शक्तिपीठ
Short Introduction:- हिंदू धर्म में शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। शक्तिपीठ की कुल संख्या 51 मानी जाती है। मान्यता के अनुसार – जिस स्थान पर देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे उसे शक्ति पीठ कहा जाता है। यह शक्तिपीठ अत्यंत पवित्र है, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला हुआ है।
Shaktipeetha has special significance in Hinduism. The total number of Shaktipeetha is considered to be 51. According to the belief – the place where the body parts of Goddess Sati fell are called Shakti Peeth. This Shaktipeeth is extremely sacred, which is spread throughout the Indian subcontinent.
शक्तिपीठ पौराणिक कथा (The Legend of Shakti Peetha in Hindi)
एक बार दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में ‘बृहस्पति सर्व‘ नामक यज्ञ का आयोजन किया था। उस यज्ञ में प्रजापति ने ब्रह्म, विष्णु, इंद्रादि समस्त देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया।
शंकर की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती, पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ स्थल मे चली गईं। सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया।
इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को खूब अपशब्द कहे। सती अपने पति के लिए अपशब्द न सुन सकी और यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया।
शंकर के वीरभद्र अवतार ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर, शीश को धड़ से काट कर अलग कर दिया। बाद में देवताओं के अनुरोध पर शंकर ने दक्ष को बकरे का शीश लगाकर पुनः जीवित कर दिया।
भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और विलाप करते हुए इधर-उधर घूमने लगे। तदनंतर सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए जगत के पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने सुरदर्शन चक्र से सती के शरीर को काट दिया। वे टुकड़े पृथ्वी के विभिन्न स्थानो पर गिरे जो शक्तिपीठ कहलाए।
सती ने दूसरे जन्म में हिमालयपुत्री “पार्वती” के रूप में शंकर जी से विवाह किया।
शक्तिपीठ नाम, स्थान, अंग, देवी और भैरव (51 Shakti peetha Name & Details)
सती के शरीर का अंग या आभूषण, जो श्री विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए। शक्तिपीठों की कुल संख्या इक्यावन है। वर्तमान में यह 51 शक्तिपीठ भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के कई हिस्सों में स्थित है। नीचे 51 शक्ति पीठो की सूची दी जा रही है, जो तंत्र चुडामडी के अनुसार है-
क्र० | नाम | स्थान | देश | अंग / आभूषण | शक्ति | भैरव |
1 | हिंगुल या हिंगलाज | कराची से लगभग 125 कि॰मी॰ | पाकिस्तान | ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) | कोट्टरी | भीमलोचन |
2 | शर्कररे | कराची, सुक्कर स्टेशन के निकट, (अन्य मत बिलासपुर, हि.प्र. ) | पाकिस्तान | आँख | महिष मर्दिनी | क्रोधीश |
3 | सुगंध, सुनंदा | शिकारपुर, बरिसल से 20 कि॰मी | बांग्लादेश | नासिका | सुनंदा | त्रयंबक |
4 | अमरनाथ | पहलगाँव, काश्मीर | भारत | गला | महामाया | त्रिसंध्येश्वर |
5 | ज्वाला जी | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | भारत | जीभ | सिधिदा (अंबिका) | उन्मत्त भैरव |
6 | त्रिपुरमालिनी | जालंधर, छावनी स्टेशन के निकट, पंजाब | भारत | बांया वक्ष | त्रिपुरमालिनी | भीषण |
7 | अम्बाजी मंदि | गुजरात | भारत | हृदय | अम्बाजी | बटुक भैरव |
8 | गुजयेश्वरी मंदिर, | काठमाण्डू, निकट पशुपतिनाथ मंदिर | नेपाल | दोनों घुटने | महाशिरा | कपाली |
9 | मानस | कैलाश पर्वत, मानसरोवर | तिब्बत, चीन | दायां हाथ | दाक्षायनी | अमर |
10 | बिराज या बिराजा | उत्कल, उड़ीसा | भारत | नाभि | विमला | जगन्नाथ |
11 | मुक्तिनाथ मंदिर | गण्डकी नदी के तट पर, पोखरा | नेपाल | मस्तक | गंडकी चंडी | चक्रपाणि |
12 | बाहुल | अजेय नदी तट पर, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | बायां हाथ | देवी बाहुला | भीरुक |
13 | उज्जनि | गुस्कुर स्टेशन, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | दायीं कलाई | मंगल चंद्रिका | कपिलांबर |
14 | त्रिपुरा | माताबाढ़ी पर्वत, उदरपुर, त्रिपुरा | भारत | दायां पैर | त्रिपुर सुंदरी | त्रिपुरेश |
15 | छत्राल | चंद्रनाथ पर्वत, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला | बांग्लादेश | दांयी भुजा | भवानी | चंद्रशेखर |
16 | त्रिस्रोत | सालबाढ़ी गाँव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | बायां पैर | भ्रामरी | अंबर |
17 | कामगिरि, कामाख्या | नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम | भारत | योनि | कामाख्या | उमानंद |
18 | जुगाड़्या | खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | दायें पैर का बड़ा अंगूठा | जुगाड्या | क्षीर खंडक |
19 | कालीघाट | कालीघाट, कोलकाता | भारत | दायें पैर का अंगूठा | कालिका | नकुलीश |
20 | ललिता प्रयाग, संगम | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश | भारत | हाथ की अंगुली | ललिता | भव |
21 | जयंती | कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, | बांग्लादेश | बायीं जंघा | जयंती | क्रमादीश्वर |
22 | किरीट | किरीटकोण ग्राम, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | मुकुट | विमला | सांवर्त |
23 | मणिकर्णिका घाट | काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भारत | मणिकर्णिका | विशालाक्षी एवं मणिकर्णी | काल भैरव |
24 | कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर | तमिल नाडु | भारत | पीठ | श्रवणी | निमिष |
25 | कुरुक्षेत्र | हरियाणा | भारत | एड़ी | सावित्री | स्थनु |
26 | मणिबंध | गायत्री पर्वत, निकट पुष्कर, अजमेर, राजस्थान | भारत | दो पहुंचियां | गायत्री | सर्वानंद |
27 | श्री शैल | जैनपुर गाँव, 3 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व सिल्हैट टाउन | बांग्लादेश | गला | महालक्ष्मी | शंभरानंद |
28 | कांची | कोपई नदी तट पर, बोलापुर स्टेशन, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | अस्थि | देवगर्भ | रुरु |
29 | कमलाधव | शोन नदी तट पर, अमरकंटक, मध्य प्रदेश | भारत | बायां नितंब | काली | असितांग |
30 | शोन्देश | अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम पर, मध्य प्रदेश | भारत | दायां नितंब | नर्मदा | भद्रसेन |
31 | रामगिरि | चित्रकूट, झांसी-माणिकपुर रेलवे लाइन पर, उत्तर प्रदेश | भारत | दायां वक्ष | शिवानी | चंदा |
32 | भूतेश्वर महादेव मंदिर | वृंदावन, उतरप्रदेश | भारत | केश गुच्छ/ चूड़ामणि | उमा | भूतेश |
33 | शुचितीर्थ शंकर मंदिर | कन्याकुमारी- तमिल नाडु | भारत | ऊपरी दाड़ | नारायणी | संहार |
34 | पंचसागर | अज्ञात | निचला दाड़ | वाराही | महारुद्र | |
35 | करतोयतत | भवानीपुर गांव, बागुरा स्टेशन | बांग्लादेश | बायां पायल | अर्पण | वामन |
36 | श्री पर्वत | लद्दाख, कश्मीर, अन्य मान्यता- श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश | भारत | दायां पायल | श्री सुंदरी | सुंदरानंद |
37 | विभाष | तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | बायीं एड़ी | कपालिनी (भीमरूप) | शर्वानंद |
38 | प्रभास | वेरावल स्टेशन, निकट सोमनाथ मंदिर, जूनागढ़ जिला, गुजरात | भारत | आमाशय | चंद्रभागा | वक्रतुंड |
39 | भैरवपर्वत | क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश | भारत | ऊपरी ओष्ठ | अवंति | लंबकर्ण |
40 | जनस्थान | नासिक, महाराष्ट्र | भारत | ठोड़ी | भ्रामरी | विकृताक्ष |
41 | सर्वशैल | राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश | भारत | गाल | राकिनी/ विश्वेश्वरी | वत्सनाभ/ दंडपाणि |
42 | बिरात | निकट भरतपुर, राजस्थान | भारत | बायें पैर की अंगुली | अंबिका | अमृतेश्वर |
43 | रत्नावली | निकट रत्नाकर नदी, खानाकुल-कृष्णानगर, हुगली जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | दायां स्कंध | कुमारी | शिवा |
44 | उमा शक्तिपीठ, मिथिला | निकट जनकपुर रेलवे स्टेशन, भारत-नेपाल सीमा | नेपाल | बायां स्कंध | उमा | महोदर |
45 | नलहाटी | निकट नलहाटि स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | पैर की हड्डी | कलिका देवी | योगेश |
46 | कर्नाट | अज्ञात | दोनों कान | जयदुर्गा | अभिरु | |
47 | वक्रेश्वर | निकट पापहर नदी, दुबराजपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | भ्रूमध्य | महिषमर्दिनी | वक्रनाथ |
48 | यशोर | ईश्वरीपुर, खुलना जिला | बांग्लादेश | हाथ एवं पैर | यशोरेश्वरी | चंदा |
49 | अट्टहास | लाभपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | ओष्ठ | फुल्लरा | विश्वेश |
50 | नंदीपुर | सैंथिया रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | भारत | गले का हार | नंदिनी | नंदिकेश्वर |
51 | इंद्रक्षी | ट्रिंकोमाली, त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट (एक स्तंभ शेष) | श्री लंका | पायल | इंद्रक्षी |
नोट:- प्रत्येक शक्तिपीठ पर अलग से लेख लिखने का कार्य किया जा रहा है। जिसे हायपरलिंक के माध्यम से शक्तिपीठ लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा। यदि पाठक चाहे तो अपने लेख हमे भेज सकते है।