दर्शनी दियोरी मंदिर आता है।
इसके बाद कुछ ही दूरी पर मध्य में एक अन्य मंदिर भी है। मंदिर में स्थित हॉल में बने कमरें में 12 हथियार रखे हुए थे, जिनका इस्तेमाल गोविन्द सिंह युद्व के लिए किया करते थे। इसके अलावा हॉल में एक गुम्बद भी बनी हुई है। इस स्थान पर 1699 में बैसाखी के दिन गुरू गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की शुरूआत की थी।
6. भाखड़ा-नांगल बांध (Bhakra Dam)
भाखड़ा- नांगल बांध नांगल से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बांध गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर बने बांधों में विश्व का सबसे ऊंचा बांध है। इस बांध का निर्माण कार्य 1955 ई. में शुरू हुआ था।
इस बांध के नजदीक में ही गोविन्द सागर नामक एक खूबसूरत झील है। इस झील का नाम गुरू गोविन्द सिंह के नाम पर रखा गया है। इस झील की लम्बाई 96 किलोमीटर है। इस झील में 7.8 मिलियन एकड़ फीट पानी संग्रहण करने की क्षमता है।
रूपनगर कैंसे पहुंचे (How to Reach Rupnagar)
वायु मार्ग: नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ़ है। चंडीगढ़ से रूपनगर 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: यह रेल मार्ग द्वारा भी देश के समस्त भागों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: रूपनगर सड़क मार्ग द्वारा हिमाचल, चंडीगढ़, पंजाब, दिल्ली ,यू.पी आदि जगहों से जुड़ा हुआ है।