सहारनपुर (Saharanpur)
सहारनपुर (Saharanpur) उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। यह जिला शिवालिक पर्वत के उत्तर-पूर्व, यमुना के पश्चिम, हरिद्वार के पूर्व और मुजफरनगर के दक्षिण से घिरा हुआ है।
राज्य | उत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 3,689 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी, उर्दू और इंग्लिश |
पर्यटन स्थल | शाकुंबरी देवी मंदिर, देवबंद, गुघल और नौ गज पीर आदि। |
सही समय | अक्टूबर से मार्च। |
सहारनपुर का इतिहास (History of Saharanpur)
सहारनपुर की स्थापना 1340 के आसपास की गई थी। अकबर पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने सहारनपुर में नगर प्रशासन की स्थापना की थी। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली प्रदेश के अधीन और राज्यपाल की नियुक्ति कर सहारनपुर सरकार बनाई थी। सहारनपुर के जागीर ने राजा शाह रणवीर सिंह के सम्मान में इस जगह की स्थापना करवाई थी।
सहारनपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to Visit in Saharanpur)
सहारनपुर (Saharanpur) पर्यटन दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह स्थान कई प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे शाकुंबरी देवी मंदिर, देवबंद, गुघल और नौ गज पीर आदि के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
#1 शाकुंबरी देवी, शक्तिपीठ (Shri Shakambhari devi ji temple)
शाकुंबरी देवी मंदिर ( Shakambhari devi temple) सहारनपुर के उत्तर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्कंद पुराण के अनुसार इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल से पूर्व हुई थी। इसकी वास्तुकला काफी आकर्षक है। लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। साल में दो बार, नवरात्रों के दौरान अश्विन और चैत्र माह में शाकुंबरी मेले का आयोजन किया जाता है।
कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण मराठों के दौरान करवाया गया था। जबकि कुछ का मानना है कि आदि शंकराचार्य ने यहां पर तपस्या की थी और इस मंदिर में देवी की प्रतिमा स्थापित की थी। कहा जाता है कि मां शाकुंबरी ने महिषासुर महादैत्य का वध किया था। शाकुंबरी के पूर्व से एक किलोमीटर की दूरी पर भैरों देव का मंदिर है। और पढें: जानें, 51 शक्तिपीठ का रहस्य
#4 सुंदरी देवी शक्तिपीठ (Maa Bala Sundri Shaktipith, Deoband)
सहारनपुर-मुजफरपुर मार्ग पर एक छोटा सा शहर है जो देवबंद के नाम से प्रसिद्ध है। हजारों वर्ष पूर्व यहां बहुत सघन जंगल था। उस समय यहां के स्थानीय लोगों ने जंगल में देवी दुर्गा का मंदिर बनाया था, जिस कारण यह स्थान “देवी वन” के नाम से जाना जाने लगा। बाद में इसी नाम पर इस जगह का नाम “देवबंद” रख दिया गया।
देवबंद के समीप ही एक पुरानी झील है। इस झील को देवी-कुण्ड के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर देवी दुर्गा ने महाअसुर दुर्ग को मारा था। इस घटना की याद में, देवी-कुण्ड के समीप ही एक बाल सुंदरी मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल चतुदर्शी के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में भक्त यहां आते हैं और इस पवित्र कुण्ड में स्नान करते हैं। लोगों का मानना है कि देवबंद की देवी और शाकुंबरी दोनों बहनें हैं।
#2 बाबा भूरादेव मन्दिर (Sidhpeeth Baba Bhura Dev Temple)
यह मन्दिर माँ शाकुम्भरी देवी के मंदिर से 1.5 किमी पहले स्थित है। यह मन्दिर माँ शाकुम्भरी देवी मंदिर तक जाने वाली सडक पर स्थित है। ऐसी मान्यता है की माताजी के दर्शन करने से पहले बाबा भूरा देव के दर्शन करने आवश्यक है। माताजी के दर्शन करने बाद लौटते हुए भी लोग बाबा भूरा देव को नमन करते है ।
#3 जाहरवीर गोगा म्हाड़ी (Jaharveer Goga Mhadi)
सहारनपुर जिले स्थित गुग्घा वीर या गुग्धा पीर (जाहरवीर बाबा) की म्हाड़ी यहां के प्रमुख स्थलों में से हैं। यह स्थान सहारनपुर के दक्षिण-पश्चिम से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह को जहर दीवान गुग्घा के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि पटन के राजा कुंवर पाल सिंह की दो बेटियां वचाल और कचाल थी।
विवाह के पश्चात् वचाल ने गुरू गोरखनाथ से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना की थी। किन्तु गुरू गोरखनाथ ने वचाल के बजाए कचाल को आशीर्वाद दिया और गुरू के आशीर्वाद से कचाल को दो पुत्र हुए। इसके बाद वचाल को पुत्र जाहरवीर गोगा की प्राप्ति हुई। कुछ समय पश्चात् उसने काफी समय तक जंगलों पर तपस्या की थी।
उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर गोरखनाथ ने उसे वीर के रूप में आशीर्वाद दिया। प्रत्येक वर्ष शुक्ल पक्ष दशमी में भादो माह के अवसर पर बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। जो कि हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यह मेला घुघल मेले के नाम से अधिक प्रसिद्ध है।
#5 नौ गज पीर (Nou Gaja Peer)
यह सहारनपुर-देहरादून / हरिद्वार राजमार्ग पर स्थित है। यह मजार 26 फीट लंबी है। इस मजार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मजार को जितनी बार भी नापा जाता है उसका नाप अलग-अलग होता है। इस जगह के बार में कुछ मुसलमानों का कहना है कि मुस अले सलाम के दौरान इस मजार का निर्माण किया गया था।
जबकि कुछ हिन्दुओं के अनुसार बहुत समय पहले यहां कुछ संत अपने शिष्यों के साथ ठहरें थे। वह लोग नौ गज की दूरी से ही लोगों का मस्तिष्क पढ़ लिया करते थे जिस कारण इस जगह को नौ गज के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो के लोग यहां आते हैं।
#6 बाबा श्री लाल दास (Shree Lal Das Baba Mandir, Saharanpur)
बाबा का जन्म लाहौर के समीप कल्लूर शहर में हुआ था। महान् तपस्वी श्री चेतन स्वामी उनके गुरू थे। अपने गुरू से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् बाबा लाल दास सहारनपुर आ गए और सौ वर्षो तक उन्होंने यहां पर तपस्या की थी। तब से, सहारनपुर स्थित यह स्थान बाबा श्री लाल दास और लाल वादी के नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान सहारनपुर बस स्टेशन के उत्तर से चार किलोमीटर की दूरी पर छिल्कन मार्ग पर स्थित है।
#7 दारुल उल्लूम, देवबंद (Darul Uloom Deoband)
दारुल उलूम देवबंद भारत में एक इस्लामिक स्कूल है जहां देओबंदी इस्लामिक आंदोलन शुरू हुआ। यह देवबंद, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के एक शहर में स्थित है।
सहारनपुर कैंसे पहुंचे (How to Reach Saharanpur)
वायु मार्ग: निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो सहारनपुर से लगभग 90 किमी दूर है।
रेल मार्ग: सहारनपुर शहर का अपना रेलवे स्टेशन है। जो देश के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: सहारनपुर भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।