सधवा और विधवा स्त्री लक्षण | सामुद्रिक-रहस्य
नमस्कार..🙏 हमारा सदैव प्रयास रहता है कि आपको हस्त रेखा का ज्ञान सरलता से हो जाएं। इसके लिए हम विभिन्न कार्यक्रम भी चलाते हैं। इसी श्रृंखला में आज हम ‘सधवा और विधवा स्त्री लक्षण’ लेकर आये है, जिसका वर्णन ‘सामुद्रिक रहस्य’ में किया गया है-
दुखी और विधवा स्त्री हस्त लक्षण
- मणिबन्ध रेखा छिन्न-भिन्न हो।
- पितृ रेखा (जीवन रेखा) छिन्न-भिन्न हो।
- हृदय रेखा, शनि स्थान तक छोटी २ रेखाओं से युक्त हो।
- मष्तिष्क रेखा छिन्न-भिन्न हो।
- सूर्य रेखा त्रिधा (तीन स्थान से) भग्न हो।
- भाग्य रेखा या सौभाग्य रेखा, पति-रेखा
- भाग्य रेखा में दण्ड का चिन्ह हो।
- भाग्य रेखा के समीप छोटी ऊर्ध्व रेखा हो।
- हाथ मे हिंसा रेखा हो।
- छिन्न-भिन्न रेखा।
- दो शङ्ख तथा दुष्ट रेखाओं के द्वारा पुंश्चली का भी ज्ञान होता है।
- अङ्गष्ठमूल से निकलकर कनिष्ठिका-पर्यन्त एक रेखा जाये।
जिन स्त्रियों के हाथ में ऐसी दुष्ट रेखायें हों तो उन्हें पति, पुत्र, भाई, माता, पिता, सास, ससुर आदि का कष्ट कहना चाहिए।
जिस स्त्री की सब अंगुलिया टेढ़ी तथा चिपटी हों, रेखायें छिन्न भिन्न हो तो वह स्त्री विधवा होकर बहुत दुःख भोगती है। यदि अङ्गलियाँ अत्यन्त छोटी, पतली, टेढ़ी, बिरल तथा बहुत पर्वों से युक्त हों तो उस स्त्री का जीवन दुःखमय होता है।
सधवा स्त्री हस्तरेखा लक्षण
- मणिबन्ध शुद्ध रूप से।
- भाग्य रेखा शुद्ध और सरल मणिबन्ध से शनि स्थान तक जाये।
- पितृ रेखा (जीवन रेखा) शुद्ध रूप से।
- आयुष्य रेखा (हृदय रेखा) गुरु स्थान तक।
- कमलयुक्त आयुष्य रेखा।
- हृदय रेखा में कमल का चिन्ह हो।
- हाथ में सूर्य रेखा विराजमान हो।
- मस्तिष्क रेखा दोष मुक्त हो।
- अंगुष्ठमूल में यव का चिन्ह हो।
- अंगुष्ठोदर में यव का चिन्ह हो।
- उच्चस्थान में सन्तान रेखा संख्यानुसार।
- करभप्रदेश में संख्यानुसार भ्रातृभगिनी रेखा।
- धनुरेखा
- त्रिशूल
- चक्र
- मत्स्य
- जाल
- कानन रेखा
- शंख
- सीप
- स्वस्तिक
- पति रेखा (विवाह रेखा)
उक्त समस्त शुद्ध रेखाओं में से जितनी शुद्ध रेखायें स्त्रियों के हाथ में दीख पड़ें, उनके द्वारा पति, पुत्र, भाई, माता, पिता, सास, ससुर, धन आदि का सम्पूर्ण शुभफल लक्षण तथा रेखा के अनुसार कहना चाहिए।
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