शाबर मन्त्र संग्रह: Shabar Mantra Sangrah (Set of 12 Volumes) With PDFs & Reviews in Hindi
Shabar Mantra Sangrah: शाबर मंत्रों का उपयोग विशेष रूप से तंत्र साधना, समस्याओं को हल करने, और आत्मिक उन्नति के लिए किया जाता है। अगर आप शाबर मंत्र संग्रह पीडीएफ फॉर्म में ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपकी मदद करेगा।
शाबर मन्त्र संग्रह: Shabar Mantra Samgrah (Set of 12 Volumes) By KALYAN PUBLICATION
Title: | शाबर मन्त्र संग्रह (Shabar Mantra Samgrah) |
Author: | Pandit Ramadatt Shukla |
Publisher: | Kalyan Mandir Prakashan, Prayag |
Language: | Hindi |
Edition: | 2012 |
Pages: | 1260 |
Cover: | Paperback |
Other Details: | 20.5 cm X 14 cm |
Weight: | 1.10 kg |
PDF: | Not Available |
साबर’ मन्त्रों को सिद्ध कैसे करें ?
‘साबर’ मन्त्रों की ‘साधना’ के पूर्व ‘सर्वार्थ साधक’ मन्त्र को 21 बार जप लेना चाहिए । इसके बाद अपने अभीष्ट मन्त्र की साधना करें। ‘सर्वार्थ साधक’ मन्त्र का जप करते समय ध्यान रखें कि इसका कोई भी शब्द या वर्ण उच्चारण में अशुद्ध न हो। यह जैसा है-ऐसा ही-ज्यों-का-त्यों पढ़ना चाहिए ।
“गुरु सठ गुरु सठ गुरु हैं वीर, गुरु साहब सुमरी बड़ी भाँत । सिङ्गो टोरों बन कहाँ, मन नाऊँ करतार। सकल गुरु की हर भजे, घट्टा पकर उठ जाग, चेत सम्भार श्री परम-हंस ।”
इसके पश्चात् गणेश जी का ध्यान करके नीचे लिखे मन्त्र की एक माला जपें- ध्यान मंत्र: वक्रतुण्ड, महा काय ! कोटि-सूर्य-सम-प्रभ ! निविघ्नं कुरु मे देव ! सर्व कार्यषु सर्वदा ।।
मंत्र: “वक्त-तुण्डाय हूं।”
फिर निम्न लिखित मन्त्र से दिग्बन्धन कर लें-
“वज्ज्र-क्रोधाय महा दन्ताय वश – विशो बन्ध बन्ध, हूं फट् स्वाहा ।
उक्त मन्त्र को जपने से दशों दिशाएँ बंध जाती हैं और किसी प्रकार का विश्न साधक की साधना में नहीं पड़ता। नाभि में दृष्टि जमाने से घ्यान बहुत शीघ्र लगता है और मन्त्र शीघ्र सिद्ध होते हैं ।
इसके बाद मन्त्र को सिद्ध करने के लिए उसका जप करना चाहिए। जप किस समय, किस स्थान पर और कितनी संख्या में करना चाहिए, यह मन्त्रों के साथ लिख दिया गया है। वैसे इस कार्य के लिए ‘दशहरा’, ‘दीपावली’, ‘होली की रात्रि’, ‘ग्रहण काल’ तथा ‘शिव-रात्रि’ अच्छे पर्व माने जाते हैं।
सुरक्षा मंत्र:
ॐ नमः वफा का कोठा, जिसमें पिण्ड हुम्मारा बैठा । ईश्वर कुञ्जी, ब्रह्मा का ताला, मेरे आठों याम का यति हनुमन्त रखवाला ।
विधि : किसी मङ्गलवार से उक्त मन्त्र का जप प्रारम्भ करे। दस हजार जप द्वारा ‘पुरश्चरण’ कर ले। श्री हनुमान जी को सवाया रोट का ‘चूर्मा’ (गुड़, घी मिश्रित) अर्पित करें। कार्य के समय मन्त्र का तीन बार उच्चारण कर शरीर पर हाथ फिराएँ, तो शरीर रक्षित हो जाता है।
दूकान की बिक्री अधिक हो
श्री शुक्ले महा-शुक्ले कमल दल निवासे श्रीमहा-लक्ष्मी नमो नमः । लक्ष्मी माई, सत्त की सवाई। आओ, चेतो, करो मलाई । ना करो, तो सात समुद्रों की दुहाई। ऋद्धि-सिद्धि लायोगी, तो नौ नाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई।
विधि-घर से नहा-धोकर दुकान पर जाकर अगर-बत्ती जला- कर उसी से लक्ष्मी जी के चित्र की आरती करके, गद्दी पर बैठकर, १ माला उक्त मन्त्र की जपकर दुकान का लेन-देन प्रारम्भ करें । झाशातीत लाभ होगा।
दाद का मन्त्र
ओम् गुरुभ्यो नमः । देव-देव ! पूरा दिशा भेरूनाथ दल ! क्षमा भरो, विशाहतो वैर, बिन आज्ञा । राजा बासुकी की आन, हाथ वेग चलाव ।
विधि : किसी पर्व-काल में एक हजार बार जप कर सिद्ध कर लें। फिर इक्कीस बार पानी को अभिमन्त्रित कर रोगी को पिलावें, तो ‘दाद’ रोग जाता है।
आँख की फूली काटने का मन्त्र
उत्तर काल, काल ! सुन जोगी का बाप ! इस्माइल जोगी की दो बेटी-एक माथे चूहा, एक काते फूला । बुहाई लोना चमारी की ! एक शब्द साँचा, पिण्ड काँचा, फुरो मन्त्र- ईश्वरो वाचा ।
विधि : पर्व-काल में एक हजार बार जप कर सिद्ध करें। फिय मन्त्र को 21 वार पढ़ते हुए लोहे की कील को धरती में गाड़ें, वो ‘फूली’ कटने लगती है।
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