सतारा (Satara)
सातारा (Satara) भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक नगर हैं। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी और यह मराठा साम्राज्य के छत्रपति शाहु की राजधानी थी।
Satara, Maharashtra | Facts & Tourist Places in Hindi
राज्य | महाराष्ट्र |
क्षेत्रफल | 10484 वर्ग किमी. |
औसत वर्षा | 142 सेमी. |
भाषा | मराठी, हिंदी और इंग्लिश। |
दर्शनीय स्थल | प्रतापगढ़ किला, सज्जानगढ़ किला, महाबलेश्वर हिल स्टेशन, कोयना बांध, सतारा संग्रहालय, कास झील, कोयना वन्यजीव अभ्यारण्य आदि। |
यात्रा समय | अक्टूबर से मार्च। |
Satara intresting Facts: सात पहाड़ियों से घिरा होने के कारण इसका नाम सतारा पड़ा हैं। कोयना और कृष्णा यहां से बहने वाली मुख्य नदियां हैं जो इस क्षेत्र की भूमि को उर्वर बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। बाजरा, ज्वार, गेहूं, चावल, गन्ना और आलू यहां की प्रमुख फसलें हैं।
सतारा के दर्शनीय स्थल (Places to visit in Satara, Maharashtra)
कभी मराठा साम्राज्य की राजधानी रहा सतारा आज महाराष्ट्र का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। पश्चिमी महाराष्ट्र में स्थित सतारा उत्तर में पुणे, पूर्व में सोलापुर, दक्षिण में सांगली, पश्चिम में रत्नागिरी जिलों से घिरा हुआ है। यहां अनेक किले, मंदिर, झीलें आदि हैं जो सैलानियों को आकर्षित करते हैं।
1. प्रतापगढ़ किला (Pratapgarh Fort)
यह किला 1656 में शिवाजी महाराज द्वारा बनवाया गया था। किले को बनवाने का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में होने वाले उपद्रवों का दमन करना था। यह किला अजेय किलेबंदी और आसपास के सुंदर नजारों के लिए जाना जाता है।
बरसात के मौसम यहां की सुंदरता और बढ़ जाती है। बीजापुर के आदिलशाही साम्राज्य के सेनापति अफजल खान की हत्या यहीं हुई थी। किले के निकट ही शिवाजी महाराज ने एक मकबरा और भवानी का एक मंदिर भी बनवाया था। घोड़े में सवार शिवाजी की आकर्षक प्रतिमा यहां देखी जा सकती है।
2. सज्जानगढ़ किला (Sajjangad Fort)
सतारा से 9 किमी. की दूरी पर स्थित यह किला छत्रपति शिवाजी के शासनकाल में आध्यात्मिक गतिविधियों का केन्द्र था। इसी स्थान पर समर्थ रामदास ने समाधि ली थी। प्रवेशद्वार से किले तक पहुंचने के लिए 750 सीढ़ियां है। समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस किले के भीतर दो कुंड भी बने हुए हैं। दशनवमीं में गुरू के जन्म के अवसर पर लोग यहां एकत्रित होकर उत्सव मनाते हैं।
3. महाबलेश्वर हिल स्टेशन (Mahabaleshwar Hill Station)
सहयाद्रि के मध्य में स्थित महाबलेश्वर पुणे से 120 किमी. की दूरी पर है। समुद्र तल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हिल स्टेशन को महाराष्ट्र के हिल स्टेशनों की रानी कहा जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान यह बॉम्बे प्रेजीडेन्सी का समर कैपिटल था। 1834 से 1864 के दौरान यहां चीनी और मलय हमलावरों को कैद किया गया था।
महाबलेश्वर से ही कोयना, कृष्णा, वेन्ना, सावित्री और गायत्री नदियों की उत्पत्ति होती है। यहां के झरने, सर बी डी पेटिट लाइब्रेरी और मोरारजी कैसल यहां के मुख्य आकर्षण हैं। यहां की वेन्ना झील में बोटिंग और फिशिंग का भी आनंद लिया जा सकता है।
4. कोयना बांध (Koyna Dam)
कोयना नदी पर बना यह बांध महाराष्ट्र के सबसे बड़े बांधों में एक है। 1963 में बने इस बांध की क्षमता 100 टीएमसी है। यह बांध सतारा से 98 किमी. की दूरी पर स्थित है। बांध के हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में 1920 मेगावाट विद्युत उत्पादित की जाती है। यह बांध कोयना नदी के लोकप्रिय पिकनिक स्थलों में एक है। बांध की निकट ही नेहरू गार्डन अन्य दर्शनीय स्थल है।
5. सतारा संग्रहालय (Shivaji Museum, Satara)
यह संग्रहालय 1970 में महाराष्ट्र के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंतराव चह्वान द्वारा स्थापित किया गया था। संग्रहालय को कई हिस्सों में बांटा गया था। इन हिस्सों में हथियार, रिकॉर्ड, चित्रकारियां और अनेक प्रकार के वस्त्रों को रखा गया है। मराठा लड़ाकों द्वारा इस्तेमाल किए गए अनेक शस्त्रों खासकर तलवार, भालों, कुल्हाड़ी, गन, बरछी आदि को देखा जा सकता है। इनके अलावा अनेक प्रकार की प्राचीन चित्रकारी, मूर्तियां, वस्त्र आदि भी यहां देखे जा सकते हैं।
6. कास झील (Kaas Lake, satara Maharashtra)
समुद्र तल से 3500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह झील सतारा से 26 किमी. दूर पश्चिम दिशा में है। सतारा-यवतेश्वर रोड पर स्थित यह शांत झील चारों तरफ से घने जंगलों से घिरी हुई है। झील के पश्चिम में सज्जानगढ़ किला है। इसके निकट ही कान्हर बांध और कसाईदेवी मंदिर है। सितंबर से मार्च की अवधि यहां आने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
7. कोयना वन्यजीव अभ्यारण्य (Koyna Wildlife Sanctuary)
420 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैले इस अभ्यारण्य में टाईगर, पेंथर, गोर, स्लोथ बीयर, सांभर, बार्किंग डीयर, ढोल, बड़ी गिलहरी, उदबिलाव, लंगूर, पाइथन और कोबरा मुख्य रूप से पाए जाते हैं। पक्षियों की विविध प्रजातियां भी यहां देखी जा सकती हैं। अक्टूबर माह में यहां सैलानियों का सबसे अधिक आगमन होता है।
8. थोसघर जलप्रपात (Thoseghar WaterFall)
सतारा से 36 किमी. दूर स्थित यह जलप्रपात 1000 फीट की ऊंचाई से गिरता है। चल्केवाडी से इस झरने का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। झरने के शिखर की सघन वनस्पति और चट्टानें झरने की सुंदरता को और बढ़ा देती हैं। यहां साल में किसी भी दिन आया जा सकता है।
9. चाल्केवाड़ी पवनचक्की फार्म (Chalkewadi windmill Farms)
चल्केबाडी सतारा जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल है। सतारा से 40 किमी. दूर स्थित यह गांव थोसघर जलप्रपात से कुछ दूरी पर है। समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह गांव मूलत: एक पठार पर बसा हुआ है। महाराष्ट्र सरकार ने यहां चल्केवाडी प्रोजेक्ट बनाया है जहां हजारों विंड मिल्स राष्ट्र के लिए बिजली का उत्पादन करती हैं। यह प्रोजेक्ट एशिया के विशालतम विन्डमिल्स प्रोजेक्ट में शामिल है।
10. पांडव की रसोई (Pandav Rasoi Satara)
सतारा जिले के पंचगानी पठार के दक्षिण में स्थित पांडव की रसोई का पौराणिक महत्व है। माना जाता है कि वनवास के दौरान पांडव कुछ समय के लिए यहां ठहर थे और उन्होंने इस स्थान को रसोई के तौर पर इस्तेमाल किया था। (और पढें: महाभारत के प्रमुख पात्र
11. पंचगंगा मंदिर (Panch banaya Temple)
यह मंदिर महाबलेश्वर के प्राचीन मंदिरों में है। इस मंदिर को 13वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव राजा सिंहनदेव ने बनवाया था। इस स्थान पर कोयना, कृष्णा, वेन्ना, सावित्री और गायत्री नदियों का संगम होता है। इन मिश्रित नदियों का जल गोमुख से निकलता है। इसी कारण इसे पंचगंगा मंदिर के नाम से जाना जाता है।
12. सिद्धनाथ मंदिर (Sidhnath Temple)
इस मंदिर में 12वीं शताब्दी की सिद्धनाथ और जगुबाई की मूर्तियां शिव और पार्वती के रूप में स्थापित हैं। यहां होने वाली वार्षिक रथयात्रा श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में आकर्षित करती है। सतारा के हसवाड में स्थित यह मंदिर सतारा से 80 किमी. दूर सतारा-सोलापुर रोड पर स्थित है।
13. महाबलेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple)
यह प्राचीन मंदिर भगवान महाबली को समर्पित है। मंदिर प्राकृतिक रूप से बने लिंगम के लिए काफी प्रसिद्ध है। मंदिर में स्थापित महाबली की प्रतिमा के कारण ही मंदिर का नाम महाबलेश्वर पड़ा। मंदिर में एक कक्ष बना है जिसमें एक विशेष बिस्तर लगा हुआ है। कहा जाता है कि यदि कमरा बंद भी हो तो सुबह बिस्तर देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई इसमें सोया हो।
14. राजापुरी गुफाएं (Rajapuri Cave)
सतारा जिले के पंचगनी से 10 किमी. की दूरी पर राजापुरी गुफाएं स्थित हैं। इन गुफाओं में भगवान कार्तिकेय और यहां की स्थानीय देवी घटजल देवी का मंदिर है। फसलों की कटाई के बाद यहां एक मेला लगता है और इष्टदेवी के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है।
सतारा कैंसे पहुंचे (How to Reach Satara)
वायु मार्ग– पुणे एयरपोर्ट सतारा का निकटतम एयरपोर्ट है। यह देश के अनेक छोटे-बड़े शहरों से जुड़ा है।
रेल मार्ग– सतारा का रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के तमाम बड़े शहरों से जुड़ा है। अनेक रेलगाड़ियां सतारा को अन्य शहरों से जोड़ती हैं
सड़क मार्ग– सतारा राष्ट्रीय राजमार्ग 4 के माध्यम से राज्य और देश के अन्य बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें राज्य और पड़ोसी राज्य के अनेक शहरों को सतारा से जोड़ती हैं।