Sagar (M.P): History & Tourist Places in Hindi
सागर (Sagar) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।
राज्य | मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 10252 वर्ग किमी. |
भाषा | हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | नैनागिरी जैन मंदिर, बड़े बाबा का मंदिर |
विशेष | लोक गीत-संगीत की समृद्ध परंपरा |
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कब जाएं | नवम्बर स्रा मार्च। |
मध्य प्रदेश के उत्तर-मध्य क्षेत्र में स्थित सागर जिला 10252 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। सागर का अर्थ समुद्र होता है और इसका यह नाम शहर के बीचों बीच स्थित एक झील के कारण पड़ा है। झील के तट पर ही सागर किला बना हुआ है। इस शहर की स्थापना 1660 ईसवीं में उदन शाह ने की थी।
सागर के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Place to visit in Sagar)
Sagar Tourist Places: नोरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य इस शहर का मुख्य आकर्षण है। इसके अलावा बीना, नैनागिरी, खुरई, राहतगढ़, रहली, गरहाकोटा, खिमलासा, अबचंद और देवरी आदि यहां के अन्य लोकप्रिय दर्शनीय स्थल हैं।
सागर के निवासियों की लोक गीत-संगीत की समृद्ध परंपरा है। बरदी, मोनी, साइरा और धीमरयाई यहां के लोकप्रिय लोक नृत्य हैं।
नैनागिरी जैन मंदिर (Nainagiri Jain Temple)
रेशनडिगिरी नाम से लोकप्रिय नैनागिरी एक प्राचीन और पवित्र नगर है। यहां 36 जैन मंदिर एक पहाड़ी पर और 15 मंदिर एक घाटी पर बने हुए हैं। सभी मंदिर शिखरनुमा हैं और चारों तरफ से दीवार से घिर हुए हैं। इसमें से एक मंदिर एक तालाब के बीचोंबीच बना है, जो बेहद आकर्षक लगता है।
बड़े बाबा का मंदिर (Bade Baba Mandir)
बड़े बाबा का मंदिर नैनागिरी का प्रथम मंदिर कहलाता है। पार्श्वनाथ मंदिर के प्रमुख आराध्य देव हैं जिनकी 11 फीट ऊंची प्रतिमा यहां स्थापित है। पांच संतों की सफेद मूर्तियां भी मंदिर में स्थापित हैं।बारा मंदिर- माना जाता है कि बारा मंदिर लगभग 100 साल पहले धरती से निकला था। मंदिर में पार्श्वनाथ की 4 फीट 7 इंच की खड़ी प्रतिमा स्थापित है। 11वीं और 12वीं शताब्दी की 13 मूर्तियां भी यहां पूजी जाती हैं।
मगरमच्छ केन्द्र (Sagar Trekkers Crocodile Rock)
देवरी का यह मगरमच्छ केन्द्र इस तरह का अनोखा स्थान है। यहां चंबल नदी में मगरमच्छों के प्रजनन और पुर्नवास का काम किया जाता है। यहां करीब 1600 घडियाल और 200 मगरमच्छों को देखा जा सकता है।
श्री दिगंबर जैन (Shri Digamber Jain Chaudhari Mandir, Garhakota)
गढ़ाकोटा के इस दिगंबर जैन मंदिर में 63 मूर्तियां देखी जा सकती हैं। मंदिर में स्थापित पार्श्वनाथ की प्रतिमा के शीश को 1000 सापों ने घेर रखा है। मंदिर का शिखर 60 फीट तक ऊंचा है। गढ़ाकोटा सागर से 28 मील की दूरी पर है। दमोह में यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
श्री बीना बराह तीर्थ (Atishaya Kshetra Beenaji Barha Sagar, Madhya Pradesh)
सागर जिले के बीना में स्थित यह तीर्थस्थल भगवान शांतिनाथ को समर्पित है। मंदिर की मुख्य मूर्ति को काफी कलात्मक तरीके से ईंट और गारे से निर्मित किया गया है। भगवान ऋषभदेव और अन्य जैन र्तीथकरों की आकर्षक मूर्तियां भी यहां देखी जा सकती है। यह तीर्थस्थल देवरी से 6 किमी. और सागर से 72 किमी. की दूरी पर है।
ईशुरवारा जैन मंदिर (ishurwara jain Temple)
विन्ध्य पर्वत की एक पहाड़ी पर स्थित यह खूबसूरत गांव सागर से करीब 25 किमी. दूर है। इस गांव को राज्य के जैन तीर्थ का प्रमुख केन्द्र माना जाता है। यहां का ईसूरवर जैन मंदिर खासा लोकप्रिय है। यहां आयोजित होने वाली रथयात्रा और निर्वाण पर्व बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
बमोरा (Bamora)
खुरई ताल्लुक का यह गांव यहां बने प्राचीन मंदिर के लिए लोकप्रिय है। पत्थरों से बने इस मंदिर में किसी प्रकार के मसाले का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर में भगवान वराह की लौह प्रतिमा स्थापित है। साथ ही एक घुडसवार की सुंदर मूर्ति भी यहां देखी जा सकती है। मंदिर के भीतर शिव की प्रतिमा भी स्थापित है। अनेक बौद्ध अवशेष भी बमोरा में देखे जा सकते हैं।
धमोनी (Dhamoni)
झांसी रोड़ पर स्थित धमोनी क्षेत्र अपने 52 एकड में फैले किले के लिए चर्चित है। पुरातात्विक दृष्टि से भी यह एक महत्वपूर्ण स्थल है। प्रकृति ने इस स्थान को अनुपम सुंदरता प्रदान की है।
फुलनाथ महादेव मंदिर (Pholnath Mahadev Temple, Sagar)
यह मंदिर सागर से लगभग 15 किमी. की दूरी पर है। यहां स्थित महादेव मंदिर के कारण इस स्थान को फूलर नाम से भी जाना जाता है। महादेव मंदिर को यहां के स्थानीय निवासी फूलनाथ कहकर पुकारते हैं। 15 दिसंबर 1857 को यहां ब्रिटिश सेना और विद्रोहियों के बीच भयंकर मुठभेड हुई थी।
रणगीर (Rangir)
दाहर नदी के तट पर बसा यह शांत और प्रदूषण मुक्त गांव रेहली से 17 किमी. और सागर से 34 किमी. दूर है। इसी स्थान पर छत्रसाल बुन्देला और दमोनी के मुगल फौजदार खालिक के बीच टकराव हुआ था। हरसिद्धी देवी मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण है। अश्विनी और चैत्र में महीने में यहां मेला लगता है। यहां के सरकारी रेस्ट हाउस में ठहरने की व्यवस्था है।
सागर कैंसे पहुंचे (How to Reach Sagar, Madhya pradesh)
वायु मार्ग- भोपाल सागर का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, जो सागर से करीब 180 किमी. की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट देश के अनेक बड़े शहरों से वायुमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग- सौगोर रेलवे स्टेशन सागर जिले का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन मध्य रेल के अनेक रेलवे स्टेशनों से विभिन्न रेलगाड़ियों द्वारा जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग- सागर मध्य प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। अनेक शहरों से यहां के लिए नियमित बसों का प्रबंध है।
कहाँ ठहरे- सागर में ठहरने के लिए अच्छे होटलों का अभाव है। यहां के निकटतम शहर भोपाल में होटलों की उत्तम व्यवस्था है।