शौनक ऋषि (Shaunak Rishi)
शौनक, एक प्रसिद्ध वैदिक ऋषि थे। इनकी गणना सप्तऋषियों में भी होती है। शौनक संस्कृत वैयाकरण तथा ऋग्वेद प्रतिशाख्य, बृहद्देवता, चरणव्यूह तथा ऋग्वेद की छः अनुक्रमणिकाओं के रचयिता ऋषि हैं।
शौनक ऋषि
नाम | शौनक ऋषि |
पूरा नाम | इंद्रोतदैवाय शौनक |
पिता | शनुहोत्र |
संबंध | हिन्दू ऋषि |
अन्य जानकारी | प्रत्येक मन्वंतर में 7 प्रमुख ऋषि हुए हैं। इन्हीं ऋषियों में से एक थे ऋषि शौनक। |
संबंधित लेख | सप्तऋषि |
शौनक ऋषि जन्म कथा (Shaunak Rishi Birth Story and Biography)
शौनक ऋषि, भृगुवंशी शुनक ऋषि के पुत्र थे। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार इनका पूरा नाम इंद्रोतदैवाय शौनक था।
ऋष्यानुक्रमणी ग्रंथानुसार, शौनक अंगिरस्गोत्रीय शनुहोत्र ऋषि का पुत्र थे परंतु बाद में भृगु-गोत्रीय शनुक ने इन्हें अपना पुत्र माना तो इन्हें शौनक पैतृक नाम प्राप्त हुआ।
ऋषि शौनक परम विद्वान् और वेद ज्ञाता थे। इन्होने अनेक ग्रन्थ लिखे जिनमें ऋग्वेद छंदानुक्रमणी, ऋग्वेद ऋष्यानुक्रमणी, ऋग्वेद अनुवाकानुक्रमणी, ऋग्वेद सूक्तानुक्रमणी, ऋग्वेद कथानुक्रमणी, ऋग्वेद पादविधान, बृहद्देवता, शौनक स्मृति, चरणव्यूह, ऋग्विधान, शौनक गृह्यसूत्र, शोनक- गृह्यपरिशिष्ट, वास्तुशास्त्र ग्रन्थ आदि प्रमुख है।
शौनक ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया।
राजा जनमेजय के लिए अश्वमेघ यज्ञ किया
महाभारत अनुसार एक बार- महान प्रतापी राजा जनमेजय नामक को एक बार ब्रह्म हत्या का दोष लग गया। जिसके निवारण के लिए उसने अपने पुरोहित से प्रार्थना की। किन्तु प्रार्थना को पुरोहित ने नहीं माना।
तब राजा जनमेजय शौनक ऋषि के शरण मे आये। ऋषि ने राजा से अश्वमेध एवं सर्पसत्र नामक यज्ञ करा उनको ब्रह्महत्या के दोष से पूर्णतया निवारण कर स्वर्ग भेज दिया।