Shardiya Navratri: नवरात्रि व्रत, मुहूर्त और पूजन विधि
Shardiya Navratri: हिन्दु धर्म में शरद नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से नवमी तिथि तक होता है। इंग्लिश कलेंडर अनुसार यह प्रत्येक वर्ष (अगस्त सितम्बर के महीने) में पड़ता है। इन नौ दिनों में नवरात्रि में दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना की जाती है।

शारदीय नवरात्रि व्रत कथा और महत्व (Importance of chaitra Navratra)
नवरात्रि (Navratri) का त्योहार वर्षभर में दो बार मनाया जाता है। चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और शरद ऋतु में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते है। धार्मिक मान्यता अनुसार जो व्यक्ति मां दुर्गा की पूजा आराधना सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध करने के लिए नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन उसे पराजित किया था। शारदीय नवरात्रि इसी विजय का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है। इस मौसम में प्रकृति खूबसूरत होती है और लोग इस नए मौसम का स्वागत करने के लिए यह त्योहार मनाते हैं।
प्रतिपदा से राम नवमी तक इस पर्व को मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना (कलश स्थापना) करते है। इसके बाद प्रतिदिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूप (शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि) की पूजा की जाती है। कोई पूरे नौ दिन व्रत रखता है तो कोई प्रथम और अंतिम दिन।
2025 में शादरीय नवरात्रि कब है? (Shardiya Navratri Date & Muhurat)
इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ होकर 2 अक्टूबर तक रहेगा।
दिवा तिथि | त्योहार | तिथि |
22 सितंबर, 2025 | घटस्थापना | प्रतिपदा |
23 सितंबर 2025 | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा | द्वितीय |
24 – 25 सितंबर 2025 | माँ चंद्रघंटा पूजा | तृतीया |
26 सितंबर 2025 | माँ कुष्मांडा पूजा | चतुर्थी |
27 सितंबर 2025 | माँ स्कंदमाता पूजा | पंचमी |
– 28 सितंबर 2025 | माँ कात्यायिनी पूजा | षष्ठी |
29 सितंबर 2025 | माँ कालरात्रि पूजा | सप्तमी |
30 सितंबर 2025 | माँ महागौरी पूजा | अष्टमी |
1 अक्तूबर 2025 | माँ सिद्धिदात्री पूजा, महानवमी | नवमी |
2 अक्टूबर | विजय दशमी | दशमी |
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना (kalash Sthapna Muhurat in 2025)

कलश स्थापना के लिए पहला मुहूर्त सुबह 06:09 से 08:06 तक है. वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:49 AM से 12:38 PM तक है.
तिथि- सितम्बर 22, 2025
घट स्थापना मुहूर्त- प्रातः 06:09 से 08:06 तक।
अभिजीत मुहूर्त- 11:49 AM से 12:38 PM (अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट)
शारदीय नवरात्रि पूजन विधि
चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पाद्य, लाल वस्त्र, अक्षत, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य, पुष्प और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं लेकर मां का श्रृंगार और पूजन करें।
कलश स्थापना कैसे करें?
गणपति पूजन के बाद कलश की स्थापना करें। कलश स्थापना निम्न प्रकार करें-
सर्वप्रथम मंदिर में एक लाल कपड़ा बिछाएं। इस कपड़े पर थोड़े चावल रख एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बना उस पर कलावा बांधें।
कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर उसके ऊपर अशोक के पत्ते रखें। अब एक नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर कलावा से बांध दें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रख दें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। कलश की रोज पूजा करनी चाहिए और नौ दिनों बाद इसे उठाया जाता है।
नवरात्रि के पवित्र अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष महत्व रखता है। दुर्गा सप्तशती देवी महामाया के महिमामंडन का एक पवित्र ग्रंथ है। यह ग्रंथ मार्कंडेय पुराण का एक भाग है और इसमें 700 श्लोक हैं। यह पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर ले जाता है और उसे जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता दिलाता है।