Mantra: शीघ्र फल देने वाले मंत्र और प्रयोग
Mantra: मंत्र, शब्दो का व्यवस्थित क्रम है। ये व्यवस्थित क्रम शरीर और मन को संतुलित प्रदान करता है। प्राचीनकाल से लोगो का विश्वास है कि ऐसी कोई कठिनाई, कोई विपत्ति और कोई पीड़ा नहीं है जिसका निवारण मंत्र के द्वारा नहीं हो सकता और कोई ऐसा लाभ नहीं है जिसकी प्राप्ति मंत्र के द्वारा नहीं हो सकती।
आजके इस लेख के माध्यम से हम आपको शीघ्र फल देने वाले मंत्र दे रहे। जिसका प्रयोग कोइ भी घर बैठे कर सकता है। इन मंत्रो में किसी प्रकार के लंबे चौड़े विधान की जरूरत नही है।
सूर्य को अर्ध्य देने का मंत्र
हिंदू धर्म में सूर्य को देवता की तरह पूजा जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है और मान सम्मान में वृद्धि होती है। सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। जल में रोली या फिर लाल चंदन का प्रयोग करें। इसके अलावा लाल फूल भी सूर्य देव को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
एहि सूर्य सहस्रांशी, तेजो राशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणायं दिवाकर।
भोजन मन्त्र
भोजन हाथ-पैर, मुंह धोकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिए। खड़े-खड़े, जूते पहनकर सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन को अच्छी तरह चबाकर करना चाहिए। भोजन करने से पूर्व हाथ जोड़कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै
।। ॐ शान्ति: ! शान्ति: !! शान्ति: !!!
श्री गायत्री महामंत्र सर्वसिद्ध हेतु
गायत्री मन्त्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं। इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मन्त्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है
गायत्री मन्त्र का नियमित रुप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती। व्यक्ति का तेज बढ़ता है और मानसिक चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है। बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि
धीयो यो नः प्रचोदयात्। विशेष: (यज्ञोपवीत धारी मनुष्यों हेतु)
विद्या प्राप्ति सरस्वती मंत्र
धर्म शास्त्रों के अनुसार सरस्वती संगीत, कला, वाणी, मातृत्व, आध्यात्मिकता, विद्या, ज्ञान, ग्रंथ आदि की अधिष्ठात्री देवी मानी गई है। नित्य 108 की संख्या में जाप करें।
ऐं ह्रीं श्रीं वाग्वादनी सरस्वती देवी मम जिह्वायां ।
सर्व विद्या देही दापय दापय स्वाहा ।।
रोग मुक्त हेतु मंत्र
इस मंत्र को नियमित रूप से जप करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिल सकती है। लेकिन साथ ही चिकित्सक सलाह लेना भी आवश्यक है। मंत्र का यथासंभव 1,5,11 माला सुबह जाप करें। अन्य व्यक्ति के लिए जप कर रहे है तो मम के स्थान पर अभीष्ट व्यत्की का नाम लें।
नमो परमात्मने परब्रह्म मम शरीरे पाहि पाहि ।
कुरू कुरू स्वाहा ।
सब बाधाओं से मुक्ति तथा धन, संतान प्राप्ति हेतु मंत्र
दुर्गासप्तशती का यह मंत्र अत्यंत चमत्कारी है। इस मंत्र को के नियमित जाप से सब प्रकार के बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र देवी उपासक के लिए अमोघ है।
सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वित ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न संशय ।।
सर्व बाधा निवारण मंत्र
सभी प्रकार की आपदाओं, बाधाओं व क्लेशों को दूर करने के लिए | निम्नांकित मंत्र का 108 बार जाप करें:
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम ।।
विघ्ननाशक कामना सिद्धि गणेश मंत्र
विघ्न नाश करने में गणेश का नाम सर्वोपरि होगा। इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। इस मंत्र के नित्य 108 जाप से आप जीवन में आ रहे सभी विध्न को समाप्त ओर कामनाओं की पूर्ति कर सकते है।
गं मेधादः कीर्तिदः शोकहारी दौर्भाग्य नाशनः ।
पतिवादि मुखस्तम्भो रुष्ट चित्त प्रसादनः ।।
दारिद्रयनाश मंत्र
इस मंत्र का उच्चारण करने से आपके घर में धन और समृद्धि का प्रवाह होता है। इस मंत्र को प्रतिदिन कम से कम 108 बार तुलसी अथवा रुद्राक्ष की मात्रा से जाप करें।
नन्दादि गोकुल त्राता, दाता दारिद्रय भंजनम् ।
सर्व मंगल दाता च, सर्व काम प्रदायकः ।।
ऋणहर्ता गणेश मंत्र
गणेश जी के इस मंत्र का जाप करने से लोगों को धन की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और उनकी आर्थिक स्थिति सुधरती है। इस मंत्र को नियमित रूप से सुबह 1,5 या 11 माला की संख्या में जपना चाहिए।
गणेश ऋणं छिंधि वरेण्यं हुं नमः फट् ।
साथ ही ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का पाठ नित्य, अथवा शनिवार और मंगलवार को करें। ईश्वर की कृपा से लाभ होगा।
कुबेरजी को प्रसन्न करने हेतु मंत्र-
कुबेर धन के देवता और कोषाध्यक्ष माने जाते हैं। वे यक्षों के राजा भी हैं। इनके पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं।
यक्षाय कुबेराय श्रवणाय धनधान्यदिपतये ।
धनधान्य समृद्धं मेदेहि दापय स्वाहा ।।
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु सिद्ध मंत्र
माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। पार्वती और सरस्वती के साथ, वह त्रिदेवियाँ में से एक है। इन्हे धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद,
श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मये नमः।
नष्ट द्रव्य प्राप्ति मंत्र
कार्तवीर्य अर्जुन प्राचीन हैहय वंश के सम्राट और स्वयं सुदर्शन चक्र भगवान थे। पुराणों ने अनुसार भगवान विष्णु के मानस प्रपोत्र और सुदर्शन चक्र के मूलावतार है। उनकी एक सहस्र (एक हजार) भुजाएँ है, जिसके कारण इन्हें सहस्रार्जुन भी कहते हैं।
ॐ ह्रीं कीर्तिवीर्य अर्जुनोनाम राजा बाहु सहस्त्रवान् ।
तस्य स्मरण मात्रेण हर्तम् नष्टम् च लभ्यते । ।
विपत्ति निवारक मंत्र
जीवन में कभी भी अचानक कोई बड़ी परेशानी आ जाए तो श्रीकृष्ण का यह मंत्र सभी प्रकार की आपदाओं और विपत्तियों के तारने की शक्ति रखता है।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः ।
श्रेष्ठ वर प्राप्ति मंत्र
जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा है, उन्हें किसी शुभ मुहूर्त से इस मंत्र का नित्य 108 बार जप नियमित रूप से जप करना चाहिए।
क्लीं कात्यायनी महामाये महायोगिन्य धीश्वरि।
नन्दगोप सुतं देवी पतिमें कुरुवे नमः ।।
सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति मंत्र
जिन पुरुषों के विवाह में विलंब हो रहा है, उन्हें किसी शुभ मुहूर्त से इस मंत्र का नित्य 108 बार जप नियमित रूप से जप करना चाहिए।
पत्नी मनोरमां देही, मनोवृतानु सारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसार, सागरस्य कुलोद्भवाम् ।।
संतान प्राप्ति मंत्र
एक प्रचलित पंक्ति अनुसार पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया। तिजा सुख कुलवंती नारी, चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी। निम्न मंत्र का नित्य 108 बार पाठ करने से आज्ञाकारी संतान की प्राप्ति होती है।
क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयम् कृष्णः त्वामहं शरणम् गतः । ।
सरलता से प्रसव मंत्र
गर्भावस्था की अवधि में प्रत्येक नारी के मन को प्रसव की कष्टसाध्य स्थिति की कल्पना निरन्तर चिंतित बनाए रखती है। प्रथम प्रसूता को तो यह चिन्ता और भी स्वाभाविक है। निम्न मंत्र के जाप से सरलता पूर्वक प्रसव जो जाता है।
मुक्ता पाश विमुक्ताशा, मुक्ता सूर्येण रश्मयः ।
मुक्ता सर्व भायद् गर्भ, एहिमाचिर माचिर स्वाहा।।
शत्रु पर विजय प्राप्ति मंत्र
माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। यह भगवती पार्वती का उग्र स्वरूप है। ये भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली देवी है
ॐ ह्रीं बगुलामुखी सर्व दष्टानां वाचं मुखं पदं । स्तम्भय जीह्वां कीलय बुद्धि विनाशयह्रीं ॐ ।।
महामृत्युंजय नरसिंह अपामार्जन मंत्र
इनकी आराधना के पूर्व हरिद्रा गणपती की आराधना अवश्य करनी चाहिये अन्यथा यह साधना पूर्ण रूप से फलीभूत नहीं हो पाती है |
ॐ क्षों उग्र वीर महाविष्णु ज्वलंतम् सवर्तोदिशम्नरसिंह भीषणम् भद्रं मृर्त्योऽमृत्यु नमाम्यहम् ।
बल एवं कार्य सिद्धि मंत्र
ॐ बले बले महाबले असिद्धि साधनी स्वाहा।।
स्वर्णाकर्षण भैरवाय दारिद्रय नाशक मंत्र
स्वर्णाकर्षण भैरव काल भैरव का सात्त्विक रूप हैं, जिनकी पूजा धन प्राप्ति के लिए की जाती है। इनका प्रिय प्रसाद दूध और मेवा है। स्वर्णाकर्षण भैरव की उपासना से दरिद्रता का नाश होता है और लक्ष्मी जी स्थिर होती हैें।
ॐ ऐं क्लां क्लीं क्यूं ह्रां ह्रीं हुं सः बं आपदुधारणाय अजामल बद्धाय लोकेश्वराय स्वर्णाकर्षण भैरवाय मम दारिद्र ‘विद्वेषणाय ॐ श्रीं महाभैंरवाय’ नमः ।
पितरों की आत्म शान्ति हेतु मोक्ष कारक मंत्र
जिनकी मृत्यु हो जाती है वह पितर बन जाते हैं। गरूड़ पुराण अनुसार मृत्यु के पश्चात मृतक व्यक्ति की आत्मा प्रेत रूप में यमलोक की यात्रा शुरू करती है। प्रेत आत्मा को अपने कर्म के अनुसार प्रेत योनी में ही रहना पड़ता है अथवा अन्य योनी प्राप्त होती है। इस सफर के दौरान संतान द्वारा प्रदान किये गये श्राद्ध, पूजन आदि से प्रेत आत्मा को बल मिलता है।
सर्व भूता यदा देवी स्वर्ग मुक्ति प्रदायनी ।
त्वम् स्तुता स्तुतये का वा भवस्तु परमोक्तय ।।
मोक्ष प्राप्ति हेतु मंत्र
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार जीव का जन्म और मरण के बन्धन से छूट जाना ही मोक्ष है। इसे ‘विमोक्ष’, ‘विमुक्ति’ और ‘मुक्ति’ भी कहा जाता है। जीव अज्ञान के कारण ही बार बार जन्म लेता और मरता है । इस जन्ममरण के बंधन से छूट जाने का ही मोक्ष है।
सत्यव्रत सत्यपरं त्रिसत्यं, सत्यस्ययोनिं निहितश्च सत्ये ।
सत्यस्य सत्यामृत सत्यनेत्रं, सत्यामकं त्वां शरणं प्रपत्राः ।।
गृह शान्ति मंत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, सूर्य, गुरू, मंगल, बुध, शुक्र, चंद्रमा और राहु-केतु, को नवग्रह कहा जाता है। इन नवग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति व्यक्ति पर गहरा प्रभाव करती हैं। यह मंत्र प्राय: सभी ग्रहों की शांति के लिए उपयोग में लाया जाता है। आप इस मंत्र को नित्य पूजा में भी शामिल एक सकते है।
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी: भानु शशि भूमिसुतोबुधश्च ।
गुरुश्च शुक्रः शनि राहुकेतवः सर्वे ग्रहाः शान्किरा भवन्तु ।।
नवग्रह के बीज मंत्र
ज्योतिषियों के मुताबिक, जब ग्रह कमजोर होते हैं, तो व्यक्ति को उससे संबंधित बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं जब ग्रह मजबूत होते हैं, तो जातकों को उसका प्रत्यक्ष लाभ भी मिलता है। कुंडली में कमजोर अथवा पापी ग्रह के जाप करने से उसके शुभ फल को बढ़ाया जा सकता है। नवग्रह के तंत्रोक्त बीज मंत्रनिम्न है।
सूर्य: ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम: ।
चंद्र: ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: ।
मंगल: ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: ।
बुध: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ।
गुरु: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
शुक्र: ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
शनि: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नम।।
राहु: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः ।
केतु: ॐ स्रां स्रीं स्रों स: केतवे नम:’।
मंन्त्र का जाप कैसे करें?
- मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें।
- विष्णु मंत्र का जाप तुलसी से किया जा सकता है।
- जाप 1, 5, 11 माला की संख्या में किया जा सकता है।
- मंत्र जाप करने से पूर्व पवित्री और आचमन अवश्य करें।
- उसके बाद हाथ में जल, अक्षत लेकर संकल्प लें।
- जाप के बाद पुनः हाथ में जल लेकर देवता को मंत्र समर्पित कर दें।
- इसके बाद पूजा में हुई जाने अनजाने भूलचूक के लिए क्षमा मांगे।
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