Shravana Nakshatra: श्रवण नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Shravana Nakshatra: भारतीय खगोल का यह 22 वा चर नक्षत्र है। इसके तीन तारे है। राशि पथ में श्रवण नक्षत्र 280.00 अंशों से 293.20 अंशों के मध्य स्थितमाना गया है। यह नक्षत्र मकर राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी शनि है। इसके चरणाक्षर खि, खू, खे, खो हैं।
श्रवण का शाब्दिक अर्थ: श्रवण का अर्थ सुनना है। यह विद्या (ज्ञान) का नक्षत्र है। वैदिक विचारो में ज्ञान ध्वनि द्वारा श्रवण करने से ही प्राप्त होता है। मान्यता है कि अच्छा श्रोता ही अच्छा वक्ता होता है।
पौराणिक मान्यता
श्रवण नक्षत्र के देवता भगवान विष्णु है। इन्हे चतुर्भुज कहा जाता है। इनके एक भुजा में शंख, दूसरे चक्र, तीसरे में कमल, चौथी मे गदा है। इनका वाहन गरुड वेदों का प्रतीक व पत्नी लक्ष्मी सम्पत्ति की देवी है।
श्रवण नक्षत्र (विशेषाताएँ)
इस नक्षत्र में जन्म व्यक्ति सुंदर, पुष्ट शरीरी, संगीत नाट्य प्रेमी, धार्मिक, ज्ञानी, विद्वान, शिक्षाविद्, शत्रुहन्ता, ज्ञानी, बहादुर, विद्वान, दानी होता है। जातक का प्रारम्भिक जीवन कष्टमय और निराशा युक्त होता है। श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातक कुछ प्रसिद्ध अवतार निम्न है..
- श्रवण देवी सरस्वती,
- व्यङ्कटेश्वर बालाजी
- वामन अवतार
- बलराम
अनुकूल और प्रतिकूल कार्य
अनुकूल कार्य: यह शास्त्र विधि, सम्पादन, कार्यशैली, प्रारम्भ, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, पढ़ना लिखना, संगीत, ध्यान, दर्शन, मैथुन, आयोजन, जडी-बूटी, औषधि, घरेलू राजनीति, यात्रा, दान गतिविधियो के अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र आक्रामकता, आरोहण, खतरा, कानूनी विवाद, दावा, निवेश, युद्ध, मजदूरी, शपथ, नष्टीकरण के लिए प्रतिकूल है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।